छिंदवाड़ा। मदर्स डे यानि माता का दिन, जी हां इंसान के पैदा होने से पहले और पैदा होने के बाद सबसे पहला परिचय अपनी मां से होता है और वो मां ही होती है जो बिन कुछ कहे अपने बच्चों के सभी दुखों को समेट लेती है. वो मां ही होती है जो बिन मांगे सबकुछ अपने बच्चे के लिए कुर्बान कर देती है. और हां वो मां ही होती है जो इंसान की सबसे पहली गुरू होती है. किसी ने सही कहा है कि मां, ईश्वर का दूसरा रूप है क्योंकि ईश्वर हर जगह हर इंसान के साथ मौजूद नहीं रह सकता है, इसलिए उन्होंने मां को भेजा है.
अब बात करते हैं मदर्स डे 2020 की, जी हां इन दिनों देश एक महामारी के सफर से गुजर रहा है और कोरोना संकट काल में कई माताएं ऐसी हैं जो लगातार देश सेवा में लगी हैं ऐसी ही एक मां हैं छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा थाना में तैनात हैं, इनका नाम हैं शशि विश्वकर्मा, इनकी 6 साल की बेटी कहती हैं कि मुझे गर्व है कि मेरी मां देश सेवा कर रही हैं और मैं भी कलेक्टर बनकर देश सेवा करना चाहती हूं.
छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा थाने में पदस्थ थाना प्रभारी शशि विश्वकर्मा अपनी 6 साल की बेटी रिमझिम के साथ अकेली रहती हैं, पुलिस की नौकरी में ड्यूटी का कोई समय निश्चित नहीं होता है लेकिन कोरोना संक्रमण काल के चलते अब तो मां और बेटी के बीच और भी कम वक्त निकल पाता है.
थाना प्रभारी शशि विश्वकर्मा कहती हैं कि इस समय वह 24 घंटे नौकरी में रहती हैं तो घर कब आती हैं. ये पता नहीं रहता लेकिन जब भी आती हैं. तो उनकी बेटी मां के इंतजार में उन्हें जागते हुए मिलती है और सबसे पहले बेटी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सेनिटाइजर से लेकर सारी जरूरत की चीजें मां को देती हैं और उसके बाद दिनभर की कार्रवाई बिल्कुल एक पुलिस ऑफिसर की तरह मां से पूछती हैं कि, मां आज दिन भर क्या हुआ और आप लेट क्यों आई हैं?
थाना प्रभारी बताती हैं कि कोरोना का वायरस जाने-अनजाने में कहीं घर तक न पहुंच जाएं इसलिए वो सुबह एक बार ड्यूटी के लिए निकलती है तो दिन में भोजन करने आती हैं लेकिन बाहर से ही भोजन करके चली जाती हैं. सारा काम खत्म करके जब समय मिलता है रात में घर आती हैं.
बेटी रिमझिम कहती हैं कि उन्हें अपनी मां पर गर्व है कि वो पुलिस की नौकरी करके देश सेवा कर रही है. रिमझिम भी कलेक्टर बनकर देश सेवा करना चाहती हैं इसलिए अपनी मां के बनाए गए हर रास्ते पर चलकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही हैं, और मां ही हैं जो अपने बच्चों को सबसे बेहतर सफर का रास्ता दिखाती हैं, इसलिए किसी ने सही कहा है कि, 'मां न होती तो वफा कौन करेगा. ममता का हक कौन अदा करेगा और रब हर एक मां को सलामत रखना वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा'.