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43 सालों से राजनीति के शिखर पर कमलनाथ के सियासी भविष्य पर सवाल, क्या इस बार बना पाएंगे अपने नेतृत्व में सरकार

Kamalnath Political Career: एमपी में चुनावी वोटिंग का इंतजार है सभी को. ऐसे में कई ऐसे नेता हैं, जिनके राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है. ऐसे में सभी की नजर छिंदवाड़ा पर है. जहां से कांग्रेस के पीसीसी चीफ कमलनाथ चुनावी मैदान में है. ऐसे में राजनीतिक चर्चा है कि अगर कमलनाथ मुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो उनका राजनीतिक वजूद समाप्त हो जाएगा.

Madhya Pradesh Vidhan Sabha Chunav
कमलनाथ का सियासी भविष्य
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 5:10 PM IST

छिन्दवाड़ा। 43 सालों से छिंदवाड़ा जिले की राजनीति कर देश विदेश में पहचान कायम करने वाले कमलनाथ के लिए इलाके में अभी नहीं तो कभी नहीं का नारा केवल नारा ही नहीं बल्कि पूरी राजनीति दांव पर लगी है. ये हकीकत है. 2023 विधानसभा के नतीजे कमलनाथ के बेटे छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ की राजनीतिक भविष्य का भी फैसला करेंगे. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पूर्व सीएम कमलनाथ अगर इस बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो उनका राजनीतिक वजूद खत्म होने की शुरुआत हो जाएगी.

छिंदवाड़ा ही नहीं बल्कि पूरे महाकौशल में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वोट मांगे हैं. छिंदवाड़ा में तो खुलकर एक नारा भी चला कमलनाथ अभी नहीं तो कभी नहीं. इतना ही नहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया से लेकर अन्य प्लेटफार्म पर इसे कमलनाथ का अंतिम चुनाव बताते हुए सम्मानजनक राजनीतिक विदाई के संकेत भी दिए हैं.

बेटे सांसद नकुलनाथ का राजनीतिक भविष्य भी नतीजे से होगा तय: 77 साल की उम्र पार कर चुके कमलनाथ के लिए यह विधानसभा चुनाव सबसे अहम है. 9 बार छिंदवाड़ा से सांसद रहने के बाद छिंदवाड़ा से ही मुख्यमंत्री बने. कई बार केंद्रीय मंत्री रहे, सिर्फ एक चुनाव 1997 में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से हारे. इस अजेय योद्धा के लिए मुख्यमंत्री नहीं बनना उनके बेटे छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ के राजनीतिक भविष्य पर भी संकट खड़ा कर सकता है.

अगर कमलनाथ मुख्यमंत्री बनते हैं, तो 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में बेटे नकुलनाथ के लिए रास्ते आसान हो सकते हैं. वरना बीजेपी की रणनीति के तहत छिंदवाड़ा में अब कमलनाथ और उनके परिवार के लिए काफी परेशानी होगी.

2018 में कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए थे कमलनाथ: 15 सालों से सत्ता का वनवास झेल रही कांग्रेस को कमलनाथ ने साल 2018 के चुनाव में वापसी करवाई थी. 2018 के विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले ही कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे. 6 महीने में ही उन्होंने कांग्रेस को सत्ता में वापस लेकर आ गए थे. उस दौरान कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए.

कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद वे लगातार मध्य प्रदेश में ही डटे रहे. 5 साल तक लगातार उन्होंने कांग्रेस संगठन को मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के सामने मजबूती से खड़ा रखा. इतना ही नहीं वे खुद नेता प्रतिपक्ष भी रहे. एक बार फिर कमलनाथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं.

विधानसभा में बीजेपी रणनीति में सफल होते आई नजर: कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव को लेकर छिंदवाड़ा में ही कमलनाथ को घेरने के लिए चक्रव्यूह रचा. मार्च में ही छिंदवाड़ा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने महाविजय अभियान की शुरुआत छिंदवाड़ा में की. उसके बाद कई केंद्रीय मंत्रियों सहित बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं को छिंदवाड़ा की जिम्मेदारी दी.

जिसका असर विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान देखने को मिला. जहां खुद कमलनाथ ने अपने विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी अपने बेटे सांसद नकुलनाथ को दी. खुद ने भी मोर्चा संभाला जिसके चलते उनका आधा दिन छिंदवाड़ा में ही चुनावी तैयारी में चला जाता था. भाजपा भी इसी रणनीति में काम कर रही थी. कमलनाथ छिंदवाड़ा में ही व्यस्त रहें. बीजेपी ने अपनी रणनीति में काफी हद तक सफलता भी पाई.

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छिन्दवाड़ा। 43 सालों से छिंदवाड़ा जिले की राजनीति कर देश विदेश में पहचान कायम करने वाले कमलनाथ के लिए इलाके में अभी नहीं तो कभी नहीं का नारा केवल नारा ही नहीं बल्कि पूरी राजनीति दांव पर लगी है. ये हकीकत है. 2023 विधानसभा के नतीजे कमलनाथ के बेटे छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ की राजनीतिक भविष्य का भी फैसला करेंगे. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पूर्व सीएम कमलनाथ अगर इस बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो उनका राजनीतिक वजूद खत्म होने की शुरुआत हो जाएगी.

छिंदवाड़ा ही नहीं बल्कि पूरे महाकौशल में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वोट मांगे हैं. छिंदवाड़ा में तो खुलकर एक नारा भी चला कमलनाथ अभी नहीं तो कभी नहीं. इतना ही नहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया से लेकर अन्य प्लेटफार्म पर इसे कमलनाथ का अंतिम चुनाव बताते हुए सम्मानजनक राजनीतिक विदाई के संकेत भी दिए हैं.

बेटे सांसद नकुलनाथ का राजनीतिक भविष्य भी नतीजे से होगा तय: 77 साल की उम्र पार कर चुके कमलनाथ के लिए यह विधानसभा चुनाव सबसे अहम है. 9 बार छिंदवाड़ा से सांसद रहने के बाद छिंदवाड़ा से ही मुख्यमंत्री बने. कई बार केंद्रीय मंत्री रहे, सिर्फ एक चुनाव 1997 में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से हारे. इस अजेय योद्धा के लिए मुख्यमंत्री नहीं बनना उनके बेटे छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ के राजनीतिक भविष्य पर भी संकट खड़ा कर सकता है.

अगर कमलनाथ मुख्यमंत्री बनते हैं, तो 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में बेटे नकुलनाथ के लिए रास्ते आसान हो सकते हैं. वरना बीजेपी की रणनीति के तहत छिंदवाड़ा में अब कमलनाथ और उनके परिवार के लिए काफी परेशानी होगी.

2018 में कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए थे कमलनाथ: 15 सालों से सत्ता का वनवास झेल रही कांग्रेस को कमलनाथ ने साल 2018 के चुनाव में वापसी करवाई थी. 2018 के विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले ही कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे. 6 महीने में ही उन्होंने कांग्रेस को सत्ता में वापस लेकर आ गए थे. उस दौरान कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए.

कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद वे लगातार मध्य प्रदेश में ही डटे रहे. 5 साल तक लगातार उन्होंने कांग्रेस संगठन को मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के सामने मजबूती से खड़ा रखा. इतना ही नहीं वे खुद नेता प्रतिपक्ष भी रहे. एक बार फिर कमलनाथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं.

विधानसभा में बीजेपी रणनीति में सफल होते आई नजर: कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव को लेकर छिंदवाड़ा में ही कमलनाथ को घेरने के लिए चक्रव्यूह रचा. मार्च में ही छिंदवाड़ा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने महाविजय अभियान की शुरुआत छिंदवाड़ा में की. उसके बाद कई केंद्रीय मंत्रियों सहित बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं को छिंदवाड़ा की जिम्मेदारी दी.

जिसका असर विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान देखने को मिला. जहां खुद कमलनाथ ने अपने विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी अपने बेटे सांसद नकुलनाथ को दी. खुद ने भी मोर्चा संभाला जिसके चलते उनका आधा दिन छिंदवाड़ा में ही चुनावी तैयारी में चला जाता था. भाजपा भी इसी रणनीति में काम कर रही थी. कमलनाथ छिंदवाड़ा में ही व्यस्त रहें. बीजेपी ने अपनी रणनीति में काफी हद तक सफलता भी पाई.

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