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निजी स्कूलों में नियमों की उड़ रही हैं धज्जियां, बेची जा रही है कापी-किताबें - जिला शिक्षा अधिकारी

दिल्ली पब्लिक स्कूल छिंदवाड़ा में सरकारी नियमों की अनदेखी करने का सनसनीखेज आरोप लगा है. अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन बच्चों को स्कूल से ही कापी किताबें दी जा रही हैं, जिसकी मोटी कीमत उनसे वसूली जाती है.

निजी स्कूलों में नियमों की उड़ रही हैं धज्जियां
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Published : Mar 24, 2019, 2:02 PM IST

छिंदवाड़ा। दिल्ली पब्लिक स्कूल छिंदवाड़ा में सरकारी नियमों की अनदेखी करने का सनसनीखेज आरोप लगा है. अभिभावकों का आरोपहै कि स्कूल प्रबंधन बच्चों को स्कूल से ही कापी किताबें दी जा रही हैं, जिसकी मोटी कीमत उनसे वसूली जाती है. नियमों के तहत कोई भी स्कूल अपने यहां से कापी-किताबें खरीदने के लिए अभिभावक पर दबाव नहीं बना सकता.

Rules are blowing in private schools
निजी स्कूलों में नियमों की उड़ रही हैं धज्जियां

स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन और प्रिंसिपल से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बोला कि कापी किताबें हम लोग नहीं बेच रहे हैं. स्कूल परिसर के पास एक ट्रक आया था, उसी से कापी-किताबें खरीदी गई हैं.

निजी स्कूलों में नियमों की उड़ रही हैं धज्जियां,


मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नियम के तहत कोई भी स्कूल चाहे एमपी बोर्ड हो या सीबीएसई कॉपी किताबें नहीं बेंच सकता. यदि ऐसा हो रहा है और मामले की उनके पास किसी ने शिकायत की तो जांच के बाद कार्रवाई करेंगे.

छिंदवाड़ा। दिल्ली पब्लिक स्कूल छिंदवाड़ा में सरकारी नियमों की अनदेखी करने का सनसनीखेज आरोप लगा है. अभिभावकों का आरोपहै कि स्कूल प्रबंधन बच्चों को स्कूल से ही कापी किताबें दी जा रही हैं, जिसकी मोटी कीमत उनसे वसूली जाती है. नियमों के तहत कोई भी स्कूल अपने यहां से कापी-किताबें खरीदने के लिए अभिभावक पर दबाव नहीं बना सकता.

Rules are blowing in private schools
निजी स्कूलों में नियमों की उड़ रही हैं धज्जियां

स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन और प्रिंसिपल से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बोला कि कापी किताबें हम लोग नहीं बेच रहे हैं. स्कूल परिसर के पास एक ट्रक आया था, उसी से कापी-किताबें खरीदी गई हैं.

निजी स्कूलों में नियमों की उड़ रही हैं धज्जियां,


मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नियम के तहत कोई भी स्कूल चाहे एमपी बोर्ड हो या सीबीएसई कॉपी किताबें नहीं बेंच सकता. यदि ऐसा हो रहा है और मामले की उनके पास किसी ने शिकायत की तो जांच के बाद कार्रवाई करेंगे.

Intro:सरकारी नियमों की की जा रही अनदेखी, नियमों को ताक पर रखकर कर रहे स्कूल मनमानी, स्कूलों से बेची जा रही है कॉपी किताबें ,अब शिक्षा बन बना लिया है व्यवसाय , शहर के बड़े नामी स्कूलों सरकारी नियम को रखा जा रहा है ताक पर


Body:छिंदवाड़ा
स्कूलों में परीक्षा समाप्त होने के बाद अब नया सत्र शुरू हो गया है नई कक्षाओं में छात्र-छात्राएं पहुंच गए हैं नए कपड़े ड्रेस कॉपी किताबों खरीदी जा रही है
वहीं शहर में स्थित एक बड़ा नामी स्कूल( दिल्ली पब्लिक स्कूल )छिंदवाड़ा खुलेआम सरकारी नियमों की अनदेखी कर रहे हैं पलकों ने बताया स्कूल से उन्हें कॉपी किताबें दी जा रही है जहां सरकारी नियमों के तहत कोई भी स्कूल एमपी बोर्ड या सीबीएसई व कॉपी किताबें नहीं भेज सकता जब हमने पलकों से बात की तो उन्होंने बताया कि इस स्कूल से उन्हें कॉपी किताब दी जा रही है वही एक दूसरे बच्चे से बात की तो उसने बताया कि वह डीपीएस स्कूल में ही पड़ता है कक्षा छठवीं में उसने भी स्कूल से कॉपी किताबें खरीदी है और यह भी बताया कि सभी पालक स्कूल से कॉपी किताबें खरीद रहे हैं
जब हमने स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन और प्रिंसिपल से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे के सामने आकर बोलने से साफ मना कर दिया और उन्होंने बोला कि कॉपी किताबें हम लोग नहीं बेच रहे हैं स्कूल परिसर के बाजू की जगह पर एक ट्रक आया था उस से कॉपी किताबें वितरित हो रही थी परंतु हमने देखा स्कूल परिसर के अंदर ही बुक अवेलेबल का बोर्ड लगा हुआ था जब हम वहां से बात करके निकले बाहर तो वहां बोर्ड हटा दिया गया था वहां से
इस बारे में जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तब उन्होंने बताया नियम के तहत कोई भी स्कूल चाहे एमपी बोर्ड हो या सीबीएसई कॉपी किताबें नहीं भेज सकते और ना ही बात कर सकते हैं यदि ऐसा हो रहा है और हमारे पास शिकायत आएगी तो कलेक्टर साहब और मैं वहां जाएंगे और जांच करेंगे और यदि सही पाया जाता है तो उनकी एनओसी कैंसिल कर दी जाएगी

बाईट 01- अरविंद कुमार चौरगडे, जिला शिक्षा अधिकारी छिंदवाड़ा


Conclusion:आजकल शिक्षा को लोगों ने धंधा बना लिया है शिक्षा की आड़ में वह अपनी दुकानदारी चला रहे हैं पलकों को मजबूर कर मोटी फीस कॉपी किताबें बस फीस वसूल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं
शिक्षा अब मात्र एक व्यवसाय बन चुका है नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती है
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