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लॉकडाउन में मूर्तिकार परेशान, कोरोना काल में छोटी मूर्तियों से है उम्मीद

लॉकडाउन होने के कारण इस साल शहरों में गणेश उत्सव के दौरान पंडाल नहीं लगेंगे. जिसके बाद अब मूर्तिकारों को सिर्फ छोटी मूर्तियों से उम्मीद है. मूर्तिकारों का मानना है कि इस साल लोग अपने घरों में ही मूर्ति बैठाएंगे.

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Published : Jul 10, 2020, 2:45 PM IST

sculptors
मूर्तिकार परेशान

छिंदवाड़ा। देशभर में हर साल हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाले गणेशोत्सव की धूम इस साल कोरोना संक्रमण के कारण फीकी पड़ने वाली है. वहीं इन उत्सावों का साल भर इंतजार करने वाले मूर्तिकार इस साल लॉकडाउन के कारण खासे परेशान हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी मूर्ति बनाने का काम करते आ रहे मूर्तिकारों की कमाई इन त्याहारों पर ही निर्भर होती थी, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना महामारी के चलते इस बार उनके सामने बड़ी परेशानी आकर खड़ी हो गई है.

मूर्तिकार परेशान


कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन का अच्छा-खासा असर त्योहारों पर भी देखने को मिल रहा है. गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों के लिए दो-तीन माह से ही मूर्तियों की बनावट के लिए बड़े-बड़े कारखाने शुरू हो जाते हैं. लेकिन इस बार शहर में न तो बड़े आयोजन होने की कोई सुगबुगाहट होती दिख रही है और न ही किसी प्रकार की तैयारी दिखाई दे रही हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण कोरोना महामारी है.

नहीं मिल रहे ऑर्डर
शहर में गणेश उत्सव की धूम को देखते हुए कई पीढ़ियों से लोग मूर्तियां बनाने का काम करते आ रहे हैं. ये मूर्तियां शहर के कई बड़े-बड़े पंडालों में बैठती थी, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के चलते उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हुआ है. अब उन्हें उनका परिवार पालने की भी चिंता सता रही है. कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने भी 4 फीट से ज्यादा ऊंची मूर्ति के निर्माणों में रोक लगा दी है, जिस वजह से इस साल शहर में बड़ी मूर्तियां नहीं बनेगी और न हीं पंडालों में रखी जाएगी. ऐसे में अब मूर्तिकारों को ऑर्डर भी नहीं मिल रहे हैं. मूर्तिकारों ने बताया कि इस साल अभी तक एक भी बड़ी मूर्ति के लिए कोई ऑर्डर नहीं आया है.

छोटी मूर्तियों से है उम्मीद

लॉकडाउन के कारण उम्मीद जताई जा रही है कि लोग अब अपने घरों में गणेशजी की मूर्ति बैठाएंगे. जिसको लेकर भी मूर्तिकार चिंतित है. घरों में लोग छोटी मूर्तियां ही विराजमान करेंगे. इस बात को ध्यान में रखते हुए अब मूर्तिकार छोटे साइज की और कम मूर्तियां का निर्माण कर रहे हैं. हालांकि, उनकी मुख्य कमाई बड़ी मूर्तियों के जरिए ही होती थी. जिससे वह अपने परिवार की जीविका चला पाते थे.

लॉकडाउन में हालत खराब

मूर्तिकारों का कहना है कि लॉकडाउन ने उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब कर दी है. अब हमें ज्यादा मूर्तियां बनाने में भी डर लग रहा है. मालूम नहीं कि लोग इस साल मूर्तियां खरीदेंगे भी या नहीं.

शहर के मूर्तिकारों का मानना है कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर इस साल के तीज और गणेश चतुर्थी पर पड़ेगा. हर साल शहर में बड़ी संख्या में गणेश पंडाल लगाए जाते थे, जिसमें हजारों मूर्तियां पहुंचाई जाती थीं. लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी लोगों पर आर्थिक रूप से असर हुआ है, इस कारण शहर में गणेश पंडालों की संख्या में भी कमी आएगी.

छिंदवाड़ा। देशभर में हर साल हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाले गणेशोत्सव की धूम इस साल कोरोना संक्रमण के कारण फीकी पड़ने वाली है. वहीं इन उत्सावों का साल भर इंतजार करने वाले मूर्तिकार इस साल लॉकडाउन के कारण खासे परेशान हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी मूर्ति बनाने का काम करते आ रहे मूर्तिकारों की कमाई इन त्याहारों पर ही निर्भर होती थी, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना महामारी के चलते इस बार उनके सामने बड़ी परेशानी आकर खड़ी हो गई है.

मूर्तिकार परेशान


कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन का अच्छा-खासा असर त्योहारों पर भी देखने को मिल रहा है. गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों के लिए दो-तीन माह से ही मूर्तियों की बनावट के लिए बड़े-बड़े कारखाने शुरू हो जाते हैं. लेकिन इस बार शहर में न तो बड़े आयोजन होने की कोई सुगबुगाहट होती दिख रही है और न ही किसी प्रकार की तैयारी दिखाई दे रही हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण कोरोना महामारी है.

नहीं मिल रहे ऑर्डर
शहर में गणेश उत्सव की धूम को देखते हुए कई पीढ़ियों से लोग मूर्तियां बनाने का काम करते आ रहे हैं. ये मूर्तियां शहर के कई बड़े-बड़े पंडालों में बैठती थी, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के चलते उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हुआ है. अब उन्हें उनका परिवार पालने की भी चिंता सता रही है. कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने भी 4 फीट से ज्यादा ऊंची मूर्ति के निर्माणों में रोक लगा दी है, जिस वजह से इस साल शहर में बड़ी मूर्तियां नहीं बनेगी और न हीं पंडालों में रखी जाएगी. ऐसे में अब मूर्तिकारों को ऑर्डर भी नहीं मिल रहे हैं. मूर्तिकारों ने बताया कि इस साल अभी तक एक भी बड़ी मूर्ति के लिए कोई ऑर्डर नहीं आया है.

छोटी मूर्तियों से है उम्मीद

लॉकडाउन के कारण उम्मीद जताई जा रही है कि लोग अब अपने घरों में गणेशजी की मूर्ति बैठाएंगे. जिसको लेकर भी मूर्तिकार चिंतित है. घरों में लोग छोटी मूर्तियां ही विराजमान करेंगे. इस बात को ध्यान में रखते हुए अब मूर्तिकार छोटे साइज की और कम मूर्तियां का निर्माण कर रहे हैं. हालांकि, उनकी मुख्य कमाई बड़ी मूर्तियों के जरिए ही होती थी. जिससे वह अपने परिवार की जीविका चला पाते थे.

लॉकडाउन में हालत खराब

मूर्तिकारों का कहना है कि लॉकडाउन ने उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब कर दी है. अब हमें ज्यादा मूर्तियां बनाने में भी डर लग रहा है. मालूम नहीं कि लोग इस साल मूर्तियां खरीदेंगे भी या नहीं.

शहर के मूर्तिकारों का मानना है कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर इस साल के तीज और गणेश चतुर्थी पर पड़ेगा. हर साल शहर में बड़ी संख्या में गणेश पंडाल लगाए जाते थे, जिसमें हजारों मूर्तियां पहुंचाई जाती थीं. लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी लोगों पर आर्थिक रूप से असर हुआ है, इस कारण शहर में गणेश पंडालों की संख्या में भी कमी आएगी.

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