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मसा देव के दर्शन से लोगों को मसा बीमारी से मिलती है राहत, कई सालों पुरानी है मान्यता

छिंदवाड़ा जिले के पाला चौरी गांव में प्राचीन समय से मसा देव के नाम से प्राचीन वृक्ष और पत्थर हैं.प्राचीन समय से मानता है कि मसा देव के पास जाकर मन्नत करने से मसा नामक बीमारी से लोगों को राहत मिल जाती है.

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Published : Sep 19, 2019, 3:15 AM IST

प्राचीन मसा देव

छिंदवाड़ा। प्राचीन समय से मान्यता है कि मसा देव के पास जाकर मन्नत करने से मसा नामक बीमारी से लोगों को पूर्णता राहत मिल जाती है. छिंदवाड़ा के पाला चोरी रेलवे जंक्शन से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर है मसा देव, वहां तक पहुंचने के लिए काफी दुर्गम रास्ता है. लगभग दलदल से भरा हुआ सड़क, दूर-दूर से मस्से के इलाज के लिए लोग आते हैं मन्नत पूरी होने पर वहां नारियल चढ़ाते हैं और भंडारा कराते है.

प्राचीन मसा देव


छिंदवाड़ा जिले के पाला चौरी गांव में प्राचीन समय से मसा देव के नाम से प्राचीन वृक्ष और पत्थर हैं वहां के निवासियों ने बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि यहां पर आकर पूजा करने वाले लोग जो मसा से पीड़ित व्यक्ति रहता थे. वहां इस वृक्ष और पत्थर रखे हुए हैं वहां आकर मन्नत मांगते थे कि उनके मसा ठीक हो जाए. वह परंपरा अभी भी चली आ रही है. दूर-दूर से लोग यहां पर अपने मस्से की बीमारी के चलते आते हैं. यहां पर एक जीरी है वहां के पानी से नहा कर इस वृक्ष के नीचे मन्नत मांगते हैं और जब उनकी मन्नतें पूरी हो जाती है उसके बाद वहां आकर नारियल चढ़ाते हैं और भंडारा कराते हैं.


पाला चोरी छिंदवाड़ा जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर है यह रेलवे जंक्शन पाला चौरई से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर खेत में यह स्थान है. इस स्थान पर जाने के लिए रेलवे पटरियों से होते हुए दलदल से भरा हुआ लगभग 500 मीटर का रास्ता है. खेत के बीचों बीच में एक पीपल का वृक्ष लगा हुआ है जिस पर झंडे लगे हुए हैं और नीचे पत्रों के पास लोग मन्नत पूरी होने के बाद नारियल चढ़ाते हैं. लोगों ने बताया कि यहां वृक्ष और मन्नत मांगने का सिलसिला उन्होंने बचपन से सुनते आ रहे हैं और उनके सामने उन्होंने कई लोगों को ठीक होते हुए भी देखा है.

छिंदवाड़ा। प्राचीन समय से मान्यता है कि मसा देव के पास जाकर मन्नत करने से मसा नामक बीमारी से लोगों को पूर्णता राहत मिल जाती है. छिंदवाड़ा के पाला चोरी रेलवे जंक्शन से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर है मसा देव, वहां तक पहुंचने के लिए काफी दुर्गम रास्ता है. लगभग दलदल से भरा हुआ सड़क, दूर-दूर से मस्से के इलाज के लिए लोग आते हैं मन्नत पूरी होने पर वहां नारियल चढ़ाते हैं और भंडारा कराते है.

प्राचीन मसा देव


छिंदवाड़ा जिले के पाला चौरी गांव में प्राचीन समय से मसा देव के नाम से प्राचीन वृक्ष और पत्थर हैं वहां के निवासियों ने बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि यहां पर आकर पूजा करने वाले लोग जो मसा से पीड़ित व्यक्ति रहता थे. वहां इस वृक्ष और पत्थर रखे हुए हैं वहां आकर मन्नत मांगते थे कि उनके मसा ठीक हो जाए. वह परंपरा अभी भी चली आ रही है. दूर-दूर से लोग यहां पर अपने मस्से की बीमारी के चलते आते हैं. यहां पर एक जीरी है वहां के पानी से नहा कर इस वृक्ष के नीचे मन्नत मांगते हैं और जब उनकी मन्नतें पूरी हो जाती है उसके बाद वहां आकर नारियल चढ़ाते हैं और भंडारा कराते हैं.


पाला चोरी छिंदवाड़ा जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर है यह रेलवे जंक्शन पाला चौरई से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर खेत में यह स्थान है. इस स्थान पर जाने के लिए रेलवे पटरियों से होते हुए दलदल से भरा हुआ लगभग 500 मीटर का रास्ता है. खेत के बीचों बीच में एक पीपल का वृक्ष लगा हुआ है जिस पर झंडे लगे हुए हैं और नीचे पत्रों के पास लोग मन्नत पूरी होने के बाद नारियल चढ़ाते हैं. लोगों ने बताया कि यहां वृक्ष और मन्नत मांगने का सिलसिला उन्होंने बचपन से सुनते आ रहे हैं और उनके सामने उन्होंने कई लोगों को ठीक होते हुए भी देखा है.

Intro:छिंदवाड़ा
प्राचीन समय से मानता है कि मसा देव के पास जाकर मन्नत करने से मसा नामक बीमारी से लोगों को पूर्णता राहत मिल जाती है पाला चोरी रेलवे जंक्शन से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर है मसा देव, वहां तक पहुंचने के लिए काफी दुर्गम रास्ता है लगभग दलदल से भरा हुआ सड़क, दूर-दूर से मस्से के इलाज के लिए लोग आते हैं मन्नत पूरी होने पर वहां नारियल चाहते हैं और भंडारा कराते हैं
(मस्से की मीनिंग -warts)


Body:छिंदवाड़ा जिले के पाला चौरी गांव में प्राचीन समय से मसा देव के नाम से प्राचीन वृक्ष और पत्थर हैं वहां के निवासियों ने बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि यहां पर आकर पूजा करने वाले लोग जो मसा से पीड़ित व्यक्ति रहता थे वहां इस वृक्ष और पत्थर रखे हुए हैं वहां आकर मन्नत मांगते थे कि उनके मसा ठीक हो जाए वाह कुछ समय बाद वह बिल्कुल ठीक हो जाते थे वह परंपरा अभी भी चली आ रही है दूर-दूर से लोग यहां पर अपने मस्से की बीमारी के चलते आते हैं यहां पर एक जीरी है वहां पर पानी नहा कर इस वृक्ष के नीचे मन्नत मांगते हैं और जब उनकी मन्नते पूरी हो जाती है उसके बाद वहां आकर भंडारा और नारियल चढ़ाते हैं
पाला चोरी छिंदवाड़ा जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर है यह रेलवे जंक्शन पाला चौरई से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर खेत में यह स्थान है इस स्थान पर जाने के लिए रेलवे पटरियों से होते हुए दलदल से भरा हुआ लगभग 500 मीटर का रास्ता है जो खेत के बीचो बीच में एक पीपल का वृक्ष लगा हुआ है उस पर झंडे लगे हुए हैं और नीचे पत्रों के पास लोग मन्नत पूरी होने के बाद नारियल चढ़ाते हैं लोगों ने बताया कि यहां वृक्ष और मन्नत मांगने का सिलसिला उन्होंने बचपन से सुनते आ रहे हैं और उनके सामने उन्होंने कई लोगों को ठीक होते हुए भी देखा है

बाईट -01- छाया साहू ,स्थानीय निवासी
बाईट-02- राजेश पवार, जिनमें के खेत में है मसा देव( वृक्ष और पत्थर)
बाईट-03- रामाप्रसाद पवार, स्थानीय निवासी
बाईट -04- राम प्रसाद ,स्थानीय निवासी



Conclusion:
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