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छिंदवाड़ाः कृषि कानूनों के विरोध में मंडी परिसर में कांग्रेस ने दिया धरना - agricultural laws

भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में छिंदवाड़ा ग्रामीण कांग्रेस ने कृषि उपज मंडी कुसमैली परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान जिला कांग्रेस के अनुषांगिक संगठन और कई किसान मौजूद रहे.कांग्रेस ने बीजेपी पर कथनी और करनी में अंतर का आरोप लगाया है.

Protest
विरोध प्रदर्शन
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Published : Jan 5, 2021, 5:27 PM IST

छिंदवाड़ा। भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में छिंदवाड़ा ग्रामीण कांग्रेस ने कृषि उपज मंडी परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान जिला कांग्रेस के अनुषांगिक संगठन और कई किसान मौजूद रहे.कांग्रेस ने बीजेपी पर कथनी और करनी में अंतर का आरोप लगाया है.

कृषि उपज मंडी कुसमैली में ग्रामीण कांग्रेस ने धरना के दौरान भारत सरकार द्वारा लाए गए कानून को काला कानून बताते हुए मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष अमित सक्सेना ने कहा कि भाजपा इस बिल को किसान हितैषी बता रही है, वह वास्तव में किसानों के लिए काला कानून है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण छिंदवाड़ा में है.

भारत सरकार ने मक्के की एमएसपी ₹1850 तय कर रखी है. लेकिन मंडी में व्यापारी ₹1000 से ₹1100 प्रति क्विंटल के भाव में खरीद रहे हैं. जिससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा की कथनी और करनी में कितना अंतर है.

ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष अमित सक्सेना ने कहा कि पिछले 41 दिनों से दिल्ली की सड़कों पर किसान डटा हुआ है. लेकिन केंद्र सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. सरकार जल्द से जल्द कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है, तो छिंदवाड़ा जिले के हर एक गांव में किसान आंदोलन होंगे, जो कृषि कानूनों का विरोध करेंगे.

छिंदवाड़ा। भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में छिंदवाड़ा ग्रामीण कांग्रेस ने कृषि उपज मंडी परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान जिला कांग्रेस के अनुषांगिक संगठन और कई किसान मौजूद रहे.कांग्रेस ने बीजेपी पर कथनी और करनी में अंतर का आरोप लगाया है.

कृषि उपज मंडी कुसमैली में ग्रामीण कांग्रेस ने धरना के दौरान भारत सरकार द्वारा लाए गए कानून को काला कानून बताते हुए मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष अमित सक्सेना ने कहा कि भाजपा इस बिल को किसान हितैषी बता रही है, वह वास्तव में किसानों के लिए काला कानून है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण छिंदवाड़ा में है.

भारत सरकार ने मक्के की एमएसपी ₹1850 तय कर रखी है. लेकिन मंडी में व्यापारी ₹1000 से ₹1100 प्रति क्विंटल के भाव में खरीद रहे हैं. जिससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा की कथनी और करनी में कितना अंतर है.

ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष अमित सक्सेना ने कहा कि पिछले 41 दिनों से दिल्ली की सड़कों पर किसान डटा हुआ है. लेकिन केंद्र सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. सरकार जल्द से जल्द कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है, तो छिंदवाड़ा जिले के हर एक गांव में किसान आंदोलन होंगे, जो कृषि कानूनों का विरोध करेंगे.

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