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छिंदवाड़ा की अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर का खेल से मोह भंग, खिलाड़ियों के लिए सरकार से लगाई गुहार - विनीता नेटी

छिंदवाड़ा की विनीता पर कई परेशानियों का पहाड़ टूटा लेकिन वो सबसे लड़ते हुए आज अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी है. लेकिन अब विनीता का अपने खेल से मोह भंग होने लगा है. उसने सरकार से गुहार लगाई है कि खिलाड़ियों को खेल के जरिए एक अच्छी नौकरी मिल जाए तो उनकी जिंदगी अच्छे से निकल सकती है.

international footballer appeals to the government for players
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर ने सरकार से लगाई गुहार
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Published : Nov 30, 2019, 3:06 PM IST

छिंदवाड़ा। जिले की विनीता पर कई परेशानियों का पहाड़ टूटा लेकिन वो सबसे लड़ते हुए आज अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी है. विनीता नेटी को खिलाड़ी बनाने का सपना उसके पिताजी का था, लेकिन विनीता के पिता उसका साथ बीच में छोड़कर इस दुनिया से चले गए. उसके बाद विनीता अकेली तो पड़ी, लेकिन उसने अपने पिता के सपनों को पूरा करने की ठान ली थी और विनीता अब अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी है. लेकिन अब विनीता का अपने खेल से मोह भंग होने लगा है.

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर ने सरकार से लगाई गुहार

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल करने के बाद छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने विनीता को चुनाव के दौरान स्वीप आईकॉन भी बनाया. विनीता कहती हैं कि एक खिलाड़ी अपने प्रदेश-देश और जिले के लिए सब कुछ देता है. उसके पास पढ़ाई के लिए समय कम होता है, ऐसे समय में खेल के जरिए उनको एक अच्छी नौकरी मिल जाए तो वो अपनी जिंदगी सवार सकती हैं, लेकिन सरकार है कि ऐसा कुछ कर नहीं रही है. इसलिए अब विनीता सिविल सर्विस में जाने की तैयारी कर रही हैं.

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर ने सरकार से लगाई गुहार

जानिए विनीता का सफर-
विनीता नेटी के पिता भगत सिंह नेटी वन विभाग में ड्राइवर की नौकरी करते थे. विनीता बताती हैं कि उसे खिलाड़ी बनने की प्रेरणा अपने पिता से ही मिली है. अक्सर उसके पिता अपने साथ घुमाने ले जाने के दौरान दौड़ लगाने को कहते थे, विनीता का फिजिकल स्टैमिना देखकर उसके पिता को पूरा भरोसा था कि वो एक अच्छी फुटबॉल प्लेयर बन सकती है. पिता का सपना था कि उनकी बेटी को वो इंटरनेशनल खेलते देंखे, लेकिन उनका ये सपना अधूरा रह गया और 2014 में वो इस दुनिया को अलविदा कह गए.

'चक दे इंडिया' फिल्म से मिली प्रेरणा
विनीता ने जिला स्तर पर स्कूल की तरफ से फुटबॉल खेला, लेकिन स्टेट लेवल पर उनका चयन नहीं हुआ. 2007 में फिर उन्होंने चक दे इंडिया मूवी देखी विनीता को लगा कि एक महिला अच्छी प्लेयर कैसे बन सकती है. इस मूवी को देखकर विनीता ने ठान लिया कि वो कड़ी मेहनत करेगी और सभी को नेशनल प्लेयर बनकर दिखाएगी.
जिला लेवल से लेकर स्टेट और स्टेट के बाद नेशनल विनीता ने खेला. नागपुर एकेडमी ज्वाइन करने के बाद वहीं से विनीता का इंटरनेशनल टीम में चयन हुआ. विनीता ने साउथ अमेरिका के चिली में फुटबॉल मैच खेला. इस मैच में विनीता को फेयर प्लेयर का अवार्ड भी मिला. इस उपलब्धि के बाद मानो विनीता की ऊंचाइयों को पंख लग गए. उनको बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड, बेस्ट मिडफील्डर अवॉर्ड, बेस्ट डिफेंस अवार्ड के अलावा ऐसे कई अवार्ड मिले हैं जो फुटबॉल की दुनिया में खास माने जाते हैं.

छिंदवाड़ा। जिले की विनीता पर कई परेशानियों का पहाड़ टूटा लेकिन वो सबसे लड़ते हुए आज अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी है. विनीता नेटी को खिलाड़ी बनाने का सपना उसके पिताजी का था, लेकिन विनीता के पिता उसका साथ बीच में छोड़कर इस दुनिया से चले गए. उसके बाद विनीता अकेली तो पड़ी, लेकिन उसने अपने पिता के सपनों को पूरा करने की ठान ली थी और विनीता अब अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी है. लेकिन अब विनीता का अपने खेल से मोह भंग होने लगा है.

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर ने सरकार से लगाई गुहार

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल करने के बाद छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने विनीता को चुनाव के दौरान स्वीप आईकॉन भी बनाया. विनीता कहती हैं कि एक खिलाड़ी अपने प्रदेश-देश और जिले के लिए सब कुछ देता है. उसके पास पढ़ाई के लिए समय कम होता है, ऐसे समय में खेल के जरिए उनको एक अच्छी नौकरी मिल जाए तो वो अपनी जिंदगी सवार सकती हैं, लेकिन सरकार है कि ऐसा कुछ कर नहीं रही है. इसलिए अब विनीता सिविल सर्विस में जाने की तैयारी कर रही हैं.

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर ने सरकार से लगाई गुहार

जानिए विनीता का सफर-
विनीता नेटी के पिता भगत सिंह नेटी वन विभाग में ड्राइवर की नौकरी करते थे. विनीता बताती हैं कि उसे खिलाड़ी बनने की प्रेरणा अपने पिता से ही मिली है. अक्सर उसके पिता अपने साथ घुमाने ले जाने के दौरान दौड़ लगाने को कहते थे, विनीता का फिजिकल स्टैमिना देखकर उसके पिता को पूरा भरोसा था कि वो एक अच्छी फुटबॉल प्लेयर बन सकती है. पिता का सपना था कि उनकी बेटी को वो इंटरनेशनल खेलते देंखे, लेकिन उनका ये सपना अधूरा रह गया और 2014 में वो इस दुनिया को अलविदा कह गए.

'चक दे इंडिया' फिल्म से मिली प्रेरणा
विनीता ने जिला स्तर पर स्कूल की तरफ से फुटबॉल खेला, लेकिन स्टेट लेवल पर उनका चयन नहीं हुआ. 2007 में फिर उन्होंने चक दे इंडिया मूवी देखी विनीता को लगा कि एक महिला अच्छी प्लेयर कैसे बन सकती है. इस मूवी को देखकर विनीता ने ठान लिया कि वो कड़ी मेहनत करेगी और सभी को नेशनल प्लेयर बनकर दिखाएगी.
जिला लेवल से लेकर स्टेट और स्टेट के बाद नेशनल विनीता ने खेला. नागपुर एकेडमी ज्वाइन करने के बाद वहीं से विनीता का इंटरनेशनल टीम में चयन हुआ. विनीता ने साउथ अमेरिका के चिली में फुटबॉल मैच खेला. इस मैच में विनीता को फेयर प्लेयर का अवार्ड भी मिला. इस उपलब्धि के बाद मानो विनीता की ऊंचाइयों को पंख लग गए. उनको बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड, बेस्ट मिडफील्डर अवॉर्ड, बेस्ट डिफेंस अवार्ड के अलावा ऐसे कई अवार्ड मिले हैं जो फुटबॉल की दुनिया में खास माने जाते हैं.

Intro:छिंदवाड़ा। लक्ष्य न ओझल होने पाए कदम मिलाकर चल सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी कि आज नहीं तो कल, यह लाइनें सटीक बैठती है छिंदवाड़ा की रहने वाली विनीता नेटी पर, विनीता पर कई परेशानियों का पहाड़ टूटा सबसे लड़ते हुए आज वो अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी है।


Body:विनीता नेटी को खिलाड़ी बनाने का सपना उसके पिताजी का था लेकिन विनीता के पिता ने उसका साथ बीच में छोड़कर इस दुनिया से अलविदा हो गए, उसके बाद विनीता अकेली तो पड़ी लेकिन उसने अपने पिता के सपनों को पूरा करने की ठान ली थी और विनीता अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी है।

वन विभाग में ड्राइवर थे पिताजी

विनीता नेटी के पिता भगत सिंह नेटी वन विभाग में ड्राइवर की नौकरी करते थे विनीता बताती है कि हमको खिलाड़ी बनने की प्रेरणा उनके पिता से ही मिली है अक्सर उनके पिता उन्हें अपने साथ घुमाने ले जाने के दौरान दौड़ लगाने को कहते थे विनीता का फिजिकल स्टैमिना देखकर उनके पिता को पूरा भरोसा था कि वह एक अच्छी फुटबॉल प्लेयर बन सकती है। पिता का सपना था कि उनकी बेटी को वे इंटरनेशनल खेलते देंखे लेकिन सपना उनका अधूरा रह गया और 2014 में वह इस दुनिया को अलविदा कह गए।

विनीता का सफर,साउथ अमेरिका में लहराया परचम

विनीता ने जिला स्तर पर स्कूल की तरफ से फुटबॉल खेला लेकिन स्टेट लेवल पर उनका चयन नहीं हुआ 2007 में फिर उन्होंने चक दे इंडिया मूवी देखी अनीता को लगा कि एक महिला अच्छा प्लेयर कैसे बन सकती है इस मूवी को देखकर विनीता ने ठान लिया कि कड़ी मेहनत करेगी और सभी को नेशनल प्लेयर बनकर दिखाएगी जिला लेवल से लेकर स्टेट और स्टेट के बाद नेशनल विनीता ने खेला नागपुर एकेडमी ज्वाइन करने के बाद वहीं से विनीता का नेशनल टीम में चयन हुआ विनीता ने साउथ अमेरिका के चिली में फुटबॉल मैच खेला इस मैच में विनीता को फेयर प्लेयर का अवार्ड भी मिला, इस उपलब्धि के बाद मानो विनीता की ऊंचाइयों को पंख लग गए उनको बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड बेस्ट मिडफील्डर अवॉर्ड बेस्ट डिफेंस अवार्ड के अलावा ऐसे कई अवार्ड मिले हैं जो फुटबॉल की दुनिया में का खास माने जाते हैं।

कठिनाइयों में दौर में फीस के लिए नहीं होते थे पैसे,मददगार आए सामने

विनीता बताती है कि उनके पिता के निधन के बाद आर्थिक तंगी का एक दौर ऐसा भी आया और वे एकेडमी छोड़कर वापस छिन्दवाड़ा आ गई, जब उनके पास कोचिंग के पैसे और जरूरत के खाने के सामान के लिए भी तरसना पड़ता था ऐसे समय में कई कोच और उनके दोस्तों ने विनीता का साथ दिया जिन्हें याद करके विनीता आज उनका धन्यवाद देती है।

121 विनीता नेटी









Conclusion:सरकार से उम्मीद खिलाड़ियों के लिए भी कुछ करें।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल करने के बाद छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने विनीता को चुनाव के दौरान स्वीप आईकॉन भी बनाया, विनीता कहती हैं कि एक खिलाड़ी अपने प्रदेश देश और जिले के लिए सब कुछ देता है उसके पास पढ़ाई के लिए समय कम होता है ऐसे समय में खेल के जरिए उनको एक अच्छी नौकरी मिल जाए तो वे अपनी जिंदगी सवार सकती है लेकिन सरकार हैं आप ऐसा कुछ कर नहीं रही है इसलिए वे सिविल सर्विस में जाने की तैयारी कर रही हैं।
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