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पढ़ें! चिताओं की लपट के बीच पानी के लिए तरसते निगमकर्मियों की दास्तान

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का अप्रैल से छिंदवाड़ा में असर ज्यादा देखने को मिला है. कोरोना संक्रमण और शहर के अस्पतालों में समय से सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण सैंकड़ों लोगों ने जान गवाई है. मद्देनजर शहर के 3 श्मशान घाट में 971 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो चुका है.

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Published : May 18, 2021, 7:19 PM IST

Funeral pyre
चिताओं की लपट

छिंदवाड़ा। कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनके शवों को छूने से उनके परिजन तक डर रहे हैं. ऐसे में छिंदवाड़ा नगर निगम के कर्मचारी बेखौफ होकर संक्रमण से मरने वालों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. महामारी के दौर में अपनी जान को जोखिम में डालकर काम कर रहे इन निगम कर्मियों को अंतिम संस्कार के दौरान क्या समस्या आ रही है, इसकी कोई सुध नहीं ले रहा है. लिहाजा श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार करने वाले कर्मियों के लिए पीने के लिए साफ पानी तक की व्यवस्था नहीं है.

चिताओं की लपट
  • हजारों शवों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का अप्रैल से छिंदवाड़ा में असर ज्यादा देखने को मिला है. कोरोना संक्रमण और शहर के अस्पतालों में समय से सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण सैंकड़ों लोगों ने जान गवाई है. मद्देनजर शहर के 3 श्मशान घाट में 971 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो चुका है. शहर में ऐसे कई मामले देखे गए हैं जहां मृतकों के परिजन तक कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार करने से डर रहे थे और ऐसे में संक्रमण की परवाह किए बिना इन लोगों ने अंतिम संस्कार किए हैं. ये लोग अब तक छिंदवाड़ा के परतला श्मशान घाट, देवर्धा श्मशान घाट में हजारों अंतिम संस्कार कर चुके हैं.

  • पानी के लिए तरसते कर्मी

नगर निगम ने कोरोना संदिग्ध और संक्रमित मरीजों के लिए परतला के अलावा देवर्धा में भी एक श्मशान घाट बनाया है. देवर्धा श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें सुविधा के नाम पर सिर्फ सैनिटाइजर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संसाधनों की तो बात दूर की है, उन्हें पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिल रहा है. नगर निगम ने उनके लिए एक टैंकर खड़ा कर दिया है. भीषण गर्मी में टैंकर का पानी गर्म हो जाता है और वह गंदा भी है, इसलिए मजबूरी में वह पानी की बोतल महंगे दामों में खरीदकर पी रहे हैं.

जयारोग्य अस्पताल के दो डॉक्टरों ने तोड़ा दम, कोरोना से थे संक्रमित

  • 200 रुपए के लिए जान जोखिम में

नगर निगम ने शहर के श्मशान घाटों में करीब 40 कर्मचारी तैनात किए हैं. यह लोग बिना डरे भीषण गर्मी में घंटों पीपीई किट पहनकर कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. कर्मचारियों ने ई टीवी भारत को बताया कि उन्हें मात्र 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 6200 रुपए महीना वेतन मिलता है, लेकिन फिर भी वे लोगों की सेवा के लिए लगातार काम कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से वेतन बढ़ाने की मांग की है.

  • क्या बोले निगम अधिकारी

इस मामले में ई टीवी भारत ने नगर निगम कमिश्नर और नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग अधिकारी से बात की है. उन्होंने कहा कि निगम के कर्मचारी लगातार काम में लगे हुए हैं. इन लोगों की पूरी सुरक्षा की व्यवस्था निगम द्वारा बनाई गई है. निगम अधिकारियों ने कहा कि सभी कर्मचारियों को सुरक्षा देने के लिए मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट प्रदान किए गए हैं, ताकि इन लोगों के साथ इनका परिवार भी सुरक्षित रह सके.

छिंदवाड़ा। कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनके शवों को छूने से उनके परिजन तक डर रहे हैं. ऐसे में छिंदवाड़ा नगर निगम के कर्मचारी बेखौफ होकर संक्रमण से मरने वालों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. महामारी के दौर में अपनी जान को जोखिम में डालकर काम कर रहे इन निगम कर्मियों को अंतिम संस्कार के दौरान क्या समस्या आ रही है, इसकी कोई सुध नहीं ले रहा है. लिहाजा श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार करने वाले कर्मियों के लिए पीने के लिए साफ पानी तक की व्यवस्था नहीं है.

चिताओं की लपट
  • हजारों शवों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का अप्रैल से छिंदवाड़ा में असर ज्यादा देखने को मिला है. कोरोना संक्रमण और शहर के अस्पतालों में समय से सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण सैंकड़ों लोगों ने जान गवाई है. मद्देनजर शहर के 3 श्मशान घाट में 971 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो चुका है. शहर में ऐसे कई मामले देखे गए हैं जहां मृतकों के परिजन तक कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार करने से डर रहे थे और ऐसे में संक्रमण की परवाह किए बिना इन लोगों ने अंतिम संस्कार किए हैं. ये लोग अब तक छिंदवाड़ा के परतला श्मशान घाट, देवर्धा श्मशान घाट में हजारों अंतिम संस्कार कर चुके हैं.

  • पानी के लिए तरसते कर्मी

नगर निगम ने कोरोना संदिग्ध और संक्रमित मरीजों के लिए परतला के अलावा देवर्धा में भी एक श्मशान घाट बनाया है. देवर्धा श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें सुविधा के नाम पर सिर्फ सैनिटाइजर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संसाधनों की तो बात दूर की है, उन्हें पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिल रहा है. नगर निगम ने उनके लिए एक टैंकर खड़ा कर दिया है. भीषण गर्मी में टैंकर का पानी गर्म हो जाता है और वह गंदा भी है, इसलिए मजबूरी में वह पानी की बोतल महंगे दामों में खरीदकर पी रहे हैं.

जयारोग्य अस्पताल के दो डॉक्टरों ने तोड़ा दम, कोरोना से थे संक्रमित

  • 200 रुपए के लिए जान जोखिम में

नगर निगम ने शहर के श्मशान घाटों में करीब 40 कर्मचारी तैनात किए हैं. यह लोग बिना डरे भीषण गर्मी में घंटों पीपीई किट पहनकर कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. कर्मचारियों ने ई टीवी भारत को बताया कि उन्हें मात्र 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 6200 रुपए महीना वेतन मिलता है, लेकिन फिर भी वे लोगों की सेवा के लिए लगातार काम कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से वेतन बढ़ाने की मांग की है.

  • क्या बोले निगम अधिकारी

इस मामले में ई टीवी भारत ने नगर निगम कमिश्नर और नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग अधिकारी से बात की है. उन्होंने कहा कि निगम के कर्मचारी लगातार काम में लगे हुए हैं. इन लोगों की पूरी सुरक्षा की व्यवस्था निगम द्वारा बनाई गई है. निगम अधिकारियों ने कहा कि सभी कर्मचारियों को सुरक्षा देने के लिए मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट प्रदान किए गए हैं, ताकि इन लोगों के साथ इनका परिवार भी सुरक्षित रह सके.

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