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'वोट के लिए नेता मांगते हैं भीख, जीतने के बाद समझते हैं भिखारी', छिंदवाड़ा का ये बदहाल गांव करेगा चुनाव का बहिष्कार - एमपी की ताजा खबर

छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर खैरवाड़ा गांव के लोगों ने मूलभूत समस्या के चलते इस बार के विधानसभा चुनाव में बहिष्कार का ऐलान किया है. पिछले 35 सालों से इस गांव में सड़क नहीं बनी है. इसी के चलते लोगों में अच्छा खासा रोष है.

MP Election 2023
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 10, 2023, 10:05 PM IST

छिंदवाड़ा। पूर्व सीएम कमलनाथ मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा विकास मॉडल के नाम पर चुनाव लड़ रहे है. वही भाजपा सरकार अपनी 18 साल के विकास की उपलब्धि बता रही है. छिंदवाड़ा शहर से महज 3 किलोमीटर दूर खैरवाड़ा के ग्रामीणों ने गांव में सड़क नहीं होने की वजह से अब मतदान का बहिष्कार कर दिया है. इस गाँव में पिछले 35 साल से सड़क नहीं है. जगह-जगह रोड नहीं तो वोट नहीं के बैनर लटका दिए है. ग्रामीणों का कहना है कि नेता भिखारी की तरह वोट मांगने आ जाते है. उसके बाद हम उनके पास भिखारियों की तरह रोड की मांग करने जाते है.

क्या बोले ग्रामीण: ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि कमलनाथ के पास जाओ तो कहते हैं, भाजपा की सरकार है. भाजपा के पास जाओ तो कहते हैं, पूर्व सीएम कमलनाथ के पास जाओ. अधिकारियों को पास जाओ तो कहते हमारे पास फंड नहीं है, गांव के छात्र छात्राओं को नदी के डेम से कूदकर जाना पड़ता है, ऐसे में कभी कोई छात्र-छात्राएं नदी में गिर सकते है. इससे बड़ा हादसा हो सकता है. इसलिए इस बार हमने सोच लिया है कि चुनाव का बहिष्कार करेंगे. जो नेता हमारी रोड बनवाएगा उसी को वोट देंगे.

MP Election 2023
35 सालों से नहीं बनी सड़क

इस तरह महिलाओं, पुरषों और स्कूली छात्र छात्राओं ने अपनी अपनी परेशानी बताई. यह पेरशानी शहर से महज 3 किमी दूर खैरवाड़ा के इंदिरा आवास कॉलोनी है. जहां खैरवाड़ा से कालोनी तक जाने के लिए दो किमी का कच्चा रास्ता तय करना होता है. इस रास्तें में इस मौसम में धूल और गड्ढे है. बारिश में यह हालात है कि यह रास्ता कीचड़ में तब्दील हो जाता है.

इस दौरान निकलने वाले स्कूली बच्चे फिसल कर कीचल में लथपथ हो जाते है. लोगों के वाहन फिसल कर गिर जाते है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव और कॉलोनी तक आने जाने के कोई साधन नहीं है. लोगों को अपने अपने साधनों से आना जाना होता है. इस तरह इस गांव की परेशानी है. अभी तक किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी ने सुध नहीं ली है. जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.

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कमलनाथ नकुलनाथ के अलावा भाजपा के भी कई मंत्री पहुंच चुके हैं गांव: ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं ने बताया कि यहां पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, सांसद नकुल नाथ, पूर्व विधायक नानाभाऊ मोहोड़, विधायक नीलेश उइके से लेकर सभी कांग्रेस भाजपा के नेता आ चुके है. उनके सामने हम लोगों ने भिखारियों की तरह रोड बनाने भीख मांगते रहे. अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने हमारी बात नहीं सुनी. पिछले 35 साल से हम इस कच्ची रोड पर चलने मजबूर है.

village of Chhindwara
बदहाल स्थिति में छिंदवाड़ा का खैरवाड़ा गांव

ग्रामीणों ने बताया कि नगर निगम सीमा से मात्र 3 किलोमीटर दूर होने के बाद भी उन्हें नगर निगम में शामिल नहीं किया गया है. जबकि, उनसे ज्यादा दूरी के गांव नगर निगम सीमा में शामिल किए गए चुके हैं.

सब्जी की सबसे अधिक पैदावार,किसानों को भी परेशानी: ग्रामीणों ने बताया कि खैरवाड़ा में किसानों का मुख्य व्यवसाय सब्जी का है. गुरैया के बाद इस क्षेत्र में सबसे अधिक सब्जी की पैदावार होती है. यहां सिंगल रोड है. वाहनों के आने जाने में बहुत परेशानी होती है. बारिश में यहां कीचड़ होने के कारण वाहनों के फंसने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए यहां वाहन चालक वाहन लाने से कतराते है.

3 किमी का सफर के लिए 13 किमी घूमकर जाते लोग: छात्रा शिवानी इरपाची ने बताया कि गांव से शहर जाने के लिए यहां से पैदल तीन किमी पैदल बैतूल सड़क तक जाना होता है. वहीं पास वाले रास्ते से जाने के लिए कुलबहरा नदी का डेम से कूदकर जाना पड़ता है. यदि यहां से रोड बन जाए तो शहर महज 3 किमी दूर है. हमने सभी जनप्रतिनिधियों के सामने बात रखी है. अभी तक किसी ने नहीं सुनी. इस बार जो रोड बनवाएगा उसे वोट देंगे.

सीएम हेल्पलाइन में कर चुके शिकायत: ग्रामीण रंजीत नंदेकर ने बताया कि रोड बनाने के लिए सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत कर चुके है. इसके बाद भी मुख्यमंत्री से कोई राहत नहीं मिली. इसके अलावा कमलनाथ, नकुलनाथ, नानाभाऊ मोहोड़ सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के सैंकड़ों बार जा चुके है. किसी ने हमारी नहीं सुनी. इसलिए इस बार सोच कर बैठे है. रोड नहीं तो वोट नहीं.

छिंदवाड़ा। पूर्व सीएम कमलनाथ मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा विकास मॉडल के नाम पर चुनाव लड़ रहे है. वही भाजपा सरकार अपनी 18 साल के विकास की उपलब्धि बता रही है. छिंदवाड़ा शहर से महज 3 किलोमीटर दूर खैरवाड़ा के ग्रामीणों ने गांव में सड़क नहीं होने की वजह से अब मतदान का बहिष्कार कर दिया है. इस गाँव में पिछले 35 साल से सड़क नहीं है. जगह-जगह रोड नहीं तो वोट नहीं के बैनर लटका दिए है. ग्रामीणों का कहना है कि नेता भिखारी की तरह वोट मांगने आ जाते है. उसके बाद हम उनके पास भिखारियों की तरह रोड की मांग करने जाते है.

क्या बोले ग्रामीण: ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि कमलनाथ के पास जाओ तो कहते हैं, भाजपा की सरकार है. भाजपा के पास जाओ तो कहते हैं, पूर्व सीएम कमलनाथ के पास जाओ. अधिकारियों को पास जाओ तो कहते हमारे पास फंड नहीं है, गांव के छात्र छात्राओं को नदी के डेम से कूदकर जाना पड़ता है, ऐसे में कभी कोई छात्र-छात्राएं नदी में गिर सकते है. इससे बड़ा हादसा हो सकता है. इसलिए इस बार हमने सोच लिया है कि चुनाव का बहिष्कार करेंगे. जो नेता हमारी रोड बनवाएगा उसी को वोट देंगे.

MP Election 2023
35 सालों से नहीं बनी सड़क

इस तरह महिलाओं, पुरषों और स्कूली छात्र छात्राओं ने अपनी अपनी परेशानी बताई. यह पेरशानी शहर से महज 3 किमी दूर खैरवाड़ा के इंदिरा आवास कॉलोनी है. जहां खैरवाड़ा से कालोनी तक जाने के लिए दो किमी का कच्चा रास्ता तय करना होता है. इस रास्तें में इस मौसम में धूल और गड्ढे है. बारिश में यह हालात है कि यह रास्ता कीचड़ में तब्दील हो जाता है.

इस दौरान निकलने वाले स्कूली बच्चे फिसल कर कीचल में लथपथ हो जाते है. लोगों के वाहन फिसल कर गिर जाते है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव और कॉलोनी तक आने जाने के कोई साधन नहीं है. लोगों को अपने अपने साधनों से आना जाना होता है. इस तरह इस गांव की परेशानी है. अभी तक किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी ने सुध नहीं ली है. जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.

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कमलनाथ नकुलनाथ के अलावा भाजपा के भी कई मंत्री पहुंच चुके हैं गांव: ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं ने बताया कि यहां पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, सांसद नकुल नाथ, पूर्व विधायक नानाभाऊ मोहोड़, विधायक नीलेश उइके से लेकर सभी कांग्रेस भाजपा के नेता आ चुके है. उनके सामने हम लोगों ने भिखारियों की तरह रोड बनाने भीख मांगते रहे. अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने हमारी बात नहीं सुनी. पिछले 35 साल से हम इस कच्ची रोड पर चलने मजबूर है.

village of Chhindwara
बदहाल स्थिति में छिंदवाड़ा का खैरवाड़ा गांव

ग्रामीणों ने बताया कि नगर निगम सीमा से मात्र 3 किलोमीटर दूर होने के बाद भी उन्हें नगर निगम में शामिल नहीं किया गया है. जबकि, उनसे ज्यादा दूरी के गांव नगर निगम सीमा में शामिल किए गए चुके हैं.

सब्जी की सबसे अधिक पैदावार,किसानों को भी परेशानी: ग्रामीणों ने बताया कि खैरवाड़ा में किसानों का मुख्य व्यवसाय सब्जी का है. गुरैया के बाद इस क्षेत्र में सबसे अधिक सब्जी की पैदावार होती है. यहां सिंगल रोड है. वाहनों के आने जाने में बहुत परेशानी होती है. बारिश में यहां कीचड़ होने के कारण वाहनों के फंसने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए यहां वाहन चालक वाहन लाने से कतराते है.

3 किमी का सफर के लिए 13 किमी घूमकर जाते लोग: छात्रा शिवानी इरपाची ने बताया कि गांव से शहर जाने के लिए यहां से पैदल तीन किमी पैदल बैतूल सड़क तक जाना होता है. वहीं पास वाले रास्ते से जाने के लिए कुलबहरा नदी का डेम से कूदकर जाना पड़ता है. यदि यहां से रोड बन जाए तो शहर महज 3 किमी दूर है. हमने सभी जनप्रतिनिधियों के सामने बात रखी है. अभी तक किसी ने नहीं सुनी. इस बार जो रोड बनवाएगा उसे वोट देंगे.

सीएम हेल्पलाइन में कर चुके शिकायत: ग्रामीण रंजीत नंदेकर ने बताया कि रोड बनाने के लिए सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत कर चुके है. इसके बाद भी मुख्यमंत्री से कोई राहत नहीं मिली. इसके अलावा कमलनाथ, नकुलनाथ, नानाभाऊ मोहोड़ सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के सैंकड़ों बार जा चुके है. किसी ने हमारी नहीं सुनी. इसलिए इस बार सोच कर बैठे है. रोड नहीं तो वोट नहीं.

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