छिंदवाड़ा। इस बार प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी (Wheat Purchased on Support Price) के लिए महिलाओं को शामिल करने का निर्णय लिया था. जिसके चलते छिंदवाड़ा जिले में स्व सहायता समूह (Self Help Group) के जरिए भी गेहूं खरीदी की गई. लेकिन खरीदी को तीन माह बीत जाने के बाद भी स्व सहायता समूह को कमीशन (Commission) की राशि नहीं मिल पाई है. छिंदवाड़ा जिले में भी 11 महिला स्व सहायता समूह ने गेहूं खरीदी का काम किया था. अब इन स्व सहायता समूह की महिलाएं राशि प्रप्त करने के लिए सरकारी दफ्तर के चक्कर काट रही है.
जेवर गिरवी रख कर किया काम
उभेगांव के मिलन स्व सहायता समूह (Milan Self Help Group) की अध्यक्ष रीता यादव ने बताया कि उनके समूह में कुल 11 महिलाएं हैं. सभी महिलाओं ने गेहूं उपार्जन के दौरान केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर, सर्वेयर, चौकीदार, टेंट और पानी का टैंकर सहित तमाम सुविधाएं जुटाई. इन सभी व्यवस्थाओं के पैसे चुकाने के लिए उन्होंने अपने जेवर गिरवी रख दिए. उम्मीद थी कि जल्द से जल्द कमीशन का पैसा मिलेगा, तो स्व सहायता समूह की तरक्की होगी.
25 मई को समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का काम बंद हो चुका है. लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें कमीशन का पैसा नहीं मिला. जिसके चलते अब उनके जेवरात नीलाम होने की कगार पर आ गए हैं.
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120 खरीदी के 11 केंद्रों पर महिलाओं ने खरीदा गेहूं
छिंदवाड़ा जिले में गेहूं खरीदी के लिए जिला प्रशासन ने 120 खरीदी केंद्र बनाए थे, जिनमें से 11 खरीदी केंद्रों की कमान महिलाओं को दी गई. महिलाओं ने स्व सहायता समूह के जरिए खरीदी की. स्व सहायता समूह के अलावा 109 खरीदी केंद्रों पर सेवा सहकारिता समिति (Service Cooperative Society) द्वारा गेहूं खरीदा गया.
27 रुपए प्रति क्विंटल मिलना है कमीशन
इस मामले में जब ईटीवी भारत में जिला खाद्य अधिकारी जीपी लोधी (District Food Officer GP Lodhi) से बात की तो उनका कहना था कि महिला स्व सहायता समूह को सरकार की ओर से 27 रुपए प्रति क्विंटल कमीशन देने का प्रावधान है. जिले से सभी महिला स्व सहायता समूह के बिल और प्रपोजल बनाकर संबंधित विभाग को भेज दिए है. जल्द ही सभी की राशि स्व सहायता समूह के खातों में पहुंच जाएगी.
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अनुमान से ज्यादा हुई समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी
छिंदवाड़ा जिले में इस साल तीन लाख मैट्रिक टन गेहूं उपार्जन का अनुमान था, लेकिन 3 लाख 4 हजार मैट्रिक टन से ज्यादा गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई. सभी किसानों के खाते में गेहूं उपार्जन की राशि पहुंच भी चुकी है, लेकिन गेहूं खरीदी करने वाले महिला स्व सहायता समूह में अपनी कमीशन की राशि के लिए भटक रहे है.