छिंदवाड़ा। देश में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले छिंदवाड़ा जिले के किसानों को इस बार खरीब के मौसम में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. फॉल आर्मीवर्म नाम का खतरनाक कीड़ा फसलों के लिए नुकसानदायक है. इस परेशानी से निजात पाने के उपाय कृषि वैज्ञानिक विजय पराड़कर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया.
मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा मक्के की पैदावार छिंदवाड़ा जिले में होती है. छिंदवाड़ा स्थित आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक विजय पराड़कर का कहना है कि गर्मी के सीजन में किसानों के खेतों में लगाई गई मक्के की फसल में फॉल आर्मीवर्म नाम के खतरनाक कीड़े का प्रकोप देखने को मिला है, जो फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देता है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि इससे बचने के लिए सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय है.
- बोनी के पहले जमीन की गहरी जोताई करें, जिससे कीट बाहर आ जाए और परभक्षी कीट उसको नष्ट कर सके.
- किसान अंतरवर्तीय फसल लें, जिसमें से खासतौर पर दलहन की जगह पर ही मक्के की फसल लगाएं.
- बीज को अच्छी तरीके से उपचारित करके जमीन पर डालें, जिससे की स्पर्श से कीट नष्ट हो सके.
- मक्के के साथ जुड़ाव फसल जैसे मक्के के साथ अरहर,मूंग, उड़द फसलों को लगाएं.
कीट लगने के बाद बचाव के उपाय
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक अगर मक्के की फसल में इस कीट का प्रकोप आ जाता है तो सबसे पहले क्लोरोपेरिफॉस,ट्राईजोफॉस कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं. अगर इससे भी कन्ट्रोल नहीं होता है तो कृषि विभाग से सलाह लेना चाहिए.
फॉल आर्मीवर्म की कैसे करें पहचान
फॉल आर्मीवर्म की पहचान को लेकर उन्होंने बताया कि जब फसल 4 पत्तियों की हो जाए और पौधे लहलहाने की बजाय मुड़े और खुरदुरे से दिखें या फिर पत्तियों में हरे रंग की जगह बीच-बीच में ऐसे दाग दिखे. जिससे लगे कि पत्तियों में घर्षण हुआ है, तो ये इस खतरनाक कीट के लक्षण होते हैं. बता दें पूरे देश में करीब 14 फीसदी मक्के की फसल लगाई जाती है जिसमें से सबसे ज्यादा रकबा और उत्पादन छिंदवाड़ा जिले का रहता है, इसीलिए छिंदवाड़ा जिले को कॉर्न सिटी के नाम से भी जाना जाता है.