छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले को नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद आसपास के 24 गांवों को निगम में शामिल किया गया. लेकिन आज भी गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. न तो समय पर पानी मिल रहा है. और न ही अच्छी सड़कें हैं. ग्रामीणों की मानें तो इनका कहना है कि न तो वह गांव के रह गए और न ही शहर के हुए.
2014 में मिला था नगर निगम का दर्जा
छिंदवाड़ा नगर पालिका को 2014 में नगर निगम का दर्जा मिला था. नगर निगम बनने के लिए प्रशासन ने 24 गांवों को शामिल किया था. इन गांवों को निगम में शामिल होने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब उनके गांव की सूरत बदल जाएगी. लेकिन मौजूदा हालात कुछ और ही कह रहे हैं.
इन गावों को निगम में किया गया शामिल
नगर निगम बनाने के लिए प्रशासन ने छिंदवाड़ा के नोनिया करबल, खजरी, कुकड़ाजगत, खापाभाट, सिवनी प्राणमोती, इमलिया बोहता, चंदनगांव, सर्रा, परतला, कुसमेली, उदना, लहगडुआ, चौखड़ा, अजनिया, काराबोह, झंडा, सोनपुर, सारसवाड़ा, मोहरली और इमलीखेड़ा समेत कुल 24 गांव शामिल किए थे.
पार्षद का आरोप अधिकारी कर्मचारी सुनते नहीं
चौखड़ा, झंडा और मोहरली को मिलाकर वार्ड नंबर 9 बनाया गया है. वार्ड नंबर 9 की भाजपा पार्षद शीला कुमरे ने ईटीवी भारत को बताया कि इन गांवों को नगर निगम में शामिल तो कर लिया गया. लेकिन विकास बिल्कुल नहीं किया गया. 5 साल हो गए उन्हें पार्षद बने हुए लेकिन अधिकारी उनकी बात तक नहीं सुनते हैं. हालत यह है कि अब मुश्किल से एक सड़क का काम शुरू हो पाया है. कहने को तो नगर निगम में उनका वार्ड है लेकिन गांव से भी हालत बदतर है इसके चलते उन्हें जनता के गुस्से का भी सामना करना पड़ता है.
बजट आएगा को विकास कार्य शुरू होगा
नगर निगम कमिश्नर हिमांशु सिंह की मानें तो इनका कहना है कि नगर निगम में शामिल किए गए 24 गांवों में विकास कार्य के काम शुरू किए गए थे, लेकिन नगर निगम की माली हालत खस्ता होने के चलते काम में रूकावट आ रही है. जैसे ही बजट आएगा सभी गांवों में विकास के काम तेजी से शुरू होंगे.
खैर इन गावों के विकास कार्यों का तो पता नहीं, लेकिन नगर निगम में शामिल होने के बाद टैक्स बढ़ गया. और सुविधाएं कम हो गई. हालात ये है कि 15 दिन नलों में पानी आता है और एक माह का किराया लिया जाता है. न तो चलने के लिए सड़कें हैं और न ही गलियों में बल्व जलते हैं.