छिंदवाड़ा। जिले में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. यहां रोजाना बड़ी संख्या में संक्रमित मरीजों का कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया जा रहा है. परतला और देवर्धा के मोक्षधाम के अलावा कब्रिस्तान में भी रोजाना दर्जनों शव आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि कोविड-19 के चलते मरीजों की मौत हो रही है.
37 मौतों पर अटके प्रशासन के आंकड़े
दरअसल, 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक प्रशासन के आंकड़ों में कोविड-19 से सिर्फ 37 लोगों की ही मौत हुई है, जबकि सिर्फ छिंदवाड़ा में कोविड-19 गाइडलाइन के मुताबिक 971 लोगों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. वहीं, इस दौरान 2110 कोविड-19 के मरीज भी सामने आए हैंं.
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कही ये बात
बीते 8 अप्रैल को छिंदवाड़ा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी जिला प्रशासन के आंकड़ों पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा था कि ये बनावटी आंकड़े हैं. जिला प्रशासन के हिसाब से जिले में और खासतौर पर सौंसर और पांढुर्ना में स्थिति ठीक है, जबकि अकेले सौसर विधानसभा में करीब 150 लोगों की मौत हो चुकी है. कमलनाथ ने कहा कि असली आंकड़े शमशान घाट में पता चल रहे हैं, जहां पर हर दिन अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं.
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कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत किया जा रहा अंतिम संस्कार
जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि जिन मरीजों की मौत अलग-अलग बीमारियों से हो रही है उनका अंतिम संस्कार भी प्रोटोकॉल के तहत किया जा रहा है, क्योंकि अगर इनमें से किसी की भी मौत के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और परिजन उनका अंतिम संस्कार करते हैं, तो संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है. इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं. छिंदवाड़ा शहर के शमशान घाट के अलावा भोपाल, नागपुर और जबलपुर में भी कोविड-19 मरीजों की मौत हो रही हैं, लेकिन वहां होने वाली मौतों की गणना ना तो छिंदवाड़ा में हो रही है और ना ही इन महानगरों में हो रही है.