छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के मुखिया भले ही किसानों को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त करने की बात करते हो, लेकिन आज भी कई ऐसे सूदखोर हैं. जो किसानों की जमीन हड़प कर बैठे हैं. ऐसा ही मामला छिंदवाड़ा में सामने आया है. मामले में एसडीएम कोर्ट ने पांच साल बाद सूदखोर के खिलाफ फैसला सुनाया है.
- साहूकार ने हड़पी जमीन
पीड़ित किसान ज्ञानचंद ने ईटीवी भारत को बताया कि 1999 में उनके परिवार ने साहूकार श्रीराम रघुवंशी से गुड़ की भट्टी लगाने के लिए 1 लाख का कर्ज लिया था. जिसके बदले में जमीन की रजिस्ट्री करा ली गई थी. लेकिन जमीन में खेती पीड़ित किसान परिवार ही कर रहे थे, इसके बाद किसान ने मूलधन से दोगुना सूद साहूकार को चुका दिया. लेकिन उसके बाद भी साहूकार ने जमीन पर कब्जा कर लिया.
- 25 किसानों ने एसडीएम कोर्ट की ली थी शरण
साहूकार के खिलाफ साल 2016 में 25 किसानों ने एसडीएम कोर्ट की शरण ली और मामला तारीख पर तारीख वाली स्टाइल में कई सालों तक चलता रहा. इस दौरान किसानों ने आंदोलन, धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल तक की. लेकिन साहूकार पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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- पांच साल बाद आया फैसला
5 सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद किसानों के पक्ष में एसडीएम कोर्ट ने फैसला सुनाया और साहूकार को अवैध सूदखोरी का दोषी मानते हुए तीन मामलों में फैसला भी सुनाया गया. फैसले में साफ लिखा गया है, कि मामला सूदखोरी का है. लेकिन जमीन का विक्रय दूसरे नाम पर किया गया है और कब्जा भी दूसरे व्यक्ति का है. इसलिए जमीन का कब्जा दिया जाना संभव नहीं है. इसलिए सूदखोर को एसडीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि वर्तमान कलेक्टर की गाइडलाइन के हिसाब से भूमि की कीमत और 12 फीसदी वार्षिक ब्याज की दर से जमीन का मुआवजा किसानों को देना होगा.
- मुआवजा नहीं, जमीन मिले वापस
3 किसानों के पक्ष में कोर्ट के फैसले के बाद किसानों का कहना है कि मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा है. उनकी जिंदगी भर की जमा पूंजी उनकी खेती है, इसलिए जब न्यायालय ने सूदखोर का दोषी पाते हुए, साहूकार के खिलाफ फैसला सुनाया है. तो फिर जमीन की रजिस्ट्री शून्य कर किसानों को जमीन वापस दिलाई जानी चाहिए.