छिंदवाड़ा। 06 जुलाई 2020 से श्रावण मास शुरू हो रहा है. सोमवार से शुरू हो रहे श्रावण का पहला सोमवार भी उसी दिन है. सनातन धर्म में इस सोमवार का खासा महत्व है. कहा जाता है कि श्रावण सोमवार में भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने से लक्ष्मी, सुख और संपत्ति की प्राप्त होती है.
श्रावण सोमवार का क्यों है महत्व
पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु सो जाते हैं और चतुर्दशी के दिन भगवान शिव सो जाएंगे. भगवान विष्णु के सोने के बाद भगवान भोलेनाथ पर सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी होती हैय चतुर्दशी के दिन जब भगवान शिव सो जाते हैं तो उस दिन को शिव शयानोत्सव के नाम से जाना जाता है. तब वह अपने दूसरे रूप रुद्र अवतार में सृष्टि का संचालन करते हैं. भगवान रुद्र की स्तुति ऋग्वेद में बलवान में ज्यादा बलवान कह कर की जाती है. कहा जाता है कि भगवान शिव चातुर्मास में जागते रहते हैं. भगवान भोलेनाथ हमेशा से ही अपने भोले स्वाभाव के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में श्रावण में लगातार उनकी आराधना करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं.
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चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ला एकादशी तक चलता है. चतुर्मास में मांगलिक काम नहीं होते और धार्मिक कार्यों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. चातुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास आते हैं. कहा जाता है कि श्रावण सोमवार को सच्चे मन और निष्ठा से पूजा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाही इच्छा पूरी करते हैं.
चतुर्मास में क्या है वर्जित
चातुर्मास के महीनों में विवाह संस्कार, गृह प्रवेश आदि मांगलिक काम निश्चित ही नहीं करने चाहिए, इस व्रत में दूध, शक्कर, दही, तेल, बंगाल, पत्तेदार सब्जियां, नमक, मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं किया जाता है. श्रावण में पत्तेदार सब्जियां, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज-लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है.