ETV Bharat / state

यहां देखने को मिलती हैं खजुराहो जैसी मिथुन मूर्तियां, देखें खबर

जिले के पुरातत्व संग्रहालय में खजुराहो के जैसी युगल मिथुन मूर्तियां है. जिसे देख यहां आने वाले लोग प्रतिमाओं की तारीफ करते नहीं थकते हैं.

यहां देखने को मिलती हैं खजुराहो जैसी मिथुन मूर्तियां
author img

By

Published : Sep 11, 2019, 9:46 AM IST

दमोह। जिले में खजुराहो के जैसी युगल मिथुन मूर्तियों की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. लेकिन दमोह के पुरातत्व संग्रहालय में 11वीं और 12वीं शताब्दी में निर्मित हुए मंदिरों में इस तरह की प्रतिमाओं की छाप देखी जाती है. जहां पर रखी चार द्वार शाखाओं में खजुराहो जैसी प्रतिमाएं है. यहां पर दोनी अलोनी से लाई गई प्रतिमाओं की कला देखकर यहां आने वाले लोग तारीफ करने से नहीं थकते.

यहां देखने को मिलती हैं खजुराहो जैसी मिथुन मूर्तियां, देखें खबर

जिले के पुरातत्व संग्रहालय में इन मंदिरों को कलचुरी काल में बनाया गया था. इसमें रखी प्रतिमाएं उस समय की मूर्ति कला को प्रदर्शित करता है. लेकिन खुजराहो के अलावा दमोह के ध्वस्त हो चुके मंदिरों के भग्नावशेष में यह कला का नजारा देखने को मिलता है. आने वाले लोग बरबस ही इन प्रतिमाओं को देखकर खजुराहो की याद कर लेते हैं.

पुरातत्व के जानकार बताते हैं कि दमोह जिले में नष्ट हुए मंदिरों के भग्नावशेष अभी भी उन स्थानों पर बिखरे पड़े हैं. जिनको यदि बेहतर तरीके से निकाला जाए तो अनेक मूर्तियां अनेक कलाकृतियों की जानकारी विश्व पटल पर सामने आ सकती है. जिसमें दमोह का नाम और रोशन भी हो सकता है. लेकिन आवश्यकता है कि पुरातत्व विभाग इसके लिए पहल करने के साथ इन प्रतिभाओं को इन भग्नावशेष को सुरक्षित करने के लिए प्रयास शुरू करें.

दमोह। जिले में खजुराहो के जैसी युगल मिथुन मूर्तियों की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. लेकिन दमोह के पुरातत्व संग्रहालय में 11वीं और 12वीं शताब्दी में निर्मित हुए मंदिरों में इस तरह की प्रतिमाओं की छाप देखी जाती है. जहां पर रखी चार द्वार शाखाओं में खजुराहो जैसी प्रतिमाएं है. यहां पर दोनी अलोनी से लाई गई प्रतिमाओं की कला देखकर यहां आने वाले लोग तारीफ करने से नहीं थकते.

यहां देखने को मिलती हैं खजुराहो जैसी मिथुन मूर्तियां, देखें खबर

जिले के पुरातत्व संग्रहालय में इन मंदिरों को कलचुरी काल में बनाया गया था. इसमें रखी प्रतिमाएं उस समय की मूर्ति कला को प्रदर्शित करता है. लेकिन खुजराहो के अलावा दमोह के ध्वस्त हो चुके मंदिरों के भग्नावशेष में यह कला का नजारा देखने को मिलता है. आने वाले लोग बरबस ही इन प्रतिमाओं को देखकर खजुराहो की याद कर लेते हैं.

पुरातत्व के जानकार बताते हैं कि दमोह जिले में नष्ट हुए मंदिरों के भग्नावशेष अभी भी उन स्थानों पर बिखरे पड़े हैं. जिनको यदि बेहतर तरीके से निकाला जाए तो अनेक मूर्तियां अनेक कलाकृतियों की जानकारी विश्व पटल पर सामने आ सकती है. जिसमें दमोह का नाम और रोशन भी हो सकता है. लेकिन आवश्यकता है कि पुरातत्व विभाग इसके लिए पहल करने के साथ इन प्रतिभाओं को इन भग्नावशेष को सुरक्षित करने के लिए प्रयास शुरू करें.

Intro:खजुराहो के मंदिरों के बाद दमोह के पुरातत्व संग्रहालय में मंदिरों के अवशेष में मौजूद हैं युगल मिथुन मूर्तियां

दमोह जिले की दोनी अलोनी में ध्वस्त हुए मंदिरों में बनाई गई थी यह युगल मूर्तियां

चंदेल कालीन मूर्ति की कला दमोह जिले के कलचुरी कालीन मंदिरों में भी देखने मिलती है

दमोह. जिले में खजुराहो के जैसी युगल मिथुन मूर्तियों की परिकल्पना नहीं की जा सकती. लेकिन दमोह के पुरातत्व संग्रहालय में 11वीं और 12वीं शताब्दी में निर्मित हुए मंदिरों में इस तरह की प्रतिमाओं की छाप देखी जाती है. इसका सबूत दमोह के पुरातत्व संग्रहालय में देखने मिलता है. जहां पर रखी चार द्वार शाखाओं में इस तरह की प्रतिमाएं खजुराहो की प्रतिकृति को दमोह में भी दर्शाने के लिए काफी है.


Body:दमोह के एक किला परिसर में बनाए गए पुरातत्व संग्रहालय में रखी गई 11वीं और 12वीं शताब्दी की प्रतिमाओं में खजुराहो के मंदिरों के तरह ही युगल मिथुन मूर्तियों की प्रतिकृति नजर आती है. यहां पर दोनी अलोनी से लाई गई प्रतिमाओं में यह कला देखकर यहां आने वाले लोग खजुराहो की मूर्तिकला के जैसी प्रशंसा करने से नहीं चूकते. दरअसल जिले के इन मंदिरों को कलचुरी काल में बनाया गया था. जो चंदेल कालीन मूर्तिकला का प्रदर्शन करने के लिए काफी है. यह बेजोड़ कलाकारी उस समय की मूर्ति कला को प्रदर्शित करता है. लेकिन खुजराहो के अलावा दमोह के ध्वस्त हो चुके मंदिरों के भग्नावशेष में यह कला का नजारा देखने को मिलता है. पुरातत्व संग्रहालय में आने वाले लोग बरबस ही इन प्रतिमाओं को देखकर खजुराहो की याद कर लेते हैं .

बाइट डॉ सुरेंद्र चौरसिया पुरातत्व संग्रहालय प्रभारी दमोह


Conclusion:पुरातत्व के जानकार यह भी बताते हैं कि दमोह जिले में नष्ट हुए मंदिरों के भग्नावशेष अभी भी उन स्थानों पर बिखरे पड़े हैं. जिनको यदि बेहतर तरीके से निकाला जाए तो अनेक मूर्तियां अनेक कलाकृतियों की जानकारी विश्व पटल पर सामने आ सकती है. जिसमें दमोह का नाम और रोशन भी हो सकता है. लेकिन आवश्यकता है कि पुरातत्व विभाग इसके लिए पहल करने के साथ इन प्रतिभाओं को इन भग्नावशेष ओं को संरक्षित सुरक्षित करने के लिए प्रयास शुरू करें.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.