छिंदवाड़ा / भोपाल । कोरोना काल के दौरान छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने मजदूरों को मनरेगा के तहत खूब काम दिया. अब वही मजदूर काम करने के बाद मजदूरी के लिए तरस रहे हैं. पिछले डेढ़ महीने से मजदूरों को पेमेंट नहीं मिला है. जिले में मजदूरों का 34 करोड़ रुपए सरकार पर बकाया है.
28 जनवरी से नहीं हुआ मनरेगा में भुगतान
छिंदवाड़ा जिला दिसंबर तक कोरोना काल में प्रदेश में सबसे ज्यादा मजदूरों को काम देने वाला जिला बना था. उस वक्त जिले का देशभर में काफी नाम हुआ था. प्रशासन की भी तारीफ हुई थी. काम बहुत हुआ, जब बात भुगतान की आई तो जिला पिछड़ गया. 28 जनवरी के बाद मनरेगा में मजदूरी करने वाले मजदूरों को भुगतान नहीं हुआ. जिले में अब तक 34 करोड़ रुपए मनरेगा के मजदूरों का बकाया हो गया है.
कांग्रेस ने उठाए सवाल
मनरेगा में मजदूरों का पेमेंट नहीं होने के मामले में कांग्रेस ने सवाल उठाए हें. कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना ने सरकार पर निशाना साधा है. दीपक सक्सेना ने कहा, कि सरकार सिर्फ चुनावों में व्यस्त है. बड़े-बड़े वादे कर रही है. जो सरकार मजदूरों को भुगतान तक नहीं दे पा रही वो प्रदेश का विकास क्या करेगी.
97 लाख से ज्यादा दिनों का मिला है रोजगार
भौगोलिक रूप से मध्य प्रदेश का सबसे बड़े जिले है छिंदवाड़ा. इस लिहाज से मनरेगा का काम भी खूब हुआ. जिले में अब तक 97 लाख 37 हजार 515 मानव दिवस का रोजगार दिया जा चुका है. जिसमें से 183 हजार 55 परिवारों के 3लाख 19हजार 971 लोगों को रोजगार दिया गया है. छिंदवाड़ा जिले में 17 हजार 588 काम अब तक पूरे किए जा चुके हैं.
मध्यप्रदेश में मजदूरों का 700 करोड़ रुपए बकाया
पूरे राज्य की बात करें, तो मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी का बकाया 700 करोड़ तक पहुंच गया है. सरकारी आंकड़ों की मानें, तो रोजाना 21 लाख लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है.
मनरेगा की वेबसाइट के मुताबिक राज्य में मनरेगा की स्थिति इस तरह है.
- राज्य में मनरेगा का हाल
जॉब कार्ड | 86.34 लाख |
कुल मजदूर | 189.05 लाख |
एक्टिव मजदूर | 121.29 लाख |
मजदूरी प्रति दिन | 179.32 रु |
अभी तक जारी किया गया फंड | 851037.11 लाख रु |
कुल राशि | 918361.61 लाख रु |
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 98 .97 प्रतिशत की राशि का भुगतान इस वित्तीय वर्ष के आखिर में कर दिया जाएगा .
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डगमगाया सरकार पर भरोसा
सरकारी योजना पर भरोसा करके मजदूर काम पर जाता है. उसे यकीन होता है कि समय पर मजदूरी मिलेगी, तो परिवार चलता रहेगा. पिछले डेढ़ महीने से मजदूरों को पैसा नहीं मिला. घर की माली हालत बिगड़ने लगी. सरकार पर भरोसा डगमगाने लगा. मजदूरों का मनरेगा से मोहभंग होने लगा. हालात ये हो गए, कि मजदूरों की संख्या पहले के मुकाबले 10 फीसदी रह गई.