छिंदवाड़ा। कुदरत की मार के बाद अब कोर्न सिटी के अन्नदाता पर सरकार की दोहरी मार पड़ने जा रही है, क्योंकि इस बार फिर किसानों का मक्का समर्थन मूल्य पर खरीदा नहीं जा रहा है.(Chhindwara Corn Rate Problem) अतिवृष्टि के चलते पहले ही बर्बाद हो चुका किसान अब सरकार की योजनाओं के चलते बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा है. दरअसल खरीफ की फसल के लिए पंजीयन शुरू हो गया है, लेकिन मक्के का पंजीयन सरकार ने बंद कर दिया है.
2 लाख 60 हेक्टेयर में मक्का की फसल: मध्यप्रदेश में सर्वाधिक मक्के का उत्पादन छिंदवाड़ा जिले में किया जाता है. इस बार जिले में करीब 2 लाख 60 हेक्टेयर जमीन में मक्का लगाया गया था, लेकिन बारिश के चलते काफी फसल बर्बाद हुई है. अब समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए पंजीयन नहीं हो रहा है. साल 2018 में छिंदवाड़ा में देश का इकलौता कॉर्न फेस्टिवल हुआ था. (Chhindwara Corn City)उसी समय से छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का तमगा मिला था, लेकिन कॉर्न सिटी का तमगा दिलाने वाला अन्नदाता अब अपनी उपज बेचने के लिए दर-दर भटक रहा है.
मौसम की मार से उपज हुई कम: केंद्र सरकार ने मक्के का समर्थन मूल्य 1962 तय किया है, लेकिन मध्यप्रदेश में खरीदी के लिए कोई योजना नहीं है. इसलिए खरीफ में की धान सोयाबीन ज्वार बाजरा की फसलों का पंजीयन हो रहा है. लेकिन मक्के की फसल का पंजीयन नहीं हुआ है. छिंदवाड़ा जिले में प्रति एकड़ मक्के का उत्पादन 25 से 30 क्विंटल होता था लेकिन अतिवृष्टि और मौसम की मार के चलते इस बार उपज 10 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ ही हुई है. जिसके चलते किसानों के सामने अब आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है.
Chhindwara Corn Rate Problem: केंद्र सरकार ने मक्का का समर्थन मूल्य किया तय, मध्य प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य नहीं खरीदेगी मक्का
हर दिन 4000 क्विंटल से ज्यादा आवक: समर्थन मूल्य में पहले सेवा सहकारी समिति के जरिए मक्का खरीदा जाता था जिससे किसान अपने गांव के आसपास की समितियों में मक्का बेचता था. खरीदी नहीं होने की वजह से हर दिन मंडी ने क्षमता से आठ से 10 गुना ज्यादा मक्का आ रहा है. जिसकी वजह से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मंडी के सचिव को कहना है कि, टीन शेड में जगह कम पड़ रही है. इसकी वजह से किसान सड़क पर ढेर लगा कर फसल बेच रहे हैं.