छिन्दवाड़ा। भारत सरकार की इंटर मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम के सदस्य डॉ एके तिवारी और वीरेन्द्र कुमार भारती के साथ ही राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी उप संचालक कृषि अवनीश चतुर्वेदी और संभागीय संयुक्त संचालक कृषि एसके नेताम ने आज जिले के मोहखेड़ विकासखंड के ग्राम तिकाड़ी, नरसला, बदनूर, टेमनीकला, पालाखेड़ और गुबरेल ग्रामों का भ्रमण कर कीट व्याधि से प्रभावित फसलों का जायजा लिया.
केन्द्रीय दल द्वारा मैदानी अमले को शीघ्र ही फसल कटाई प्रयोग कर प्रति हैक्टेयर उत्पादकता के आंकड़े प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये. केन्द्रीय दल ने अधिकारी विनोद पहाड़े, रामभरोस पहाड़े, सेवकराम पहाड़े, रेवत पहाड़े और अन्य कृषकों से भी चर्चा की.
केन्द्रीय दल के सदस्यों ने ग्राम नरसला के कृषक सुकरचंद कुमरे के खेत में बोई गई सोयाबीन की माधुरी किस्म की फसल का निरीक्षण किया. कृषक ने बताया कि इल्ली के प्रकोप से दो से तीन बार दवा का स्प्रे किया गया, किंतु फिर भी प्रति एकड़ दो या तीन क्विंटल उत्पादन मिलने की संभावना है.
केन्द्रीय दल के सदस्यों ने ग्राम नरसला की ही कुशमीरा बाई पवार के खेत में बोई गई, सोयाबीन की जेएस 335 और माधुरी किस्म का अवलोकन भी किया. महिला कृषक ने बताया कि पूर्व में उनके खेत में प्रति एकड़ 7 से 8 क्विंटल तक सोयाबीन की फसल लेते थे, किंतु इस वर्ष इल्लियों के प्रकोप के कारण 2 से 3 क्विंटल तक का ही उत्पादन मिल सकेगा. केन्द्रीय दल ने महिला कृषक के कार्य और मेहनत की सराहना की.
केन्द्रीय दल द्वारा ग्राम पालाखेड़ और गुबरेल में कृषकों की सोयाबीन, मक्का और उड़द फसलों का अवलोकन किया. ग्राम पालाखेड़ के कृषक चेतन चौधरी ने बताया कि उड़द में किट और रोग से फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी है और बची हुई फसल प्रतिदिन हो रही बारिश से फफूंद से प्रभावित होकर खराब हो रही है.
टीम के सदस्य डॉतिवारी ने किसानों से किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा, किसान सम्मान निधि की जानकारी लेने के साथ ही उनके द्वारा बोई गई फसलों की किस्मों की जानकारी भी प्राप्त की. टीम के सदस्य डॉतिवारी ने किसानों को सलाह दी कि सभी किसान अपनी फसल का बीमा करवाएं, किसान क्रेडिट कार्ड बनवायें और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित की गई फसलों के प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें.
उन्होंने सलाह दी कि आगामी रबी मौसम में अच्छी गुणवत्ता वाली मटर की काशीनंदिनी प्रजाति लगायें.साथ ही मसूर व सरसों की अधिक उत्पादन देने वाली उपज भी लगायें जिससे फसलों में जहां कीट व्याधि से बचाव होगा, वहीं अच्छा उत्पादन भी मिल सकेगा. उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वे मटर की काशीनंदिनी प्रजाति, मेज मस्टर्ड प्रजाति और मसूर के फसल प्रदर्शन कराने के साथ ही कृषकों को इन फसलों के फसल प्रदर्शन का अवलोकन भी कराएं, जिससे वे अच्छी गुणवत्ता व किस्म के बीजों का उपयोग कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.