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सुकून वाला 'सरकारी अस्पताल'

पांढुर्णा में एक डॉक्टर ने सरकारी अस्पताल को किसी रिसोर्ट से कम नहीं बनाया है. इसे देखने और इलाज करवाने के लिए दूरदराज से लोग पहुंचते हैं. पढ़िए पूरी खबर..

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Published : Mar 22, 2021, 1:39 PM IST

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सुकून असपताल

छिंदवाड़ा। सरकारी अस्पताल का नाम सुनते ही लोग ऐसे अस्पतालों से दूर भागने लगते हैं, जहां लोगों को अव्यवस्थाओं से झूझना पड़ता हैं, लेकिन पांढुर्णा नगर पालिका में एक ऐसा सरकारी अस्पताल हैं, जहां मरीजों को सुकून मिलता हैं. यहां के एक डॉक्टर ने सरकारी अस्पताल को किसी रिसोर्ट से कम नहीं बनाया, जिसे देखने और इलाज करवाने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं.

जी हां, पांढुर्णा के मांगुरली गांव में बना सरकारी अस्पताल किसी रिसोर्ट से कम नहीं हैं. इस सरकारी अस्पताल की सूरत डॉक्टर नितिन उपाध्याय ने बदल दी. यहां 4 हजार वर्गफीट में बनाए गए पार्क में घूमने के लिए दूरदराज से लोग पहुंचते हैं. यहां लोगों को इलाज के साथ-साथ सुकून मिलता हैं. इसलिए इस अस्पताल का नाम 'सुकून' रखा गया हैं.

इस सरकारी अस्पताल में बैठने के लिए एक ऐसी जगह बनाई गई हैं, जहां बैठते ही खुद को 'सुकून' महसूस होता हैं. इस सरकारी अस्पताल की चर्चा छिंदवाड़ा जिले को छोड़ पूरे मध्य प्रदेश में भी है. यही कारण हैं कि इस अस्पताल का दीदार करने के लिए अधिकारी, जनप्रतिनिधि और लोग पहुंचते हैं.

सरकारी फंड का सही उपयोग किया
मांगुरली सरकारी अस्पताल की जिम्मेदारी संभालने वाले डॉक्टर नितिन उपाध्याय बताते है कि स्वास्थ्य विभाग से जो भी फंड आता हैं, उस फंड की राशि को इस अस्पताल की व्यवस्था में लगाई जाती हैं. वर्तमान में इस अस्पताल के चारों ओर हरियाली और मनमोहक पौधे मौजूद हैं.

सुकून असपताल
चपरासी के हाथों में पेंटिंग का हुनर इस सरकारी अस्पताल में कुल 4 लोगों का स्टॉफ हैं, लेकिन सभी कर्मचारियों में से अस्पताल के चपरासी जितेंद्र इरपाची के हाथों में पेंटिंग का गजब का हुनर हैं, जिसने इस अस्पताल के दीवाल, गमले, टीन शेड सहित अन्य जगहों पर गजब की पेंटिंग की हैं, जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. डॉक्टर को भगवान मानते है ग्रामीण गांव के सरपंच गणपति तुमदाम बताते हैं कि इस सरकारी अस्पताल का निर्माण सन् 1985 में हुआ था. उस दौरान यहां पर कोई डॉक्टर नहीं था. पूरा अस्पताल अस्त-व्यस्त था, लेकिन जब से डॉक्टर नितिन उपाध्यक्ष की नियुक्ति हुई हैं, तब से इस अस्पताल की सूरत ही बदल दी हैं. अस्पताल को देख बेटे के याद में दान किया कुआ डॉक्टर नितिन उपाध्याय बताते है कि इस अस्पताल में पानी की सबसे ज्यादा परेशानी है. इसलिए पांढुर्ना के प्रभु पटेल ने अपने बेटे की याद में एक कुआ दान किया हैं, जिसका निर्माण कार्य जारी हैं.

छिंदवाड़ा। सरकारी अस्पताल का नाम सुनते ही लोग ऐसे अस्पतालों से दूर भागने लगते हैं, जहां लोगों को अव्यवस्थाओं से झूझना पड़ता हैं, लेकिन पांढुर्णा नगर पालिका में एक ऐसा सरकारी अस्पताल हैं, जहां मरीजों को सुकून मिलता हैं. यहां के एक डॉक्टर ने सरकारी अस्पताल को किसी रिसोर्ट से कम नहीं बनाया, जिसे देखने और इलाज करवाने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं.

जी हां, पांढुर्णा के मांगुरली गांव में बना सरकारी अस्पताल किसी रिसोर्ट से कम नहीं हैं. इस सरकारी अस्पताल की सूरत डॉक्टर नितिन उपाध्याय ने बदल दी. यहां 4 हजार वर्गफीट में बनाए गए पार्क में घूमने के लिए दूरदराज से लोग पहुंचते हैं. यहां लोगों को इलाज के साथ-साथ सुकून मिलता हैं. इसलिए इस अस्पताल का नाम 'सुकून' रखा गया हैं.

इस सरकारी अस्पताल में बैठने के लिए एक ऐसी जगह बनाई गई हैं, जहां बैठते ही खुद को 'सुकून' महसूस होता हैं. इस सरकारी अस्पताल की चर्चा छिंदवाड़ा जिले को छोड़ पूरे मध्य प्रदेश में भी है. यही कारण हैं कि इस अस्पताल का दीदार करने के लिए अधिकारी, जनप्रतिनिधि और लोग पहुंचते हैं.

सरकारी फंड का सही उपयोग किया
मांगुरली सरकारी अस्पताल की जिम्मेदारी संभालने वाले डॉक्टर नितिन उपाध्याय बताते है कि स्वास्थ्य विभाग से जो भी फंड आता हैं, उस फंड की राशि को इस अस्पताल की व्यवस्था में लगाई जाती हैं. वर्तमान में इस अस्पताल के चारों ओर हरियाली और मनमोहक पौधे मौजूद हैं.

सुकून असपताल
चपरासी के हाथों में पेंटिंग का हुनर इस सरकारी अस्पताल में कुल 4 लोगों का स्टॉफ हैं, लेकिन सभी कर्मचारियों में से अस्पताल के चपरासी जितेंद्र इरपाची के हाथों में पेंटिंग का गजब का हुनर हैं, जिसने इस अस्पताल के दीवाल, गमले, टीन शेड सहित अन्य जगहों पर गजब की पेंटिंग की हैं, जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. डॉक्टर को भगवान मानते है ग्रामीण गांव के सरपंच गणपति तुमदाम बताते हैं कि इस सरकारी अस्पताल का निर्माण सन् 1985 में हुआ था. उस दौरान यहां पर कोई डॉक्टर नहीं था. पूरा अस्पताल अस्त-व्यस्त था, लेकिन जब से डॉक्टर नितिन उपाध्यक्ष की नियुक्ति हुई हैं, तब से इस अस्पताल की सूरत ही बदल दी हैं. अस्पताल को देख बेटे के याद में दान किया कुआ डॉक्टर नितिन उपाध्याय बताते है कि इस अस्पताल में पानी की सबसे ज्यादा परेशानी है. इसलिए पांढुर्ना के प्रभु पटेल ने अपने बेटे की याद में एक कुआ दान किया हैं, जिसका निर्माण कार्य जारी हैं.
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