छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने गढ़ को इस बार बचा लिया है. छिंदवाड़ा में कांग्रेस को 18 साल बाद महापौर मिला है. वहीं, भाजपा नगर निगम में ही नौकरी करने वाली असिस्टेंट कमिश्नर अनंत धुर्वे को मैदान में उतारा था. भाजपा के कई आदिवासी चेहरे थे, जो टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी की आपसी गुटबाजी के चलते पार्टी के कार्यकर्ताओं को टिकट न देकर पैराशूट कैंडिडेट उतारा गया, जिसे ना तो पार्टी के कार्यकर्ता स्वीकार कर पाए और ना ही शहर की जनता.
बीजेपी में दो दिग्गजों में नहीं बन पाया समन्वय : छिंदवाड़ा जिले में भाजपा में आपसी गुटबाजी चरम पर है. भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू ने टिकट वितरण में अपने चहेतों को तवज्जो दी तो वहीं पूर्व मंत्री और छिंदवाड़ा जिले के कद्दावर भाजपा नेता चौधरी चंद्रभान सिंह गुट के जितेंद्र शाह का नाम लगभग पहले फाइनल माना जा रहा था, लेकिन उनकी टिकट काटकर पैराशूट कैंडिडेट उतारा गया. इसके चलते चौधरी चंद्रभान सिंह गुट के महापौर प्रत्याशी समेत कई वार्डों में बगावत कर पार्षद के लिए भी चुनाव मैदान में उतरे. आखिरी वक्त में कुछ लोगों को पार्टी ने मना लिया और समर्थन देने का दावा किया था, लेकिन भाजपा की गुटबाजी के चलते यह रणनीति भी काम नहीं आई.
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नगर निगम कर्मियों के वोट पर थी नजर : छिंदवाड़ा नगर निगम में करीब 2800 कर्मचारी हैं.असिस्टेंट कमिश्नर को टिकट देने के पीछे भाजपा का गणित यह भी था कि कम से कम आधे कर्मचारियों के परिवार के वोट मिलेंगे. इस लिहाज से छह से सात हजार वोट अनंत धुर्वे को मिलना तय थे. लेकिन कमलनाथ ने रणनीति के तहत नगर निगम के दैनिक वेतन भोगियों को स्थाई करने की घोषणा के साथ ही ये वोट भी अपने खाते में कर लिए. रिजल्ट के बाद अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि कर्मचारियों के वोट भी असिस्टेंट कमिश्नर को नहीं मिले, क्योंकि डाक मतपत्र में मात्र 16 वोट की भाजपा को बढ़त मिली थी. (Kamal Nath strategy success in Chhindwara) (Congress Mayor elected after 18 years)