दमोह। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू होने के बावजूद जिले के किसानों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. जानकारी के अभाव में किसान फसल बीमा के लिए भटक रहे हैं. लेकिन कहीं से कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है. नतीजतन केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की सफलता पर जिले में संशय बरकरार है.
जिले की यूनियन बैंक शाखा पथरिया से पता चला की उन्होंने नकद वाले बीमा अभी तक किए ही नहीं है. सभी बैंक केवल उनका बीमा कर रहे हैं, जो उस बैंक से पहले से कर्ज लिए हुए हैं. वहीं जो बीमा कंपनियां हैं, उनको अभी तक इस तरह के आदेश की कोई जानकारी नहीं है. सहकारी समितियां भी इस तरह के आदेश से अनभिज्ञ हैं. जबकि फसल बीमा की तारीख इस बार बढ़ाई गई है, लेकिन बैंकों द्वारा केवल कुछ लोगों के ही नगद में फसल बीमा के रजिस्ट्रेशन किए गए हैं.
इस संबंध में जब वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी जीपी वेन से बात की तो उन्होंने बताया कि हम अभी वरिष्ठ कार्यालय में सूचना दे रहे हैं कि लीड ऑफिसरों और बैंकों में इस संबंध में आदेश जारी कर दिए जाएं. ताकि किसानों को परेशानी न हो. इस संबंध में बद्री काछी जो कि कियोस्क और सीएससी संचालक है, ने बताया कि साइट न खुलने से किसानों के फसल बीमा पंजीकरण नहीं हो रहे हैं.
फसल बीमा की बढ़ी तारीख
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत खरीफ 2020 के लिए फसल बीमा के बीमांकन की आखिरी तारीख मध्य प्रदेश में बढ़कर 31 अगस्त की गई है. उप संचालक किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग आरएस शर्मा ने बताया है कि अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले बटाईदारों और कास्तकारों सहित सभी किसान अपनी फसलों का बीमा आच्छादन प्राप्त करने के पात्र हैं, योजना सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक की गई है. अल्पकालिक फसल ऋण प्राप्त करने वाले कृषकों की फसलों का बीमा संबंधित बैंक द्वारा किया जाएगा. उन्होंने बताया कि अऋणी कृषक अपनी अधिसूचित फसलों का बीमा बैंक, लोक से केंद्र और कार्यरत बीमा कंपनी के एजेंटों के माध्यम से करवा सकते हैं. अऋणी किसान की श्रेणी के लिए संबंधित किसान के द्वारा किसी भी राष्ट्रीयकृत या सहकारी बैंक में जाकर आवश्यक औपचारिकतायें (जैसे-आधार कार्ड की प्रति, जमीन संबंधी दस्तावेज, बुवाई का प्रमाण-पत्र इत्यादि) पूर्ण करने के बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का निर्धारित प्रीमियम जमा कर योजना का लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
किसानों का आरोप
किसान दिलीप पटेल ने बैंक कर्मचारी और अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि फसल बीमा योजना अब किसानों के लिए अभिशाप बन गई है. इस योजना के तहत जो बीमा कार्य बैंकों और किओस्क शाखाओं में होने थे, वहां यह साइट बंद बताई जा रही है, जिससे किसान परेशान हैं. अभी जब किसानों को इस योजना की जरूरत है तो साइट बंद बताई जा रही है. अधिकारी वर्ग केवल कागजों में यह कार्य चाहते हैं जमीनी स्तर पर नहीं.