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कोरोना से बचाव में मदद करेगा सेनिटाइजर केबिन, 10 घंटे तक सेनेटाइज रह सकता है व्यक्ति

सौसर के औद्योगिक क्षेत्र बोरगांव की एक स्टील इंडस्ट्री के मालिक ने सेनिटाइज कैबिन का निर्माण कर सिविल अस्पताल में दान दिया है यह सेनिटाइज कैबिन मेटल डिटेक्टर की तरह काम करता है.

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सेनिटाइजर केबिन
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Published : Apr 5, 2020, 9:38 AM IST

Updated : Apr 5, 2020, 12:50 PM IST

छिंदवाड़ा। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सौसर क्षेत्र में लगी स्टील फैक्ट्री चलाने वाले युवा व्यवसाई कौस्तुभ ठोंभरे ने एक सेनिटाइज कैबिन बनाकर सौसर के सिविल अस्पताल में दान दिया है.

कोरोना से बचाव में मदद करेगा सेनिटाइजर केबिन

कौस्तुभ ने बताया कि यह कैबिन मेटल डिटेक्टर की तरह काम करता है जैसे ही कोई भी व्यक्ति इसके अंदर से गुजरेगा वह पूरी तरह से सेनिटाइज हो जाएगा और 10 घंटे तक उस पर किसी भी प्रकार के जर्म या वायरस नहीं असर कर पाएंगे. 40 हजार की लागत से बने इस कैबिन को सिविल अस्पताल में दान देने के पीछे का कारण बताया कि सबसे ज्यादा लोग अस्पताल में आते हैं और यहीं पर संक्रमण का खतरा भी होता है इसलिए मुख्य द्वार पर इस केबिन को लगाया गया है.

ताकि लोग इससे गुजर कर सेनिटाइज हो सकें और खुद का बचाव कर सकें क्योंकि कोरोना वायरस का अब तक वैक्सीन नहीं बना है और खुद का बचाव सबसे सरल उपाय है. बीएमओ डॉ एनके शास्त्री ने बताया कि सेनिटाइजर कैबिन में आइसो प्रोफाइल एल्कोहल केमिकल का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कि इस केबिन से गुजरने वाला सदस्य कोरोना आदि किसी भी वायरस से अपना बचाव कर सकता है.

सौसर अस्पताल के बाहर इसे सभी के उपयोग के लिए रखा गया है, एक बार कैबिन से गुजरने के बाद में 10 घंटे तक इसका असर रहता है, कैबिन से गुजरे हुए लोगों का कहना है कि कोरोना और आदि वायरस से बचाव के लिए ऐसे सेनिटाइजर कैबिन का निर्माण कर जिले के सभी छोटे बड़े अस्पतालों में इसकी व्यवस्था बनानी चाहिए, ताकि कोरोना वायरस या किसी भी बीमारी से लड़ा जा सके.

छिंदवाड़ा। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सौसर क्षेत्र में लगी स्टील फैक्ट्री चलाने वाले युवा व्यवसाई कौस्तुभ ठोंभरे ने एक सेनिटाइज कैबिन बनाकर सौसर के सिविल अस्पताल में दान दिया है.

कोरोना से बचाव में मदद करेगा सेनिटाइजर केबिन

कौस्तुभ ने बताया कि यह कैबिन मेटल डिटेक्टर की तरह काम करता है जैसे ही कोई भी व्यक्ति इसके अंदर से गुजरेगा वह पूरी तरह से सेनिटाइज हो जाएगा और 10 घंटे तक उस पर किसी भी प्रकार के जर्म या वायरस नहीं असर कर पाएंगे. 40 हजार की लागत से बने इस कैबिन को सिविल अस्पताल में दान देने के पीछे का कारण बताया कि सबसे ज्यादा लोग अस्पताल में आते हैं और यहीं पर संक्रमण का खतरा भी होता है इसलिए मुख्य द्वार पर इस केबिन को लगाया गया है.

ताकि लोग इससे गुजर कर सेनिटाइज हो सकें और खुद का बचाव कर सकें क्योंकि कोरोना वायरस का अब तक वैक्सीन नहीं बना है और खुद का बचाव सबसे सरल उपाय है. बीएमओ डॉ एनके शास्त्री ने बताया कि सेनिटाइजर कैबिन में आइसो प्रोफाइल एल्कोहल केमिकल का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कि इस केबिन से गुजरने वाला सदस्य कोरोना आदि किसी भी वायरस से अपना बचाव कर सकता है.

सौसर अस्पताल के बाहर इसे सभी के उपयोग के लिए रखा गया है, एक बार कैबिन से गुजरने के बाद में 10 घंटे तक इसका असर रहता है, कैबिन से गुजरे हुए लोगों का कहना है कि कोरोना और आदि वायरस से बचाव के लिए ऐसे सेनिटाइजर कैबिन का निर्माण कर जिले के सभी छोटे बड़े अस्पतालों में इसकी व्यवस्था बनानी चाहिए, ताकि कोरोना वायरस या किसी भी बीमारी से लड़ा जा सके.

Last Updated : Apr 5, 2020, 12:50 PM IST
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