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मक्का की फसल पर सैनिक कीट का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिक ने दी बचाव की सलाह

छिंदवाड़ा जिले में मक्के की फसल बड़ी मात्रा में होती है. लेकिन इस बार मक्का की फसल पर फॉल आर्मीवर्म (सैनिक कीट) का प्रकोप देखने को मिल रहा है. यह कीट मक्के की फसल के लिए बहुत खतरनाक माना जाता है. इससे बचने के लिए वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक से ईटीवी भारत ने सलाह मांगी.

Military pest outbreak on maize crop
मक्का की फसल पर सैनिक कीट का प्रकोप
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Published : Jul 9, 2021, 2:31 AM IST

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले को कॉर्न सिटी के नाम से भी जाना जाता है. इसका कारण यह है कि यहां का किसान बड़ी संख्या में मक्के की खेती करता है. इस साल किसानों ने मक्के की फसल की बोवनी कर दी है. लेकिन कई जगह मक्के की फसलों पर फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप दिख रहा है. किसानों की इस समस्या को देखते हुए ईटीवी भारत ने वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक से बात की. कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को इस फॉल आर्मीवर्म के प्रकोप को कम करने के लिए सलाह दी है, जानिए...

डॉ. विजय कुमार पराड़कर, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव
  • ये होता है फॉल आर्मीवर्म कीट

फॉल आर्मीवर्म (सैनिक कीट) के नाम से भी जाना जाता है. यह कीट मक्के की फसल को सबसे अधिक प्रभावित करता है. आमतौर पर सैनिक कीट के जीवन में चार अवस्थाएं होती है अंडा, लारवा, प्यूपा और एडल्ट. इस कीट की पहली पसंद मक्का होता है, लेकिन यह चावल, ज्वार, बाजरा, गन्ना, सब्जियों और कॉटन समेत 80 से अधिक पौधों की प्रजातियों को खा सकता है.

किसान की अभूतपूर्व सफलता पर सरकार ने किया सम्मानित, उगाईं 2700 से अधिक किस्म की फसल

  • फसल में देखते हैं ये लक्षण

फॉल आर्मीवर्म का छोटा लारवा पौधे की पत्तियों को खरोच कर खाता है. जिसमें पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देने लगती है. जैसे-जैसे लारवा बड़ा होता है पौधे की ऊपरी पत्तियों को भी खाते जाता है. लारवा बड़ा होने के बाद मक्के के गले में चिपक कर पत्ती को खाता रहता है. पत्तियों पर बड़े गोल-गोल गड्ढे एक ही कतार में नजर आने लगते हैं.

  • शुरुआत में घरेलू उपचार से किया जा सकता है नियंत्रण

कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव के वरिष्ट डॉ. विजय कुमार पराड़कर वैज्ञानिक ने बताया कि फॉल आर्मीवर्म की प्राथमिक स्थिति में भी कंट्रोल किया जा सकता है. घरेलू नुस्खा जैसे राख, रेत, भूसा, गोबर खाद का इस्तेमाल कर फॉल आर्मीवर्म को रोका जा सकता है. यदि ये कुछ स्टेज आगे बढ़ गई हो तो नीम ऑयल या नीम पाउडर का छिड़काव किया जाता है. यदि फॉल आर्मीवर्म चौथी, पांचवी स्टेज में पहुंच गया हो तो उसके बाद रसायनिक खाद के छिड़काव से ही नियंत्रण किया जा सकता है.

कॉर्न सिटी के किसानों पर दोहरी मार, कम बारिश और कीटनाशक नहीं मिलने से परेशान अन्नदाता

  • बारिश का मिल सकता है फायदा

छिंदवाड़ा जिले में मक्के की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रभाव दिखाई दे रहा है. हालांकि अच्छी बारिश होने के कारण ये झड़ सकते हैं. प्रारंभिक स्थिति में ही कुछ कंट्रोल हो सकता है, हालांकि मौसम विभाग ने कुछ दिनों तक छिंदवाड़ा में बारिश होने के पूर्व अनुमान बताए हैं.

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले को कॉर्न सिटी के नाम से भी जाना जाता है. इसका कारण यह है कि यहां का किसान बड़ी संख्या में मक्के की खेती करता है. इस साल किसानों ने मक्के की फसल की बोवनी कर दी है. लेकिन कई जगह मक्के की फसलों पर फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप दिख रहा है. किसानों की इस समस्या को देखते हुए ईटीवी भारत ने वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक से बात की. कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को इस फॉल आर्मीवर्म के प्रकोप को कम करने के लिए सलाह दी है, जानिए...

डॉ. विजय कुमार पराड़कर, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव
  • ये होता है फॉल आर्मीवर्म कीट

फॉल आर्मीवर्म (सैनिक कीट) के नाम से भी जाना जाता है. यह कीट मक्के की फसल को सबसे अधिक प्रभावित करता है. आमतौर पर सैनिक कीट के जीवन में चार अवस्थाएं होती है अंडा, लारवा, प्यूपा और एडल्ट. इस कीट की पहली पसंद मक्का होता है, लेकिन यह चावल, ज्वार, बाजरा, गन्ना, सब्जियों और कॉटन समेत 80 से अधिक पौधों की प्रजातियों को खा सकता है.

किसान की अभूतपूर्व सफलता पर सरकार ने किया सम्मानित, उगाईं 2700 से अधिक किस्म की फसल

  • फसल में देखते हैं ये लक्षण

फॉल आर्मीवर्म का छोटा लारवा पौधे की पत्तियों को खरोच कर खाता है. जिसमें पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देने लगती है. जैसे-जैसे लारवा बड़ा होता है पौधे की ऊपरी पत्तियों को भी खाते जाता है. लारवा बड़ा होने के बाद मक्के के गले में चिपक कर पत्ती को खाता रहता है. पत्तियों पर बड़े गोल-गोल गड्ढे एक ही कतार में नजर आने लगते हैं.

  • शुरुआत में घरेलू उपचार से किया जा सकता है नियंत्रण

कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव के वरिष्ट डॉ. विजय कुमार पराड़कर वैज्ञानिक ने बताया कि फॉल आर्मीवर्म की प्राथमिक स्थिति में भी कंट्रोल किया जा सकता है. घरेलू नुस्खा जैसे राख, रेत, भूसा, गोबर खाद का इस्तेमाल कर फॉल आर्मीवर्म को रोका जा सकता है. यदि ये कुछ स्टेज आगे बढ़ गई हो तो नीम ऑयल या नीम पाउडर का छिड़काव किया जाता है. यदि फॉल आर्मीवर्म चौथी, पांचवी स्टेज में पहुंच गया हो तो उसके बाद रसायनिक खाद के छिड़काव से ही नियंत्रण किया जा सकता है.

कॉर्न सिटी के किसानों पर दोहरी मार, कम बारिश और कीटनाशक नहीं मिलने से परेशान अन्नदाता

  • बारिश का मिल सकता है फायदा

छिंदवाड़ा जिले में मक्के की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रभाव दिखाई दे रहा है. हालांकि अच्छी बारिश होने के कारण ये झड़ सकते हैं. प्रारंभिक स्थिति में ही कुछ कंट्रोल हो सकता है, हालांकि मौसम विभाग ने कुछ दिनों तक छिंदवाड़ा में बारिश होने के पूर्व अनुमान बताए हैं.

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