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Chhindwara Water Crises: बूंद-बूंद को तरस रहे ग्रामीण, जान जोखिम में डाल नेशनल हाईवे से ला रहे पानी

छिंदवाड़ा के कई गांव आज भी जलसंकट से जूझ रहे हैं. जुन्गावानी गांव में पीने के पानी के लिए दिन भर जद्दोजहद करते नजर आते हैं. लोगों को किसानों के निजी ट्यूबवेल या कुओं पर निर्भर होना पड़ता है. आलम ये है कि दिनभर लोग खेतों में अपनी बारी का इंतजार करते हैं कि पीने का पानी मिल सके.

Water crisis in Chhindwara
छिंदवाड़ा में जल संकट
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Published : Jun 18, 2023, 1:11 PM IST

Updated : Jun 18, 2023, 2:12 PM IST

छिंदवाड़ा जिले में पानी के लिए जद्दोजहद

छिंदवाड़ा। नेशनल हाईवे पर फर्राटे से दौड़ रहे वाहनों के बीच जान जोखिम में डालकर पानी के लिए जद्दोजहद करते बुजुर्ग और बच्चे ये नजारा है मध्य प्रदेश के सबसे विकसित जिला छिंदवाड़ा का. विकसित इसलिए क्योंकि इसे ही प्रदेश भर में विकास मॉडल बताकर कांग्रेस ने सरकार बनाई तो ही भाजपा भी यहां 18 सालों का विकास गिनाती है. दोनों दलों की दलीलों के बीच ये तस्वीरें आईना दिखाने के लिए काफी है.

Water crisis in Chhindwara
छिंदवाड़ा में जल संकट

पानी के लिए जोखिम भरा सफर: ये तस्वीरें छिंदवाड़ा से नरसिंहपुर को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 547 के जुन्गावानी गांव की है, जहां पर गर्मी के दिनों में पीने के पानी के लिए लोगों को किसानों के निजी ट्यूबवेल या कुओं पर निर्भर होना पड़ता है. आलम ये है कि दिनभर लोग खेतों में अपनी बारी का इंतजार करते हैं कि पीने का पानी मिल सके. घर में मुश्किल से पीने के पानी का जुगाड़ हो पाता है इसलिए महिलाएं घरेलू काम से लेकर कपड़े तक नेशनल हाईवे पर ही धोती हैं.

पानी के लिए दिनभर जद्दोजहद: ग्रामीणों का कहना है कि ''सिर्फ बरसात के मौसम में ही नलों से पानी घर तक पहुंचता है, इसके बाद तो पीने के लिए पानी का जुगाड़ करने दिन भर जद्दोजहद ही करनी पड़ती है. फिर चाहे स्कूली बच्चे हों बुजुर्ग या महिला. कोई सिर पर घड़ा लिए तो कोई हाथों में केन तो कोई हाथ ठेले में पानी के टैंक लेकर दिनभर नजर आता है. फिर से चुनावी सीजन सामने है, गांव वालों को पता है कि नेता जी आएंगे वादे किए जाएंगे, लेकिन चुनाव के बाद जनता फिर से पानी के लिए नेशनल हाईवे के चक्कर लगाएगी.''

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सिर्फ बरसात में नलों से आता है पानी: ग्रामीणों ने ईटीवी भारत को बताया कि ''नलों में पानी बरसात के समय आता है. उसके बाद पीने के पानी के लिए ऐसे ही परेशान होना पड़ता है. सालों से चुनावी सीजन में नेताजी आते हैं और हर बार सबसे प्रमुख समस्या पानी के दूर करने की बात होती है. बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन फिर इसके बाद कोई इधर पलट कर भी नहीं देखता.''

छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीण इलाकों में यही हालात: करीब 400 गांव की बस्ती जुंगावानी में ही अकेले पीने के पानी के लिए यह हाल नहीं है. छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीण इलाकों के कई गांव ऐसे हैं जहां पीने के पानी के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ती है. कई गांवों में तो 2 से 3 किलोमीटर तक महिलाओं को पैदल चलकर पीने के लिए पानी का जुगाड़ करना पड़ता है.

छिंदवाड़ा जिले में पानी के लिए जद्दोजहद

छिंदवाड़ा। नेशनल हाईवे पर फर्राटे से दौड़ रहे वाहनों के बीच जान जोखिम में डालकर पानी के लिए जद्दोजहद करते बुजुर्ग और बच्चे ये नजारा है मध्य प्रदेश के सबसे विकसित जिला छिंदवाड़ा का. विकसित इसलिए क्योंकि इसे ही प्रदेश भर में विकास मॉडल बताकर कांग्रेस ने सरकार बनाई तो ही भाजपा भी यहां 18 सालों का विकास गिनाती है. दोनों दलों की दलीलों के बीच ये तस्वीरें आईना दिखाने के लिए काफी है.

Water crisis in Chhindwara
छिंदवाड़ा में जल संकट

पानी के लिए जोखिम भरा सफर: ये तस्वीरें छिंदवाड़ा से नरसिंहपुर को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 547 के जुन्गावानी गांव की है, जहां पर गर्मी के दिनों में पीने के पानी के लिए लोगों को किसानों के निजी ट्यूबवेल या कुओं पर निर्भर होना पड़ता है. आलम ये है कि दिनभर लोग खेतों में अपनी बारी का इंतजार करते हैं कि पीने का पानी मिल सके. घर में मुश्किल से पीने के पानी का जुगाड़ हो पाता है इसलिए महिलाएं घरेलू काम से लेकर कपड़े तक नेशनल हाईवे पर ही धोती हैं.

पानी के लिए दिनभर जद्दोजहद: ग्रामीणों का कहना है कि ''सिर्फ बरसात के मौसम में ही नलों से पानी घर तक पहुंचता है, इसके बाद तो पीने के लिए पानी का जुगाड़ करने दिन भर जद्दोजहद ही करनी पड़ती है. फिर चाहे स्कूली बच्चे हों बुजुर्ग या महिला. कोई सिर पर घड़ा लिए तो कोई हाथों में केन तो कोई हाथ ठेले में पानी के टैंक लेकर दिनभर नजर आता है. फिर से चुनावी सीजन सामने है, गांव वालों को पता है कि नेता जी आएंगे वादे किए जाएंगे, लेकिन चुनाव के बाद जनता फिर से पानी के लिए नेशनल हाईवे के चक्कर लगाएगी.''

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सिर्फ बरसात में नलों से आता है पानी: ग्रामीणों ने ईटीवी भारत को बताया कि ''नलों में पानी बरसात के समय आता है. उसके बाद पीने के पानी के लिए ऐसे ही परेशान होना पड़ता है. सालों से चुनावी सीजन में नेताजी आते हैं और हर बार सबसे प्रमुख समस्या पानी के दूर करने की बात होती है. बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन फिर इसके बाद कोई इधर पलट कर भी नहीं देखता.''

छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीण इलाकों में यही हालात: करीब 400 गांव की बस्ती जुंगावानी में ही अकेले पीने के पानी के लिए यह हाल नहीं है. छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीण इलाकों के कई गांव ऐसे हैं जहां पीने के पानी के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ती है. कई गांवों में तो 2 से 3 किलोमीटर तक महिलाओं को पैदल चलकर पीने के लिए पानी का जुगाड़ करना पड़ता है.

Last Updated : Jun 18, 2023, 2:12 PM IST
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