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973 सालों से यहां एक ही रूप में विराजमान हैं विघ्नहर्ता, जानें लोग क्यों कहते हैं 'पांढुर्ना का राजा'

छिंदवाड़ा के पांढुर्णा में गणपति मठ में स्थापित की जाने वाली भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, रूप और बनावट 973 साल से एक जैसा है. इस मठ को लेकर लोगों में काफी आस्था है.

973 सालों पुराना है पांढुर्ना में गणपति मठ
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Published : Sep 6, 2019, 11:03 AM IST

छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा में एक ऐसा प्राचीन मठ है, जहां 973 साल से गणपति बप्पा विराज रहे हैं. मठ के मठाधिपति के मुताबिक 973 सालों से गणेशोत्सव मनाने की परंपरा निभाई जा रही है. बरसों से श्रीगणेश की स्थापना और पूजन के प्रमाण आज भी इस मठ में मौजूद हैं.

973 सालों पुराना है पांढुर्ना में गणपति मठ

मान्यता के मुताबिक पांढुर्ना में ही यह एकमात्र प्राचीन गणपति मठ मौजूद है, जिसे रहवासी 'पांढुर्ना का राजा' भी कहते हैं. इसलिए यहां 10 दिनों तक आस्था का मेला लगता है. यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु गणपति बप्पा के दर्शन करते हैं. मौजूदा वक्त में इस प्राचीन मठ के मठाधिपति वीररूद्रमुनी शिवाचार्य महाराज हैं.

खास बात ये है कि गणपति मठ में स्थापित की जाने वाली भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, रूप और बनावट 973 साल से एक जैसा है. यहां विराजित होने वाली गणेश प्रतिमा के निर्माण में भी कई सालों से एक रूप में निभाई जा रही है. पिछले कई सालों से शहर के मूर्तिकार एन खोड़े ही गणपति मठ में विराजने वाली गणेश जी की प्रतिमा को आकार देते आ रहे हैं. इस मठ में प्राचीन शिवलिंग भी मौजूद है, जिस पर मुकुटधारी, हाथ में त्रिशूल, शंख और शिवलिंग लिए भगवान गणेश की आकर्षक प्रतिमा के दर्शन पाकर भक्त अभिभूत हो जाते हैं.

लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है ये मठ
गणपति मठ से पूरे क्षेत्रवासियों की आस्था जुड़ी हुई है. गणेशोत्सव के दौरान भगवान श्री गणेश की आराधना करने के लिए भक्त भक्तिभाव के साथ यहां पहुंच रहे हैं. भगवान गणेश इन भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. मान्यता है कि गणेश मठ में पहुंचे नि:संतान दपंतियों की बप्पा ने मनोकामना पूरी की है. इस साल भी यहां गणेश की आराधना करने के लिए भक्तों का मेला लगा हुआ है. भक्त यहां पहुंचकर गणेशजी के अनुपम रूप के दर्शन कर रहे हैं, हालांकि मौजूदा वक्त में ये मठ जर्जर हालत में है, जिसकी शासन-प्रशासन को मरम्मत करवाने की जरूरत है.

छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा में एक ऐसा प्राचीन मठ है, जहां 973 साल से गणपति बप्पा विराज रहे हैं. मठ के मठाधिपति के मुताबिक 973 सालों से गणेशोत्सव मनाने की परंपरा निभाई जा रही है. बरसों से श्रीगणेश की स्थापना और पूजन के प्रमाण आज भी इस मठ में मौजूद हैं.

973 सालों पुराना है पांढुर्ना में गणपति मठ

मान्यता के मुताबिक पांढुर्ना में ही यह एकमात्र प्राचीन गणपति मठ मौजूद है, जिसे रहवासी 'पांढुर्ना का राजा' भी कहते हैं. इसलिए यहां 10 दिनों तक आस्था का मेला लगता है. यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु गणपति बप्पा के दर्शन करते हैं. मौजूदा वक्त में इस प्राचीन मठ के मठाधिपति वीररूद्रमुनी शिवाचार्य महाराज हैं.

खास बात ये है कि गणपति मठ में स्थापित की जाने वाली भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, रूप और बनावट 973 साल से एक जैसा है. यहां विराजित होने वाली गणेश प्रतिमा के निर्माण में भी कई सालों से एक रूप में निभाई जा रही है. पिछले कई सालों से शहर के मूर्तिकार एन खोड़े ही गणपति मठ में विराजने वाली गणेश जी की प्रतिमा को आकार देते आ रहे हैं. इस मठ में प्राचीन शिवलिंग भी मौजूद है, जिस पर मुकुटधारी, हाथ में त्रिशूल, शंख और शिवलिंग लिए भगवान गणेश की आकर्षक प्रतिमा के दर्शन पाकर भक्त अभिभूत हो जाते हैं.

लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है ये मठ
गणपति मठ से पूरे क्षेत्रवासियों की आस्था जुड़ी हुई है. गणेशोत्सव के दौरान भगवान श्री गणेश की आराधना करने के लिए भक्त भक्तिभाव के साथ यहां पहुंच रहे हैं. भगवान गणेश इन भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. मान्यता है कि गणेश मठ में पहुंचे नि:संतान दपंतियों की बप्पा ने मनोकामना पूरी की है. इस साल भी यहां गणेश की आराधना करने के लिए भक्तों का मेला लगा हुआ है. भक्त यहां पहुंचकर गणेशजी के अनुपम रूप के दर्शन कर रहे हैं, हालांकि मौजूदा वक्त में ये मठ जर्जर हालत में है, जिसकी शासन-प्रशासन को मरम्मत करवाने की जरूरत है.

Intro: 973 सालो से प्राचीन मठ में

" विघ्नहर्ता "

पांढुर्णा :-

छिंदवाडा जिले के पांढुर्णा में एक ऐसा प्राचीन मठ हैं जहाँ 973 साल से गणपती बाप्पा विराजमान हो रहे हैं जी हाँ इस गणपति मठ के मठाधिपति के मुताबिक इस मठ में 973 सालों से गणेशोत्सव मनाने की परंपरा निभाई जा रही है जहाँ श्रीगणेश की स्थापना और पूजन के प्रमाण आज भी इस मठ में मौजूद है मान्यता के अनुसार मध्यप्रदेश में पांढुर्ना शहर में ही यह एकमात्र प्राचीन गणपति मठ मौजूद है जहाँ गणपति मठ में विराजने वाले गणपति बप्पा को क्षेत्रवासी " पांढुर्ना का राजा " भी कहते हैं इसलिए जहाँ 10 दिनों तक आस्था का मेला लगता हैं जहां हर दिन हजारो श्रद्धालु गणपति बापा के दर्शन करते है वर्तमान में इस प्राचीन मठ के मठाधिपति वीररूद्रमुनी शिवाचार्य महाराज है Body:973 सालो से एक ही रूप में विराज रहे है विघ्नहर्ता :-

पांढुर्णा में स्थापित प्राचीन मठ में 973 वर्षों से निभाई जा रही गणपति बाप्पा की परंपरा आज भी निभाई जा रही हैं दरअसल गणपति मठ में स्थापित की जाने वाली भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, रूप, बनावट 973 साल से एक जैसा है यहां विराजित होने वाली गणेश प्रतिमा के निर्माण में भी कई वर्षों से एकरूपता निभाई जा रही है। पिछले कई वर्षों से शहर के मूर्तिकार एन.खोड़े ही गणपति मठ में विराजने वाली गणेश जी की प्रतिमा को आकार देते आ रहे है इस मठ में प्राचीन शिवलिंग मौजूद हैं जिसपर मुकुटधारी, हाथ में त्रिशूल, शंख और शिवलिंग लिए भगवान गणेश की आकर्षक प्रतिमा के दर्शन पाकर भक्त अभिभूत होते हैConclusion:लोगो की जुड़ी है गणपति बापा से आस्था ,करते हैं मनोकामना पूरी :-

गणपति मठ से पूरे क्षेत्रवासियों की आस्था जुड़ी हुई है। गणेशोत्सव के दौरान भगवान श्री गणेश की आराधना करने भक्त भक्तिभाव के साथ यहां पहुंच रहे है। भगवान गणेश इन भक्तों की मनोकामना पूरी करते है। मान्यता है कि गणेश मठ में पहुंचे नि:संतान दपंतियों की बप्पा ने मनोकामना पूरी की है। वहीं अन्य कई प्रकार की मनोकामनाएं लेकर पहुंचने वाले भक्त भी यहां से खाली हाथ नही लौटते। इस साल भी यहां गणेश की आराधना करने भक्तों का मेला लग रहा है। भक्त पहुंचकर गणेशजी के अनुपम रूप के दर्शन कर रहे है वर्तमान में यह प्राचीन मठ जर्जर हो गया हैं जिसकी मरम्मत करना अनिवार्य हो गया हैं

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वीर रुद्रमुनि शिवाचार्य महाराज
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