दमोह। कोरोना महामारी का संक्रमण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. प्रशासनिक प्रयासों के बावजूद भी पर्याप्त मात्रा में मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है. वहीं निजी अस्पतालों में जो मरीज भर्ती हैं, उनके लिए ऑक्सीजन लाई जा रही है, लेकिन वह भी रास्ते में ही रुक जाती है. जबलपुर से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आ रही एक पिकअप गाड़ी को आज जिला प्रशासन ने पकड़ लिया और कोतवाली थाने में रखवा दिया. अधिकारियों का यह तर्क है कि जिस व्यक्ति ने ऑक्सीजन बुलाई, उसकी शिकायत प्राप्त हुई कि वह सिलेंडरों की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी कर रहा है. शिकायत कहां से आई और किसने की, इस बारे में अधिकारी कोई खुलासा नहीं कर रहे हैं. दूसरी ओर हाल यह है कि जिन मरीजों ने बाजार से सिलेंडर खरीद लिए हैं. अब उनकी रिफिलिंग नहीं हो पा रही है. लोग सड़कों पर सिलेंडर लेकर घूम रहे हैं.
कोतवाली में रख दी गाड़ी
दरअसल, जबलपुर के एक प्लांट से आज पारस हॉस्पिटल की एक पिकअप गाड़ी ऑक्सीजन के 29 सिलेंडर लेकर दमोह आ रही थी. इसी बीच नायब तहसीलदार विजय साहू ने गाड़ी को दमोह पहुंचने के दौरान ही पकड़ लिया और उसे कोतवाली में रखवा दिया. जब संबंधित व्यक्ति को यह बात पता चली, तो वह कोतवाली पहुंच गया. उसने पूरी जानकारी दी, लेकिन उसके बाद भी गाड़ी नहीं छोड़ी गई.
निजी अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म, पांच मरीजों की गई जान
कितनी थी ऑक्सीजन
वाहन चालक ने बताया कि 15 सिलेंडर पारस हॉस्पिटल, 12 सिलेंडर 108 एक्सप्रेस और दो सिलेंडर बैकअप के लिए हैं, जिन्हें गाड़ी सहित कोतवाली में रखवा दिया गया. 108 एक्सप्रेस में सप्लाई का ठेका दमोह सेल्स के पास है. उसी के जरिए 108 में सप्लाई होती है. हैरानी की बात यह है कि 108 के अधिकारी कोतवाली में मिन्नतें करते रहे. उसके बाद भी 108 गाड़ी के सिलेंडर उनके सुपुर्द नहीं किए गए.
इस संबंध में कलेक्टर तरुण राठी ने फोन पर बताया कि उन्हें दमोह सेल्स द्वारा कालाबाजारी की सूचना मिली थी. इसी के तहत गाड़ी पकड़ी गई. हालांकि ऑक्सीजन संकट को देखते हुए पारस हॉस्पिटल के लिए पांच सिलेंडर भी दे दिए गए हैं. बाकी कागजात की जांच की जा रही है.
इसलिए पकड़ी गाड़ी
इस मामले में नायब तहसीलदार विजय साहू का कहना है कि कलेक्टर के निर्देश पर गाड़ी पकड़ी गई. गाड़ी और ऑक्सीजन के कागजात की जांच की जा रही है. जांच के बाद रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी जाएगी. उनका जैसा निर्देश होगा, वैसी कार्रवाई की जाएगी.