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आंकड़ों में झोलझाल! मरीज कम हैं, तो बेड कहां गए ?

छिंदवाड़ा में प्रशासन की तरफ से जारी हेल्थ बुलेटिन के आंकड़ों पर सवाल उठने लगे हैं. हेल्थ बुलेटिन के आंकड़े अस्पतालों की मौजूदा स्थिति से मेल नहीं खा रहे हैं. लिहाजा आंकड़ों में गड़बड़ी को लेकर अब स्वास्थ्य विभाग पर कई सवाल उठने लगे हैं.

HEALTH BULLETINS AND HOSPITALS  CORONA PATIENT FIGURES MISMATCHES IN CHHINDWARA
जिले में मरीज कम फिर अस्पताल फुल क्यों ?, आंकड़ों में झोलझाल
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Published : Apr 26, 2021, 12:17 PM IST

छिंदवाड़ा। जिले में कोरोना के कुल कितने मरीज हैं, इस बात से प्रशासन से लेकर आमजन तक सभी अंजान हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में जिला अस्पताल की तरफ से हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया, जिसके मुताबिक जिले में कुल 393 कोरोना मरीज हैं, जबकि 27 संदिग्ध मरीज हैं. लेकिन अस्पतालों की मौजूदा स्थिति की बात करें, तो इस वक्त 507 बिस्तरों की संख्या वाला जिला अस्पताल पूरी तरह फुल है, वहीं 6 प्राइवेट अस्पताल भी मरीजों से खचाखच भरे हुए हैं. ऐसे में हेल्थ बुलेटिन के आंकड़े और अस्पतालों में मरीजों की स्थिति मेल नहीं खा रही.

जिले में मरीज कम फिर अस्पताल फुल क्यों ? आंकड़ों में झोलझाल

अस्पतालों की हकीकत कुछ और ही

जिला अस्पताल में 507 बेड की क्षमता वाली कोविड यूनिट में 420 मरीज भर्ती हैं, इनमें संक्रमित और संदिग्ध दोनों शामिल हैं. इनमें से ऑक्सीजन वाले 370 बेड भरे हुए हैं, वहीं ICU के लिए तो वेटिंग तक की स्थिति है. दूसरी तरफ शहर के 6 निजी अस्पताल भी पूरी तरह फुल हैं. कई मरीजों होम आइसोलेट भी हैं. इधर, जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक अब भी जिला अस्पताल में 87 बेड खाली हैं. लेकिन हकीकत में जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों में जगह ही नहीं है. आंकड़ों के मेल नहीं खाने पर फिर से जिला प्रशासन सवालों के घेरे में हैं.

मौत के आंकड़ों में बाजीगरी

रविवार को छिंदवाड़ा जिले में 44 लोगों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया. जिसमें परतला मोक्षधाम में 22, देवर्धा मोक्षधाम में 14, पांढुर्णा में तीन, बड़कुही में 3 और कब्रिस्तान में दो का प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार हुआ. वहीं सरकारी आंकड़ों में स्थिति इसके बिलकुल विपरीत थी. सरकारी आंकड़े में सिर्फ एक व्यक्ति की ही कोरोना से मौत बताई गई. दूसरी तरफ बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिले में प्रशासन ने कोरोना कर्फ्यू 3 मई तक बढ़ा दिया है.

सागर में कोरोना विस्फोट, सामने आए 610 पॉजिटिव, 9 की मौत

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी बरकरार

जिले में फेबिफ्लू टेबलेट की उपलब्धता तो हर दिन होती जा रही है. लेकिन कोरोना मरीजों के लिए सबसे कारगर साबित हो रहे रेमडेसीविर इंजेक्शन की कमी बनी हुई है. जिला अस्पताल सहित सभी प्नाइवेट अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत है. रविवार को जिला अस्पताल को 40 इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए थे. जबकि इंजेक्शन की जरूरत इससे कही ज्यादा लोगों को है.

छिंदवाड़ा। जिले में कोरोना के कुल कितने मरीज हैं, इस बात से प्रशासन से लेकर आमजन तक सभी अंजान हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में जिला अस्पताल की तरफ से हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया, जिसके मुताबिक जिले में कुल 393 कोरोना मरीज हैं, जबकि 27 संदिग्ध मरीज हैं. लेकिन अस्पतालों की मौजूदा स्थिति की बात करें, तो इस वक्त 507 बिस्तरों की संख्या वाला जिला अस्पताल पूरी तरह फुल है, वहीं 6 प्राइवेट अस्पताल भी मरीजों से खचाखच भरे हुए हैं. ऐसे में हेल्थ बुलेटिन के आंकड़े और अस्पतालों में मरीजों की स्थिति मेल नहीं खा रही.

जिले में मरीज कम फिर अस्पताल फुल क्यों ? आंकड़ों में झोलझाल

अस्पतालों की हकीकत कुछ और ही

जिला अस्पताल में 507 बेड की क्षमता वाली कोविड यूनिट में 420 मरीज भर्ती हैं, इनमें संक्रमित और संदिग्ध दोनों शामिल हैं. इनमें से ऑक्सीजन वाले 370 बेड भरे हुए हैं, वहीं ICU के लिए तो वेटिंग तक की स्थिति है. दूसरी तरफ शहर के 6 निजी अस्पताल भी पूरी तरह फुल हैं. कई मरीजों होम आइसोलेट भी हैं. इधर, जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक अब भी जिला अस्पताल में 87 बेड खाली हैं. लेकिन हकीकत में जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों में जगह ही नहीं है. आंकड़ों के मेल नहीं खाने पर फिर से जिला प्रशासन सवालों के घेरे में हैं.

मौत के आंकड़ों में बाजीगरी

रविवार को छिंदवाड़ा जिले में 44 लोगों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया. जिसमें परतला मोक्षधाम में 22, देवर्धा मोक्षधाम में 14, पांढुर्णा में तीन, बड़कुही में 3 और कब्रिस्तान में दो का प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार हुआ. वहीं सरकारी आंकड़ों में स्थिति इसके बिलकुल विपरीत थी. सरकारी आंकड़े में सिर्फ एक व्यक्ति की ही कोरोना से मौत बताई गई. दूसरी तरफ बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिले में प्रशासन ने कोरोना कर्फ्यू 3 मई तक बढ़ा दिया है.

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रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी बरकरार

जिले में फेबिफ्लू टेबलेट की उपलब्धता तो हर दिन होती जा रही है. लेकिन कोरोना मरीजों के लिए सबसे कारगर साबित हो रहे रेमडेसीविर इंजेक्शन की कमी बनी हुई है. जिला अस्पताल सहित सभी प्नाइवेट अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत है. रविवार को जिला अस्पताल को 40 इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए थे. जबकि इंजेक्शन की जरूरत इससे कही ज्यादा लोगों को है.

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