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पांच सूत्रीय मांगों को लेकर अड़े बस संचालक, आदेश के बाद भी संचालित नहीं हो रहीं बसें

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 महीने का टैक्स माफ करते हुए बस चलाने के निर्देश दिए हैं. लेकिन अभी भी बस संचालक बस चलाने में आनाकानी कर रहे हैं और अभी बस संचालक अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर बस नहीं चलाने पर अड़े हुए हैं.

Busy operations with demands
मांगों को लेकर अड़े बस संचालक
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Published : Sep 7, 2020, 5:32 PM IST

छिंदवाड़ा। कोरोना काल में बंद पड़ी यात्री बसों को मध्यप्रदेश सरकार ने 5 महीने का टैक्स माफ करते हुए चलाने के निर्देश दिए हैं. लेकिन अभी भी बस संचालक बस चलाने में आनाकानी कर रहे हैं और अभी बस संचालक अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर बस नहीं चलाने के लिए अड़े हुए हैं.

मांगों को लेकर अड़े बस संचालक

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में बसों के संचालन पर रोक लगाया गया था. अब यात्रियों की सुविधा के लिए यात्री बस चलाने के लिए सरकार ने बसों के 5 महीने का टैक्स माफ कर चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन निजी बस मालिक इस पर भी तैयार नहीं है. लिहाजा छिंदवाड़ा से अभी भी यात्री बस नहीं चल रही है.

पांच मांगों पर अड़े हैं निजी बस संचालक

बस मालिकों का कहना है कि बीते 5 महीनों में उनके द्वारा जमा किया बीमा को आगे बढ़ाया जाए. इसके साथ ही टैक्स दिसंबर तक माफ होना चाहिए क्योंकि सड़कों पर सवारी नहीं है और अगर सवारी नहीं आती है, तो हमें नॉनयूज के लिए अनुमति दिया जाए. साथ ही लगातार डीजल के रेट में वृद्धि हुई है. इसलिए किराए में भी बढ़ोतरी की जाए.

ड्राइवर-कंडक्टर को लॉकडाउन का मुआवजा और बीमा की मांग

बस मालिकों का कहना है कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा खतरा बस कंडक्टर और ड्राइवर को है. ऐसे में कोरोना काल के समय में उन्हें काफी नुकसान हुआ है सरकार को आर्थिक मुआवजा के साथ ही उनका कोविड-19 में बीमा करवाना चाहिए ताकि उन्हें सुरक्षा मिल सके.

सरकार को अधिग्रहित कर चलाना चाहिए निजी बसें

बस मालिकों का कहना है कि सरकारी कामों और रैलियों के लिए जब प्रशासन बस अधिग्रहित करती है उसी तर्ज पर अब इस परेशानी में भी सरकार को निजी मालिकों से बस अधिकृत करना चाहिए और फिर संचालित करना चाहिए. जिससे कि अगर सवारी कम भी मिलती हैं, तो बस मालिकों का घाटा नहीं होगा.

छिंदवाड़ा। कोरोना काल में बंद पड़ी यात्री बसों को मध्यप्रदेश सरकार ने 5 महीने का टैक्स माफ करते हुए चलाने के निर्देश दिए हैं. लेकिन अभी भी बस संचालक बस चलाने में आनाकानी कर रहे हैं और अभी बस संचालक अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर बस नहीं चलाने के लिए अड़े हुए हैं.

मांगों को लेकर अड़े बस संचालक

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में बसों के संचालन पर रोक लगाया गया था. अब यात्रियों की सुविधा के लिए यात्री बस चलाने के लिए सरकार ने बसों के 5 महीने का टैक्स माफ कर चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन निजी बस मालिक इस पर भी तैयार नहीं है. लिहाजा छिंदवाड़ा से अभी भी यात्री बस नहीं चल रही है.

पांच मांगों पर अड़े हैं निजी बस संचालक

बस मालिकों का कहना है कि बीते 5 महीनों में उनके द्वारा जमा किया बीमा को आगे बढ़ाया जाए. इसके साथ ही टैक्स दिसंबर तक माफ होना चाहिए क्योंकि सड़कों पर सवारी नहीं है और अगर सवारी नहीं आती है, तो हमें नॉनयूज के लिए अनुमति दिया जाए. साथ ही लगातार डीजल के रेट में वृद्धि हुई है. इसलिए किराए में भी बढ़ोतरी की जाए.

ड्राइवर-कंडक्टर को लॉकडाउन का मुआवजा और बीमा की मांग

बस मालिकों का कहना है कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा खतरा बस कंडक्टर और ड्राइवर को है. ऐसे में कोरोना काल के समय में उन्हें काफी नुकसान हुआ है सरकार को आर्थिक मुआवजा के साथ ही उनका कोविड-19 में बीमा करवाना चाहिए ताकि उन्हें सुरक्षा मिल सके.

सरकार को अधिग्रहित कर चलाना चाहिए निजी बसें

बस मालिकों का कहना है कि सरकारी कामों और रैलियों के लिए जब प्रशासन बस अधिग्रहित करती है उसी तर्ज पर अब इस परेशानी में भी सरकार को निजी मालिकों से बस अधिकृत करना चाहिए और फिर संचालित करना चाहिए. जिससे कि अगर सवारी कम भी मिलती हैं, तो बस मालिकों का घाटा नहीं होगा.

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