छिंदवाड़ा। किसानों ने खेतों में गेहूं की बोवनी कर दी है, लेकिन पर्याप्त बिजली नहीं मिलने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं रात में बिजली सप्लाई (electricity supply in chhindwara) न होने की वजह से ठंड के मौसम में किसान रतजगा करने को मजबूर हैं.
कड़कड़ाती ठंड के बीच बिजली का इंतजार
कड़कड़ाती ठंड में जहां लोग घर से निकलने में भी परहेज करते हैं. वहीं इन दिनों छिंदवाड़ा के हर गांव के खेतों में कहीं किसान रात भर ठंडे पानी में सिंचाई करते हुए मिलेगा तो कहीं बिजली के इंतजार में रात भर जागता मिलेगा. दरअसल, रबी की फसल (rabi crop in chhindwara) सिंचाई का काम शुरू हो गया है, लेकिन बिजली का शेड्यूल ऐसा है कि किसान को दिन हो या रात सिंचाई के लिए खेतों में डटे रहना पड़ रहा है.
किसानों को बिजली नहीं मिल रही पर्याप्त
किसानों ने बताया कि उन्हें बिजली पर्याप्त नहीं मिलती है. कभी बिजली आती है तो फिर वोल्टेज की समस्या होती है, लेकिन बिजली कर्मचारी महीना में बिल वसूलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते. अगर कभी चूक हो जाए तो बिजली काटने से लेकर मोटर पंप तक कुर्क करने की धमकी तक देते हैं.
अन्नदाता के साथ हो रहा भेदभाव
किसानों ने ईटीवी भारत को बताया कि उद्योगों के लिए दिन में भरपूर बिजली दी जाती है. वहीं रहवासी इलाकों और शहरी इलाकों में भी बिजली की आपूर्ति ठीक से होती है. सिर्फ खेतों में ही सिंचाई (irrigation in chhindwara fields) के समय बिजली का संकट पैदा होता है. चुनावी मौसम में नेता किसानों के मसीहा होने के बड़े-बड़े दावे और वादे करते हैं, लेकिन उन्हीं के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जाता है. आखिर वह भी इंसान हैं, उन्हें भी रात में सोने के लिए जरूरत होती है.
तकनीकी खामियों का हवाला देते अधिकारी
अन्नदाता की परेशानियों के मामले में जब ईटीवी भारत ने छिंदवाड़ा बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता एसआर येएमदे से बात कीं तो उनका कहना था कि जिले में तीन शिफ्टों में बिजली की सप्लाई की जा रही है. रात में ज्यादा से ज्यादा 10:00 बजे तक बिजली सप्लाई की जा रही है. कई जगह ओवरलोड होने के चलते तकनीकी खामियां आ जाती हैं. जिस वजह से कई बार बिजली नहीं रहती है. हालांकि इस पर सुधार का काम चल रहा है.
चिलचिलाती धूप हो या फिर बारिश का मौसम और अब कड़कड़ाती ठंड के तेवर सभी में किसान खेतों में काम करते मिलते हैं. अन्नदाता का कहना है कि अगर बिजली का शेड्यूल दिन में कर दिया जाए, और उन्हें पर्याप्त बिजली मिलने लगे तो वे भी रात में अपने घरों में सुकून की नींद ले सकते हैं.