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छिंदवाड़ा में मंदिर के फूलों से धूपबत्ती का होगा निर्माण, स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की तैयारी

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Published : Dec 22, 2021, 8:29 PM IST

छिंदवाड़ा में अब मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले फूलों से धूपबत्ती बनाने की तैयारियां चल रही है. (incense sticks will be made from temple flowers) नगर निगम ने इसके लिए कुछ मंदिरों को चिन्हित भी किया है. जहां से फूलों को एकत्रित करके स्व सहायता समूह को सौंपा जाएगा. जिसके बाद यह समूह धूपबत्ती बनाएंगे. नगर निगम के इस नवाचार से स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की रैंकिंग में भी सुधार आएगा.

Dhoopbatti will made from flowers of temple
मंदिर के फूलों से धूपबत्ती का होगा निर्माण

छिंदवाड़ा। स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की तैयारी में छिंदवाड़ा जुट गया है. इसके तहत नगर निगम छिंदवाड़ा अब नया नवाचार करने जा रहा है. शहर के मंदिरों से निकलने वाले फूलों को फेंकने की जगह अब से धूपबत्ती बनाई जाएगी. इसके लिए नगर निगम ने पूरी तैयारियां कर ली है. इससे कचरे की समस्या का समाधान भी होगा. साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. 2022 स्वच्छता सर्वेक्षण में छिंदवाड़ा को इस नवाचार से फायदा भी होगा. (incense sticks will be made from temple flowers)

शहर के चुनिंदा मंदिरों से लिए जाएंगे फूल

नगर निगम कमिश्नर हिमांशु सिंह ने बताया है कि, धूपबत्ती बनाने के लिए शहर के ऐसे मंदिर चिन्हित किए जाएंगे जहां से बड़ी मात्रा में फूल इकट्ठा होते हैं. इन मंदिरों में भगवान के चरणों में चढ़ने वाले फूलों को इकट्ठा करके स्व-सहायता समूह को सौंप दिया जाएगा.

स्व-सहायता समूह फूलों से बनाएगा धूपबत्ती

नगर निगम छिंदवाड़ा शहर के मंदिरों से फूल इकट्ठा करेगा और उन्हें स्व सहायता समूह को सौंपेगा. स्व सहायता समूह सरकारी मदद से इन फूलों से धूप बत्ती बनाएगा. स्व-सहायता समूह धूपबत्ती निर्माण कर उसे बाजार में बेचेगा. इसके लिए नगर निगम ने शहर के चार समूह का चयन किया है, जिन्हें ये फूल दिए जाएंगे. गौरीशंकर, सन्मुख, चहक, मातारानी स्व सहायता समूह को धूपबत्ती निर्माण के लिए फूल सौंपे जाएंगे. (chhindwara preparations for cleanliness survey 2022)

अलग से लगेंगे कर्मचारी और वाहन

नगर निगम द्वारा मंदिरों से फूलों को इकट्ठा करने के लिए अलग से वाहन की व्यवस्था की जा रही है, वहीं इस प्रोजेक्ट में कर्मचारियों की भी तैनाती होगी. यह कर्मचारी इन वाहनों के माध्यम से शहर के मंदिर से फूल इकट्ठा करते हुए स्व सहायता समूह तक पहुंचाएंगे. स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में नवाचार के भी अंक नगर निगम को मिलने वाले हैं इसके तहत नगर निगम ने नई प्लानिंग में ऐसे मंदिरों को चिन्हित किया जाना शुरू कर दिया है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए फूल चढ़ाते हैं.

घर-घर महकेगी खजराना के फूलों की महक

अगरबत्ती के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य

केंद्रीय MSME मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ष 2020 में रोजगार सृजन कार्यक्रम ‘खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन’ को मंजूरी दी थी. इस मिशन में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा भारत को अगरबत्ती उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्यक्रम प्रस्तावित किया गया था. गडकरी का कहना था कि हम भारत को अगरबत्ती के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएंगे.

‘खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन’ का उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगार और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार पैदा करना है, साथ ही इससे घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में काफी वृद्धि करना. इसे पीपीपी मोड में लॉन्च किया था. सरकार भी अगरबत्ती का उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रही है.

लखनऊ के मनकानेश्वर मंदिर से हुई शुरूआत

मंदिर में फूलों से अगरबत्ती बनाने की शुरूआत लगभग 2016 में हुई थी. लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर से ये प्रचलन शुरू हुआ. समय शिवरात्री के समय इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते है. बड़ी संख्या में लोग फूलों की माला और चढ़ावे के लिए फूल भगवान को अर्पित करते है. मंदिर की महंत बताते हैं कि, मंदिर प्रबंधन ने फूलों को रिसायकल करने का सोचा.

गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना को मंजूरी दी

इसके बाद हमने चढ़ाए जाने वाले फूलों की हम पहले छंटाई करवाना शुरू की. इसके बाद फूलों को खाद के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा. इसके अलावा, सिमैप वाले हमारे यहां से गुलाब के फूल ले जाने लगे और इसका इस्तेमाल वे अगरबत्ती और धूपबत्ती में खुशबू के लिए करने लगे.

छिंदवाड़ा। स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की तैयारी में छिंदवाड़ा जुट गया है. इसके तहत नगर निगम छिंदवाड़ा अब नया नवाचार करने जा रहा है. शहर के मंदिरों से निकलने वाले फूलों को फेंकने की जगह अब से धूपबत्ती बनाई जाएगी. इसके लिए नगर निगम ने पूरी तैयारियां कर ली है. इससे कचरे की समस्या का समाधान भी होगा. साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. 2022 स्वच्छता सर्वेक्षण में छिंदवाड़ा को इस नवाचार से फायदा भी होगा. (incense sticks will be made from temple flowers)

शहर के चुनिंदा मंदिरों से लिए जाएंगे फूल

नगर निगम कमिश्नर हिमांशु सिंह ने बताया है कि, धूपबत्ती बनाने के लिए शहर के ऐसे मंदिर चिन्हित किए जाएंगे जहां से बड़ी मात्रा में फूल इकट्ठा होते हैं. इन मंदिरों में भगवान के चरणों में चढ़ने वाले फूलों को इकट्ठा करके स्व-सहायता समूह को सौंप दिया जाएगा.

स्व-सहायता समूह फूलों से बनाएगा धूपबत्ती

नगर निगम छिंदवाड़ा शहर के मंदिरों से फूल इकट्ठा करेगा और उन्हें स्व सहायता समूह को सौंपेगा. स्व सहायता समूह सरकारी मदद से इन फूलों से धूप बत्ती बनाएगा. स्व-सहायता समूह धूपबत्ती निर्माण कर उसे बाजार में बेचेगा. इसके लिए नगर निगम ने शहर के चार समूह का चयन किया है, जिन्हें ये फूल दिए जाएंगे. गौरीशंकर, सन्मुख, चहक, मातारानी स्व सहायता समूह को धूपबत्ती निर्माण के लिए फूल सौंपे जाएंगे. (chhindwara preparations for cleanliness survey 2022)

अलग से लगेंगे कर्मचारी और वाहन

नगर निगम द्वारा मंदिरों से फूलों को इकट्ठा करने के लिए अलग से वाहन की व्यवस्था की जा रही है, वहीं इस प्रोजेक्ट में कर्मचारियों की भी तैनाती होगी. यह कर्मचारी इन वाहनों के माध्यम से शहर के मंदिर से फूल इकट्ठा करते हुए स्व सहायता समूह तक पहुंचाएंगे. स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में नवाचार के भी अंक नगर निगम को मिलने वाले हैं इसके तहत नगर निगम ने नई प्लानिंग में ऐसे मंदिरों को चिन्हित किया जाना शुरू कर दिया है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए फूल चढ़ाते हैं.

घर-घर महकेगी खजराना के फूलों की महक

अगरबत्ती के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य

केंद्रीय MSME मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ष 2020 में रोजगार सृजन कार्यक्रम ‘खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन’ को मंजूरी दी थी. इस मिशन में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा भारत को अगरबत्ती उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्यक्रम प्रस्तावित किया गया था. गडकरी का कहना था कि हम भारत को अगरबत्ती के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएंगे.

‘खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन’ का उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगार और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार पैदा करना है, साथ ही इससे घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में काफी वृद्धि करना. इसे पीपीपी मोड में लॉन्च किया था. सरकार भी अगरबत्ती का उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रही है.

लखनऊ के मनकानेश्वर मंदिर से हुई शुरूआत

मंदिर में फूलों से अगरबत्ती बनाने की शुरूआत लगभग 2016 में हुई थी. लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर से ये प्रचलन शुरू हुआ. समय शिवरात्री के समय इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते है. बड़ी संख्या में लोग फूलों की माला और चढ़ावे के लिए फूल भगवान को अर्पित करते है. मंदिर की महंत बताते हैं कि, मंदिर प्रबंधन ने फूलों को रिसायकल करने का सोचा.

गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना को मंजूरी दी

इसके बाद हमने चढ़ाए जाने वाले फूलों की हम पहले छंटाई करवाना शुरू की. इसके बाद फूलों को खाद के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा. इसके अलावा, सिमैप वाले हमारे यहां से गुलाब के फूल ले जाने लगे और इसका इस्तेमाल वे अगरबत्ती और धूपबत्ती में खुशबू के लिए करने लगे.

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