छिंदवाड़ा। किसी ने क्या खूब कहा कि वक्त से लड़कर अपना नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे, कल क्या होगा, उसकी कभी न सोचो, क्या पता कल वक्त, खुद अपनी लकीर बदल दे. इसी सोच के साथ आगे बढ़ रही है छिंदवाड़ा की वो बेटी जिसने मुफलिसी में भी हौसला नहीं हारा और अब मध्यप्रदेश की ये बेटी इंडोनेशिया में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही है. छिंदवाड़ा की रहने वाली अदिति बैरागी इंडोनेशिया में अपने पावर लिफ्टिंग का हुनर दिखाएंगी. 63 किलो वजन ग्राम वर्ग में पूरे भारत से एकमात्र महिला खिलाड़ी के तौर पर उनका चयन इंडोनेशिया में खेलने के लिए हुआ है.
मजबूत कंधों और दमदार बाजुओं वाली छिंदवाड़ा की ये बेटी कक्षा आठवीं से अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. अपने मामा से प्रेरित होकर उसने पॉवर लिफ्टिंग में जाने का फैसला किया और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी अदिति बैरागी के हौसले कमजोर नहीं हुए. यही वजह है कि उनसे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते हैं और अब मिशन इंडोनेशिया के लिए तैयारी कर रही हैं. बेटी की उपलब्धि पर पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.
परिवार की आर्थिक कमजोर
परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो अच्छे जिम या सेंटरों में ट्रेनिंग ले सके. इसलिए अदिति वन विभाग के सरकारी जिम में ट्रेनिंग लेकर अपने सपनों को पूरा कर रही है. बेटी के सपनों को पूरा करने के सरकारी ऑफिसों के चक्कर काट चुके पिता ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी मुलाकात की है. ताकि वो इंडोनेशिया में होने वाली चैंपियनशिप में भाग ले सके. हालांकि अब तक उन्हें किसी भी प्रकार की मदद नसीब नहीं हुई.
सपनों को पूरा करने में सरकार उदासीन
अदिति बैरागी के सपनों को पूरा करने में न सरकार न सिस्टम, किसी ने रुचि नहीं दिखाई. लिहाजा अदिति के पिता ने अपने दोस्तों से कर्ज लेकर बेटी के सपनों को उड़ान देने के लिए पहली किस्त जमा कर दी है और दूसरी किस्त की जुगाड़ में वह भटक रहे हैं. अदिति बैरागी के हौसले को देखकर पिता तो शायद यही सोचते हैं कि रख हौसला, वो मंजर भी आएगा, प्यासे के पास चल के समंदर भी आएगा.
कर्ज लेकर बेटी के सपनों को पूरा करने में जुटे पिता
अदिति बैरागी पावर लिफ्टिंग की खिलाड़ी है. 63 किलो वजन ग्राम वर्ग में पूरे भारत से एकमात्र महिला खिलाड़ी के तौर पर उनका चयन इंडोनेशिया में खेलने के लिए हुआ है. उसे 6 मई को इंडोनेशिया जाना है, जिसके लिए 1 लाख 30 हजार रुपए जमा करने होंगे. पिता ने कर्ज लेकर पहली किश्त के तौर पर 65 हजार रुपये की जमा कर दिए हैं, लेकिन अब दूसरी किश्त की व्यवस्था में वह जुटे हैं.