छिंदवाड़ा। कोरोना काल के दौरान अपने और अपने परिवार की परवाह किए बिना शहर की सफाई में लगातार दिन-रात जुटे रहने वाले सफाईकर्मी आज भी मूलभूत सुविधाओं और वेतन के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. कोरोना काल के दौरान पूरा शहर घरों में महामारी से डरकर बैठा था लेकिन अपने परिवार और खुद की परवाह किए बिना सफाईकर्मी दिन रात सड़कों पर सफाई करते नजर आ रहे थे इसके बाद भी हालात सुधरे नहीं है आलम ये है कि सम्मान और सुख सुविधाएं तो दूर इन कर्मचारियों को खुद के हक का वेतन भी समय पर नहीं मिल रहा है.
कोरोना योद्धाओं को समय पर नहीं मिल रहा वेतन
सफाई कर्मियों ने ईटीवी भारत को बताया कि कोरोना संकट के समय में उन्होंने शहर को साफ रखा और अभी भी वे लगातार काम कर रहे हैं. उन्हें कोरोना योद्धा कहा गया लेकिन सम्मान के नाम पर कुछ नहीं मिला और तो और उन्हें उनके हक का वेतन भी समय पर नहीं मिल रहा है.
715 कर्मचारियों के जिम्मे 48 वार्डों के सफाई की जिम्मेदारी
छिंदवाड़ा नगर निगम में कुल 48 वार्ड हैं, जिनकी सफाई 715 कर्मचारियों के जिम्मे हैं. सभी वार्डों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में काम की जिम्मेदारी बांटी गई है. यहां सुबह 5 बजे से शहर की सफाई शुरू होती है, मुख्य बाजार वाले स्थानों में सुबह सफाई की जाती है इसके अलावा शहरी वार्डों में दोपहर में और ग्रामीण वार्डों के लिए अलग से समय निर्धारित किया गया है, ताकि सभी वार्ड में सफाई लगातार होती रहे.
पैसों की कमी के चलते मई में जा चुकी है एक ठेका कंपनी
कांग्रेस सरकार के दौरान दिल्ली की एक कंपनी ने छिंदवाड़ा की सफाई का ठेका लिया था लेकिन कोरोना के समय लॉकडाउन के दौरान ही अप्रैल और मई माह के बीच कंपनी ने अपना करार तोड़ दिया और नगर निगम के द्वारा पैसा नहीं देने का हवाला देकर वापस चली गई, जिसके चलते करीब 600 सफाई कामगार बेरोजगार हो चुके हैं.
नगर निगम कर रही सुविधाएं और समय पर वेतन देने का दावा
इस मामले में जब ईटीवी भारत ने सफाई कामगारों का सुपरविजन करने वाले सुपरवाइजर से बात की तो उनका कहना था कि सफाई कामगारों को जरूरत के सभी सामान उपलब्ध कराए जाते हैं फिर चाहे वह मास्क हो या हैंड ग्लब्स, इतना ही नहीं उन्हें नियमित रूप से वेतन भी दिया जाता है.
गौरतलब है कि इसमें काम करने वाले अधिकांश मजदूर गरीब है और वे अपनी छोटी से छोटी आवश्यकता के लिए अपने वेतन पर निर्भर रहते है, ऐसे में इन्हें वेतन नहीं मिलाना इनके लिए बड़ी समस्या बन गया है. अब इस सफाईकर्मियों को सम्मान के पहले अपने वेतन की आस है क्योंकि आज की स्थिति में देखा जाए तो न इन्हें सम्मान मिल रहा है और न ही इनके हक का वेतन..