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गुदड़ी के लाल! मजदूर का बेटा आसमान में भरेगा उड़ान, दुश्मनों के छूटेंगे छक्के

"रुक जाना नहीं तू कहीं हार के कांटों पर चलकर मिलेंगे साए बाहर के''. किसी के लिए यह गाने की पंक्तियां हो सकती हैं, लेकिन इन्हें साबित कर दिखाया है छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे से गांव के मजदूर के बेटे ने जो अब आसमान में उड़ान भरकर एयर फोर्स के जरिए दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगा.

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Published : Feb 13, 2023, 1:41 PM IST

Updated : Feb 13, 2023, 2:14 PM IST

छिंदवाड़ा। मजदूर परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल होता है और फिर बच्चों को अच्छी शिक्षा देना आज के दौर में काफी कठिन है. लेकिन छिंदवाड़ा का एक ऐसा परिवार है जिसके बेटे ने अपने मां बाप की मेहनत को साकार करते हुए अपने सपनों को पूरा कर दिखाया है. गुरैया के रहने वाले गजेंद्र चौधरी का एनडीए में सिलेक्शन हुआ है और उनकी देश में 339 वीं रैंक आई थी. ट्रेनिंग के बाद अब गजेंद्र चौधरी भारतीय वायुसेना में पायलट बनेंगे.

laborer son Selection in Indian Air Force
गजेंद्र चौधरी भारतीय वायुसेना में चयन

दसवीं में हुए फेल, रुक जाना नहीं स्कीम के तहत बढ़े आगे: एनडीए में सिलेक्ट होने वाले गजेंद्र चौधरी का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा. गांव के ही सरकारी स्कूल में गजेंद्र चौधरी दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे, इसी दौरान घर की परेशानियों के चलते वे दसवीं में फेल हो गए. मध्य प्रदेश सरकार की "रुक जाना नहीं योजना' के तहत उन्होंने दसवीं और 12वीं की प्राइवेट पढ़ाई की. इसके बाद सोशल मीडिया के जरिए भारतीय सेना में जाने का सपना पूरा किया.

chhindwara boy Gajendra Chowdhary success story
गजेंद्र चौधरी की मां

झुग्गी में रहने वाले अनमोल के जज्बे को सलाम, दिन रात मेहनत कर IIT कानपुर में हुआ सिलेक्शन

पिता भी बनना चाहते थे एयर फोर्स में जवान: गजेंद्र चौधरी के पिताजी तेजलाल चौधरी का भी सपना था कि वे एयर फोर्स में जाकर देश की सेवा कर सकें. लेकिन उस समय पारिवारिक परेशानियों के चलते उनकी आयु ज्यादा हो गई और वे सेना में नहीं जा सके. उनका सपना था कि उनका इकलौता बेटा देश की सेवा करे, बेटे ने भी अपनी पिता के सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और मुफलिसी की जिंदगी में भी आगे बढ़ता रहा. गजेंद्र चौधरी ने बताया कि उनके पिताजी को बीच में लकवा भी हो गया था, जिसके कारण परिवार की स्थितियां काफी विपरीत भी रही.

laborer son Selection in Indian Air Force
अपने पिता के साथ गजेंद्र

छोटी सी खेती से चलता है परिवार: बेटा अगर बुलंदियों को छुए तो हर मां की आंख से खुशी के आंसू निकलते हैं, कुछ ऐसे ही हालात गजेंद्र चौधरी की मां के हैं. ईटीवी भारत जब उनसे बातचीत करने पहुंचा तो माँ सविता चौधरी ने बताया कि उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. सभी को अच्छी परवरिश देने का सपना था लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं थी कि कुछ किया जा सके, फिर भी अपनी परेशानियों को दरकिनार करते हुए मजदूरी कर बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की और अब उनके बेटे ने उनके सपने को साकार कर दिया है. माता की खुशी का अंदाजा उनकी आंखों से छलकते हुए आंसू से लगाया जा सकता है.

laborer son Selection in Indian Air Force
छोटी सी खेती से चलता है परिवार

लैक्मे फैशन वीक में दिखेगा इंदौर की अर्शना राज का कलेक्शन, MP के डिजाइन को मुंबई में करेंगी पेश

वायुसेना के जवान अंशुल पहाड़े बने मार्गदर्शक: देश की सेवा का सपना देखने वाले आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए छिंदवाड़ा के रहने वाले वायु सेना के जवान अंशुल पहाड़े फ्री में फिजिकल कोचिंग करवाते हैं. गजेंद्र चौधरी के लिए भी अंशुल पहाड़े मार्गदर्शक बनकर आए और गजेंद्र चौधरी ने भी निशुल्क कोचिंग में फिजिकल ट्रेनिंग ली. ऐसे लोग जो आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते सेना में जाने से रुक जाते हैं उन्हें छुट्टियों के दौरान आकर निशुल्क ट्रेनिंग देते हैं.

रुक जाना नहीं योजना वरदान साबित हुई: मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा रुक जाना नहीं योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत ऐसे छात्र जो 10वीं या 12वीं में फेल हो जाते हैं तो शिक्षा बोर्ड ऐसे बच्चों को एक और मौका देती है. जिसके चलते बच्चे अपना भविष्य वार सकते हैं. इसी योजना का लाभ गजेंद्र चौधरी ने लिया. गजेंद्र चौधरी उन बच्चों के लिए भी मिसाल है जो संसाधनों का हवाला देकर अपनी कमजोरियों का जिम्मा परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं.

छिंदवाड़ा। मजदूर परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल होता है और फिर बच्चों को अच्छी शिक्षा देना आज के दौर में काफी कठिन है. लेकिन छिंदवाड़ा का एक ऐसा परिवार है जिसके बेटे ने अपने मां बाप की मेहनत को साकार करते हुए अपने सपनों को पूरा कर दिखाया है. गुरैया के रहने वाले गजेंद्र चौधरी का एनडीए में सिलेक्शन हुआ है और उनकी देश में 339 वीं रैंक आई थी. ट्रेनिंग के बाद अब गजेंद्र चौधरी भारतीय वायुसेना में पायलट बनेंगे.

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गजेंद्र चौधरी भारतीय वायुसेना में चयन

दसवीं में हुए फेल, रुक जाना नहीं स्कीम के तहत बढ़े आगे: एनडीए में सिलेक्ट होने वाले गजेंद्र चौधरी का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा. गांव के ही सरकारी स्कूल में गजेंद्र चौधरी दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे, इसी दौरान घर की परेशानियों के चलते वे दसवीं में फेल हो गए. मध्य प्रदेश सरकार की "रुक जाना नहीं योजना' के तहत उन्होंने दसवीं और 12वीं की प्राइवेट पढ़ाई की. इसके बाद सोशल मीडिया के जरिए भारतीय सेना में जाने का सपना पूरा किया.

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गजेंद्र चौधरी की मां

झुग्गी में रहने वाले अनमोल के जज्बे को सलाम, दिन रात मेहनत कर IIT कानपुर में हुआ सिलेक्शन

पिता भी बनना चाहते थे एयर फोर्स में जवान: गजेंद्र चौधरी के पिताजी तेजलाल चौधरी का भी सपना था कि वे एयर फोर्स में जाकर देश की सेवा कर सकें. लेकिन उस समय पारिवारिक परेशानियों के चलते उनकी आयु ज्यादा हो गई और वे सेना में नहीं जा सके. उनका सपना था कि उनका इकलौता बेटा देश की सेवा करे, बेटे ने भी अपनी पिता के सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और मुफलिसी की जिंदगी में भी आगे बढ़ता रहा. गजेंद्र चौधरी ने बताया कि उनके पिताजी को बीच में लकवा भी हो गया था, जिसके कारण परिवार की स्थितियां काफी विपरीत भी रही.

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अपने पिता के साथ गजेंद्र

छोटी सी खेती से चलता है परिवार: बेटा अगर बुलंदियों को छुए तो हर मां की आंख से खुशी के आंसू निकलते हैं, कुछ ऐसे ही हालात गजेंद्र चौधरी की मां के हैं. ईटीवी भारत जब उनसे बातचीत करने पहुंचा तो माँ सविता चौधरी ने बताया कि उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. सभी को अच्छी परवरिश देने का सपना था लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं थी कि कुछ किया जा सके, फिर भी अपनी परेशानियों को दरकिनार करते हुए मजदूरी कर बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की और अब उनके बेटे ने उनके सपने को साकार कर दिया है. माता की खुशी का अंदाजा उनकी आंखों से छलकते हुए आंसू से लगाया जा सकता है.

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वायुसेना के जवान अंशुल पहाड़े बने मार्गदर्शक: देश की सेवा का सपना देखने वाले आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए छिंदवाड़ा के रहने वाले वायु सेना के जवान अंशुल पहाड़े फ्री में फिजिकल कोचिंग करवाते हैं. गजेंद्र चौधरी के लिए भी अंशुल पहाड़े मार्गदर्शक बनकर आए और गजेंद्र चौधरी ने भी निशुल्क कोचिंग में फिजिकल ट्रेनिंग ली. ऐसे लोग जो आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते सेना में जाने से रुक जाते हैं उन्हें छुट्टियों के दौरान आकर निशुल्क ट्रेनिंग देते हैं.

रुक जाना नहीं योजना वरदान साबित हुई: मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा रुक जाना नहीं योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत ऐसे छात्र जो 10वीं या 12वीं में फेल हो जाते हैं तो शिक्षा बोर्ड ऐसे बच्चों को एक और मौका देती है. जिसके चलते बच्चे अपना भविष्य वार सकते हैं. इसी योजना का लाभ गजेंद्र चौधरी ने लिया. गजेंद्र चौधरी उन बच्चों के लिए भी मिसाल है जो संसाधनों का हवाला देकर अपनी कमजोरियों का जिम्मा परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं.

Last Updated : Feb 13, 2023, 2:14 PM IST
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