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जिले में मौजूद है अनोखा मंदिर, जहां मां बगराजन के साथ मौजूद है पठान की मजार - मध्यप्रदेश न्यूज

जिले में मां बगराजन के नाम से एक अनोखा मंदिर है. यहां पर पठान की मजार मौजूद. मंदिर में आने वाले भक्त माता की पूजा करने के साथ ही पठान की मजार पर भी पर पहुंचते है.

जिले में मौजूद है अनोखा मंदिर
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Published : Sep 8, 2019, 10:12 AM IST

छतरपुर। जिले मुख्यालय से तकरीबन 18 किलोमीटर दूर गढ़ी मलहरा नगर पंचायत अंतर्गत मां बगराजन के नाम से एक अनोखा मंदिर है. यहां पर पठान की मजार मौजूद. मंदिर में आने वाले भक्त माता की पूजा करने के साथ ही पठान की मजार पर भी पर पहुंचते है.

जिले में मौजूद है अनोखा मंदिर


लोगों का कहना है कि सैकड़ों साल पहले पठान माता की सेवा करता था. जिसके बाद पठान की मृत्यु हुई तो माता के मंदिर के पास में ही उसकी मजार बना दी गई. जो आज भी मौजूद है और मंदिर के अंदर माता के दर्शन करने आने वाले लोग इनका भी दर्शन करना नहीं भूलते हैं.


गढ़ी मलहरा में स्थित मां बगराजन के मंदिर का इतिहास तकरीबन एक हजार साल पुराना बताया जाता है. तब से लेकर आज तक इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है. धीरे-धीरे मंदिर का विकास हुआ और ख्याति दूर-दूर तक फैल गई.

छतरपुर। जिले मुख्यालय से तकरीबन 18 किलोमीटर दूर गढ़ी मलहरा नगर पंचायत अंतर्गत मां बगराजन के नाम से एक अनोखा मंदिर है. यहां पर पठान की मजार मौजूद. मंदिर में आने वाले भक्त माता की पूजा करने के साथ ही पठान की मजार पर भी पर पहुंचते है.

जिले में मौजूद है अनोखा मंदिर


लोगों का कहना है कि सैकड़ों साल पहले पठान माता की सेवा करता था. जिसके बाद पठान की मृत्यु हुई तो माता के मंदिर के पास में ही उसकी मजार बना दी गई. जो आज भी मौजूद है और मंदिर के अंदर माता के दर्शन करने आने वाले लोग इनका भी दर्शन करना नहीं भूलते हैं.


गढ़ी मलहरा में स्थित मां बगराजन के मंदिर का इतिहास तकरीबन एक हजार साल पुराना बताया जाता है. तब से लेकर आज तक इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है. धीरे-धीरे मंदिर का विकास हुआ और ख्याति दूर-दूर तक फैल गई.

Intro:छतरपुर जिले से लगभग 18 किलोमीटर दूर गढ़ी मलहरा नगर पंचायत अंतर्गत मां बगराजन के नाम से एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां एक पठान की मजार मौजूद है इस मंदिर के अंदर जिस पठान की मजार मौजूद है कहते हैं यह पठान सैकड़ों साल पहले माता की सेवा करता था जिसके बाद पठान की मृत्यु हुई तो माता के मंदिर के बगल में ही उसकी मजाक बना दी गई जो आज भी मौजूद है और मंदिर के अंदर माता के दर्शन करने आने वाले लोग इनका भी दर्शन करना नहीं भूलते हैं!


Body:गढ़ी मलहरा में स्थित मां बगराजन के मंदिर का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना बताया जाता है तब से लेकर आज तक इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है वैसे तो इस मंदिर को लेकर जनता एवं नगर वासियों में कई कहानियां हैं लेकिन एक ऐसी कहानी जो अमूमन नगर के सारे लोगों के जुबान पर रहती है! कहते हैं कि आज से लगभग 9 सौ वर्ष पहले जब अंग्रेजों का शासन हुआ करता था

उस समय जहां आवाज मंदिर मौजूद है वहां पर घना जंगल हुआ करता था जंगल में 3 लड़कियां लकड़ियां बीनने के लिए आई थी उसी समय कुछ अंग्रेजों की नजर उन तीन लड़कियों पर पड़ गई और बुरी नियत के चलते अंग्रेजों ने लड़कियों का पीछा करना शुरू कर दिया और तभी लड़कियों ने पास में ही एक छोटी सी गुफा के पास जाकर माता से मन्नत मांगी कि अंग्रेजों के छूने से पहले उन्हें या तो मौत आ जाए या तीनों जमीन में समा जाएं तभी तीनों लड़कियां उस गुफा के नीचे उतर गई और फिर कभी लौट कर नहीं आई!

कहते हैं यह सब घटना पास में ही मौजूद एक पठान भाई ने देख ली और जब पठान ने वहां जाकर देखा तो तीनों लड़कियां गुफा में समा चुकी थी तभी से पठान भाई ने उस गुफा में एक छोटा सा मंदिर बना लिया और वहीं पर उस गुफा की पूजा अर्चना करने लगे साथ ही पठान भाई ने इस घटना की जानकारी अपने एक दोस्त पंडित को दी जिसके बाद दोनों ने इस मंदिर में देवी का वास मानकर पूजा अर्चना करनी शुरू कर दी कई वर्ष बीत जाने के बाद धीरे-धीरे मंदिर का विकास हुआ और ख्याति दूर-दूर तक फैल गई इस दरमियान पठान की मौत हो गई और गांव के लोगों ने उनका मजार माता के मंदिर के बगल में ही बना दिया जो कि आज भी मौजूद है!

मंदिर के वर्तमान पुजारी पुष्पेंद्र बाजपेई बताते हैं कि वह अपनी पीढ़ी के 15 में पुजारी हैं और सैकड़ों वर्षों से उनके परिवार के लोग इस मंदिर की पूजा करते हुए आ रहे हैं पुष्पेंद्र बाजपेई ने बताया कि इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है कोई भी सच्चे मन से अगर कोई मनोकामना मांगता है तो माता रानी उसकी मनोकामना को जरूर पूरी करती हैं आपको बता दें कि इस मंदिर के अंदर माता की कोई भी प्रतिमा मौजूद नहीं है केवल एक गुफा है जिसकी लोग पूजा करते हैं और माना जाता है कि यह वही गुफा है जिसके अंदर 900 वर्ष पहले तीनों लड़कियां अंग्रेज के डर से समा गई थी!

पुष्पेंद्र बाजपाई बताते हैं कि उनके पूर्वज और पठान भाई गहरे दोस्त थे यही वजह है कि जब कभी नवरात्रों में मंदिर में जवारे रखे जाते हैं तो जिन पठान भाई का यह मजार बना हुआ है उनके परिवार के लोग यहां पर जरूर आते हैं और जब जवारों का विसर्जन होता है तो पठान भाई के परिवार से कोई न कोई हाथ लगाने के लिए जरूर आता है और उसके बाद ही ज्वारों का विसर्जन किया जाता है!

बाइट_पुष्पेंद्र वाजपेयी




Conclusion:मां बगराजन का यह मंदिर कई एकड़ में बना हुआ है और मंदिर के प्रांगण के अंदर ही एक मजार बना हुआ है दर्शन करने आने वाले लोग इस मजार में भी पूजा अर्चना कर अगरबत्ती लगाते हैं वैसे तो इस मंदिर को लेकर लोगों की कई मान्यताएं हैं लेकिन पठान बाबा एवं माता देवी की कहानी लोगों के लिए सबसे खास मानी जाती है!
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