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मुंबई लैक्मे फैशन वीक में पहुंचे छिंदवाड़ा के अंकुश, मंच से गिनाए जैविक कपास के फायदे

मुंबई लैक्मे फैशन वीक में छिंदवाड़ा के छोटे से गांव के किसान अकुंश पहुंचे. जहां उन्होंने लैक्मे फैशन वीक के मंच से जैविक कपास के फायदे गिनाए.

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Published : Sep 19, 2019, 4:37 AM IST

लैक्मे फैशन वीक के मंच पर अंकुश

छिन्दवाड़ा। जिस मंच पर बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और मॉडल शिरकत करते हैं. आम नागरिक को उस मंच तक पहुंचना आसान नहीं होता, लेकिन मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के एक युवा किसान ने अपने काम के जरिए उस मंच तक पहुंचने में सफलता हासिल की है. छिंदवाड़ा के अंकुश पाटिल ने मुंबई लैक्मे फैशन वीक के मंच पर जैविक कपास की खेत के फायदे गिनाए.

लैक्मे फैशन वीक के मंच पर अंकुश

दरअसल कपास की खेती बिना रसायन के उपयोग के असंभव मानी जाती है, लेकिन छिंदवाड़ा के जोबनी खापा के रहने वाले युवा किसान अंकुश पाटिल ने 3 साल पहले जैविक कपास ऊगाना शुरू किया. एमबीए की पढ़ाई कर चुके अंकुश पाटिल ने नौकरी ना कर खेती की तरफ रुख किया और जैविक कपास ऊगाना शुरू किया. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अंकुश का ने बताया कि आमतौर पर जैविक कपास से बने कपड़े और रासायनिक कपास से बने कपड़ों में ज्यादा अंतर नहीं होता है लेकिन जब आप उन कपड़ों को पहनते हैं तो समझ में आता है कि आपने कौन से कपड़े पहने हैं.

अकुंश की ईटीवी भारत से खास बात

अंकुश पाटिल का मानना है कि जैविक कपास से बने कपड़ों से शरीर में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है. अंकुश पाटिल ने बताया कि वे पहली बार मुंबई गए और लैक्मे फैशन वीक जैसे बड़े फैशन शो में उन्होंने कभी जाने की सोची भी नहीं थी, लेकिन वहां जाकर उन्होंने वहां पर आए बड़े-बड़े फैशन डिजाइनरों को जैविक कपास से बनने वाले कपड़ों के फायदे के बारे में बताया भी.

छिन्दवाड़ा। जिस मंच पर बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और मॉडल शिरकत करते हैं. आम नागरिक को उस मंच तक पहुंचना आसान नहीं होता, लेकिन मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के एक युवा किसान ने अपने काम के जरिए उस मंच तक पहुंचने में सफलता हासिल की है. छिंदवाड़ा के अंकुश पाटिल ने मुंबई लैक्मे फैशन वीक के मंच पर जैविक कपास की खेत के फायदे गिनाए.

लैक्मे फैशन वीक के मंच पर अंकुश

दरअसल कपास की खेती बिना रसायन के उपयोग के असंभव मानी जाती है, लेकिन छिंदवाड़ा के जोबनी खापा के रहने वाले युवा किसान अंकुश पाटिल ने 3 साल पहले जैविक कपास ऊगाना शुरू किया. एमबीए की पढ़ाई कर चुके अंकुश पाटिल ने नौकरी ना कर खेती की तरफ रुख किया और जैविक कपास ऊगाना शुरू किया. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अंकुश का ने बताया कि आमतौर पर जैविक कपास से बने कपड़े और रासायनिक कपास से बने कपड़ों में ज्यादा अंतर नहीं होता है लेकिन जब आप उन कपड़ों को पहनते हैं तो समझ में आता है कि आपने कौन से कपड़े पहने हैं.

अकुंश की ईटीवी भारत से खास बात

अंकुश पाटिल का मानना है कि जैविक कपास से बने कपड़ों से शरीर में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है. अंकुश पाटिल ने बताया कि वे पहली बार मुंबई गए और लैक्मे फैशन वीक जैसे बड़े फैशन शो में उन्होंने कभी जाने की सोची भी नहीं थी, लेकिन वहां जाकर उन्होंने वहां पर आए बड़े-बड़े फैशन डिजाइनरों को जैविक कपास से बनने वाले कपड़ों के फायदे के बारे में बताया भी.

Intro:छिन्दवाड़ा। जिस मंच पर बड़े बड़े सेलिब्रिटी और मॉडल देखने को मिलते हैं वहां पर छिंदवाड़ा के एक छोटे से गांव के युवा किसान ने छिंदवाड़ा के कपास से बनने वाले कपड़ो के बारे में मुंबई के लैक्मे फैशन वीक के मंच पर जैविक कपास की खेती के फायदे गिनाए।


Body:दरअसल कपास की खेती बिना रसायन के उपयोग के असंभव मानी जाती है लेकिन छिंदवाड़ा के जोबनी खापा के रहने वाले युवा किसान अंकुश पाटिल ने 3 साल पहले जैविक कपास ऊगाना शुरू किया एमबीए की पढ़ाई कर चुके अंकुश पाटिल ने नौकरी ना कर खेती की तरफ रुख किया और जैविक कपास ऊगाना शुरू किया अंकुश का कहना है कि आमतौर पर जैविक कपास से बने कपड़े और रासायनिक कपास से बने कपड़ों में ज्यादा अंतर नहीं होता है लेकिन जब आप उन कपड़ों को पहनते हैं तो समझ में आता है कि आपने कौन से कपड़े पहने हैं अंकुश पाटिल का मानना है कि जैविक कपास से बने कपड़ों से शरीर में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है।


Conclusion:अंकुश पाटिल ने बताया कि वे पहली बार मुंबई गए और लैक्मे फैशन वीक जैसे बड़े फैशन शो में उन्होंने कभी जाने की सोची भी नहीं थी लेकिन वहां जाकर उन्होंने वहां पर आए बड़े-बड़े फैशन डिजाइनरों को जैविक कपास से बनने वाले कपड़ों के फायदे के बारे में बताया भी।

121- अंकुश पाटिल,किसान
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