छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा में एक ऐसा प्राचीन मठ है, जहां 973 साल से गणपति बप्पा विराज रहे हैं. मठ के मठाधिपति के मुताबिक 973 सालों से गणेशोत्सव मनाने की परंपरा निभाई जा रही है. बरसों से श्रीगणेश की स्थापना और पूजन के प्रमाण आज भी इस मठ में मौजूद हैं.
मान्यता के मुताबिक पांढुर्ना में ही यह एकमात्र प्राचीन गणपति मठ मौजूद है, जिसे रहवासी 'पांढुर्ना का राजा' भी कहते हैं. इसलिए यहां 10 दिनों तक आस्था का मेला लगता है. यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु गणपति बप्पा के दर्शन करते हैं. मौजूदा वक्त में इस प्राचीन मठ के मठाधिपति वीररूद्रमुनी शिवाचार्य महाराज हैं.
खास बात ये है कि गणपति मठ में स्थापित की जाने वाली भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, रूप और बनावट 973 साल से एक जैसा है. यहां विराजित होने वाली गणेश प्रतिमा के निर्माण में भी कई सालों से एक रूप में निभाई जा रही है. पिछले कई सालों से शहर के मूर्तिकार एन खोड़े ही गणपति मठ में विराजने वाली गणेश जी की प्रतिमा को आकार देते आ रहे हैं. इस मठ में प्राचीन शिवलिंग भी मौजूद है, जिस पर मुकुटधारी, हाथ में त्रिशूल, शंख और शिवलिंग लिए भगवान गणेश की आकर्षक प्रतिमा के दर्शन पाकर भक्त अभिभूत हो जाते हैं.
लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है ये मठ
गणपति मठ से पूरे क्षेत्रवासियों की आस्था जुड़ी हुई है. गणेशोत्सव के दौरान भगवान श्री गणेश की आराधना करने के लिए भक्त भक्तिभाव के साथ यहां पहुंच रहे हैं. भगवान गणेश इन भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. मान्यता है कि गणेश मठ में पहुंचे नि:संतान दपंतियों की बप्पा ने मनोकामना पूरी की है. इस साल भी यहां गणेश की आराधना करने के लिए भक्तों का मेला लगा हुआ है. भक्त यहां पहुंचकर गणेशजी के अनुपम रूप के दर्शन कर रहे हैं, हालांकि मौजूदा वक्त में ये मठ जर्जर हालत में है, जिसकी शासन-प्रशासन को मरम्मत करवाने की जरूरत है.