छिंदवाड़ा। प्रदेश में 29 सितंबर से शुरू होने वाले नवरात्र उत्सव को लेकर सार्वजनिक स्थानों पर जोर-शोर से तैयारी चल रही है, वहीं मूर्तिकार दुर्गा प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं. शहर में पांढुर्णा एक ऐसी जगह है, जहां से हर साल महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के छोटे से लेकर बड़े शहरों तक दुर्गा प्रतिमाएं भेजी जाती हैं.
पांढुर्णा के मूर्तिकार नामदेव खोड़े के मुताबिक इस साल उनके द्वारा बनाई गई 65 मनमोहक दुर्गा प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिनकी कीमत 15 हजार रुपए से लेकर 51 हजार रुपए तक रखी गई है. उन्होंने बताया कि मई महीने से दुर्गा प्रतिमाओं को आकार देने का काम शुरू किया जाता है. इन प्रतिमाओं में उपयोग में आने वाली मिट्टी बड़चिचोली के चोरखैरी गांव से लाई जाती है. दरअसल इस गांव की मिट्टी चिकनी और मजबूत होती है. इस मिट्टी से प्रतिमा बनाने में आसानी होती है.
महंगाई के दौर में प्रतिमाओं के दाम नहीं बढ़ने से छलका दर्द
मूर्तिकारों का कहना है कि इस साल महंगाई के चलते दुर्गा प्रतिमाओं के दाम नहीं बढ़ाये गए हैं, जबकि इन दुर्गा प्रतिमाओं को बनाने के उपयोग में आने वाली मिट्टी, कलर, श्रृंगार सामग्री, लकड़ी, तनस सहित दूसरा सामान महंगा हो गया है, जिसके चलते मूर्तिकारों को उनकी मेहनत का सही दाम नहीं मिल रहा है.