छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में 11 साल बाद संतरे का परिवहन भले ही शुरू किया गया हो, लेकिन अन्य राज्यों में संतरे के परिवहन में परेशानी बढ़ गई है. आलम ये है कि, बांग्लादेश और कोलकाता में संतरे के परिवहन पर नो एंट्री लग गई है, जिससे व्यापारियों की टेंशन बढ़ गई है.
संतरे के परिवहन को लेकर व्यापारी परेशान
ऑरेंज सिटी के नाम से पूरे देश मे पांढुर्णा के संतरे की अलग पहचान बनी हुई है. एक ओर किसानों को उनकी मेहनत के मुताबिक संतरे के दाम नहीं मिल रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ संतरे के परिवहन को लेकर व्यापारी परेशान हैं.
संतरे के व्यावसाय पर मंदी की मार
व्यापारियों के मुताबिक बांग्लादेश का बॉर्डर बंद है. वहीं कोलकाता में दशहरे को लेकर नो एंट्री का बोर्ड लग गया है. जिससे संतरे के परिवहन पर ब्रेक सा लग गया है. मंडियों में अंबिया बहार के संतरे भरे पड़े हैं, लेकिन परिवहन नहीं हो रहा है. हालांकि रेलवे के वैगन से संतरे का परिवहन लगातार जारी हैं, लेकिन संतरों का परिवहन नहीं होने से इसके व्यावसाय पर मंदी की मार छाई हुई है. जिसका खामियाजा संतरा व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है.
व्यापारियों का कहना हैं कि, नई दिल्ली तक भले ही रेलवे के माध्यम से संतरे का परिवहन हो रहा हैं, लेकिन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से व्यापारियों के संतरे को मंडी तक पहुंचाने में काफी खर्चा आ रहा हैं. जिससे व्यापारी भी संतरे को खरीदने में संकोच कर रहे हैं.
किसानों को नहीं मिल रहे संतरों के दाम
पांढुर्णा में इस वर्ष अंबिया संतरे की बंपर आवक हुई है, लेकिन किसानों को उनके खर्चे के मुताबिक संतरे के दाम नहीं मिल रहे हैं. वर्तमान में किसानों को महज 12 रुपए से 15 रुपए तक संतरे के दाम मिल रहे हैं, जबकि किसानों को 25 रुपए तक संतरे के दाम मिलने चाहिए. वहीं संतरे की पेटी महज 800 रुपए में बिक रही हैं. जिससे व्यापारियों का खर्चा अधिक मुनाफा कम हो रहा है.