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जैव विविधता की विरासत में बदलेंगी पातालकोट की हसीन वादियां, प्रदेश सरकार ने राजपत्र में किया उल्लेख - पातालकोट

पातालकोट की हसीन वादियां अब जैव विविधता विरासत में बदलेंगी, जिसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे इलाके की आठ हजार हेक्टेयर जमीन का चयन किया है. पातालकोट इलाके में फैली जंगलों की वनस्पतियों और प्राणियों का संरक्षण किया जाएगा

जैव विविधता विरासत में बदलेगा पातालकोट
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Published : Feb 19, 2019, 12:20 PM IST

छिंदवाड़ा। पातालकोट की हसीन वादियां अब जैव विविधता विरासत में बदलेंगी, जिसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे इलाके की आठ हजार हेक्टेयर जमीन का चयन किया है. पातालकोट इलाके में फैली जंगलों की वनस्पतियों और प्राणियों का संरक्षण किया जाएगा जिसका जिम्मा राज्य विविधता मंडल को सौंपा गया है जिसके लिए बाकायदा मध्य प्रदेश सरकार के राजपत्र में इसका उल्लेख भी कर दिया गया है.

जैव विविधता विरासत में बदलेगा पातालकोट
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मध्यप्रदेश सरकार के राजपत्र की अधिसूचना के हिसाब से पातालकोट के पूर्व एवं पश्चिम बन मंडल के अधीन संरक्षित क्षेत्र 8367.49 हेक्टेयर में फैला हुआ है. इसमें पूर्व मंडल की छिंदी रेंज का 4305.25 हैक्टेयर शामिल हैं, तो वहीं पश्चिम बन मंडल के तामिया रेंज का 4262.24 हेक्टेयर का एरिया शामिल किया गया है, जैव विविधता विरासत स्थल को बनाने के के लिए सरकार ने पूरे इलाके का चयन किया है जिससे कि यहां पर पाई जाने वाली बेशकीमती दुर्लभ जड़ी बूटियों के अलावा यहां के प्राणियों का संरक्षण किया जा सके और पातालकोट का नाम विश्व स्तर पर हो सके.


हालांकि पातालकोट के वनवासियों का जीवन स्तर अब पहले जैसा नहीं रहा है आम लोगों की तरह जिंदगी जीने वाली पातालकोट के वनवासियों में ज्यादातर भारिया जनजाति के लोग निवास करते हैं लेकिन खास बात यह है कि यहां की जनजाति को जड़ी बूटियों का अनोखा व पारंपरिक ज्ञान हैं जिसका उपयोग वे औषधि बनाने के लिए करते हैं. सरकार चाहती है कि ऐसी दुर्लभ जड़ी बूटियां को संरक्षित किया जाए इसके लिए पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है.

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छिंदवाड़ा। पातालकोट की हसीन वादियां अब जैव विविधता विरासत में बदलेंगी, जिसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे इलाके की आठ हजार हेक्टेयर जमीन का चयन किया है. पातालकोट इलाके में फैली जंगलों की वनस्पतियों और प्राणियों का संरक्षण किया जाएगा जिसका जिम्मा राज्य विविधता मंडल को सौंपा गया है जिसके लिए बाकायदा मध्य प्रदेश सरकार के राजपत्र में इसका उल्लेख भी कर दिया गया है.

जैव विविधता विरासत में बदलेगा पातालकोट
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मध्यप्रदेश सरकार के राजपत्र की अधिसूचना के हिसाब से पातालकोट के पूर्व एवं पश्चिम बन मंडल के अधीन संरक्षित क्षेत्र 8367.49 हेक्टेयर में फैला हुआ है. इसमें पूर्व मंडल की छिंदी रेंज का 4305.25 हैक्टेयर शामिल हैं, तो वहीं पश्चिम बन मंडल के तामिया रेंज का 4262.24 हेक्टेयर का एरिया शामिल किया गया है, जैव विविधता विरासत स्थल को बनाने के के लिए सरकार ने पूरे इलाके का चयन किया है जिससे कि यहां पर पाई जाने वाली बेशकीमती दुर्लभ जड़ी बूटियों के अलावा यहां के प्राणियों का संरक्षण किया जा सके और पातालकोट का नाम विश्व स्तर पर हो सके.


हालांकि पातालकोट के वनवासियों का जीवन स्तर अब पहले जैसा नहीं रहा है आम लोगों की तरह जिंदगी जीने वाली पातालकोट के वनवासियों में ज्यादातर भारिया जनजाति के लोग निवास करते हैं लेकिन खास बात यह है कि यहां की जनजाति को जड़ी बूटियों का अनोखा व पारंपरिक ज्ञान हैं जिसका उपयोग वे औषधि बनाने के लिए करते हैं. सरकार चाहती है कि ऐसी दुर्लभ जड़ी बूटियां को संरक्षित किया जाए इसके लिए पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है.

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Intro:पातालकोट की हसीन वादियां अब जैव विविधता विरासत में परिवर्तित होंगी, जिसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे इलाके की आठ हजार हेक्टेयर जमीन का चयन किया है, पातालकोट इलाके में फैली जंगलों की वनस्पतियों और प्राणियों का संरक्षण किया जाएगा जिसका जिम्मा राज्य विविधता मंडल को सौंपा गया है जिसके लिए बकायदा मध्य प्रदेश सरकार के राजपत्र में इसका उल्लेख भी कर दिया गया है।


Body:मध्य प्रदेश सरकार के राजपत्र की अधिसूचना के हिसाब से पातालकोट के पूर्व एवं पश्चिम बन मंडल के अधीन संरक्षित क्षेत्र 8367.49 हेक्टेयर में फैला हुआ है इसमें पूर्व मंडल की छिंदी रेंज का 4305.25 हैक्टेयर शामिल है तो वहीं पश्चिम बन मंडल के तामिया रेंज का 4262.24 हेक्टेयर का एरिया शामिल किया गया है, जैव विविधता विरासत स्थल को बनाने के के लिए सरकार ने पूरे इलाके का चयन किया है जिससे कि यहां पर पाई जाने वाली बेशकीमती दुर्लभ जड़ी बूटियों के अलावा यहां के प्राणियों का संरक्षण किया जा सके और पातालकोट का नाम विश्व स्तर पर हो सके।

हालांकि पातालकोट के वनवासियों का जीवन स्तर अब पहले जैसा नहीं रहा है आम लोगों की तरह जिंदगी जीने वाली पातालकोट के वनवासियों में ज्यादातर भारिया जनजाति के लोग निवास करते हैं लेकिन खास बात यह है कि यहां की जनजाति को जड़ी बूटियों का अनोखा व पारंपरिक ज्ञान हैं जिसका उपयोग वे औषधि बनाने के लिए करते हैं। सरकार चाहती है कि ऐसी दुर्लभ जड़ी बूटियां को संरक्षित किया जाए इसके लिए पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है।


Conclusion:पातालकोट को जैव विविधता विरासत घोषित करने के बाद यहां की जड़ी बूटियां तो संरक्षित होंगी ही साथ ही इलाके के दुर्लभ जड़ी बूटियों के जानकार स्थानीय वनवासियों के लिए काफी अहम साबित होगा क्योंकि इसके माध्यम से भी अपनी रोजी रोटी को और सशक्त बना सकते हैं।
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