छिंदवाड़ा। जिले में कोरोना संक्रमण ने हालात बदतर कर दी है. रोजाना जिस तेजी से संक्रमित मरीजों की संख्या सामने आ रही है, उतनी ही बड़ी संख्या में कोविड प्रोटोकॉल के तहत मरीजों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. परतला और देवर्धा के मोक्षधाम के अलावा कब्रिस्तान में भी रोजाना दर्जनों शव जलाए जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि कोविड-19 के चलते मरीजों की मौत हो रही है.
- 21 दिनों में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत 629 अंत्येष्टि
अप्रैल महीने में कोविड-19 मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है. वहीं मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. 1 अप्रैल से 21 अप्रैल तक प्रशासन के आंकड़ों में अभी तक कोविड-19 से सिर्फ 22 लोगों की ही मौत हुई है, जबकि सिर्फ छिंदवाड़ा में कोविड-19 गाइडलाइन के तहत 629 लोगों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. वहीं इन दिनों में 1574 कोविड-19 मरीज भी सामने आए हैं.
- पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा हकीकत शमशान से चलेगी पता
लगातार हो रही मौत के बाद 8 अप्रैल को छिंदवाड़ा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी जिला प्रशासन के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि, यह बनावटी आंकड़े हैं. जिला प्रशासन के हिसाब से छिंदवाड़ा जिले में और खास तौर सौंसर और पांढुर्ना में स्थिति ठीक है, जबकि अकेले सौंसर विधानसभा में करीब 150 लोगों की मौत हो चुकी है. कमलनाथ ने कहा कि असली आंकड़े शमशान घाट में पता चल रहे हैं, जहां पर हर दिन अंत्येष्टि की जा रही है.
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- संक्रमण रोकने के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार
जिला प्रशासन के अधिकारियों का इस मामले में कहना है कि जिन मरीजों की मौत भी अलग-अलग बीमारियों से अस्पताल में हो रही है, उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक किया जा रहा है. क्योंकि अगर इनमें से किसी की भी मौत के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और परिजन उनका अंतिम संस्कार करते हैं तो संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है. इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं.
- छिंदवाड़ा के अलावा दूसरे अस्पतालों में भी हो रही मौतें
छिंदवाड़ा शहर के शमशान घाट के अलावा भोपाल, नागपुर और जबलपुर में भी कोविड-19 मरीजों की मौत हो रही है, लेकिन वहां होने वाली मौतों की गणना ना तो छिंदवाड़ा में हो रही है और ना ही इन महानगरों में हो रही है. इस कारण से कहा जा सकता है कि छिंदवाड़ा जिले में हर दिन मौतें हो रही है, और प्रशासन उन मौतों को आंकड़ों में जगह नहीं दे रहा है.