ETV Bharat / state

मतंगेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या के पहुंचे श्रद्धालु, दिवाली के बाद दिवारी नृत्य में जमकर थिरके लोग

खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दिवाली के दूसरे दिन दिवारी नृत्य देखने पहुंचे. इस दौरान अलग-अलग गांव से आई युवाओं की टोलियों ने जमकर नृत्य किया.

Devotees reach Matangeshwar temple
छतरपुर में दिवारी नृत्य
author img

By

Published : Nov 15, 2020, 8:58 PM IST

Updated : Nov 16, 2020, 7:31 AM IST

छतरपुर। बुंदेलखंड में तरह-तरह की परंपराएं चलती है, लेकिन बुंदेलखंड की दिवारी एक ऐसी संस्कृति है जो अपने आप में सबसे अलग है. बुंदेलखंड के अलावा शायद ही इस तरह से दिवारी पूरे भारत में मनाई जाती हो. दिवाली के एक दिन बाद यानी गोवर्धन पूजा के दिन बुंदेलखंड में दिवारी(मोनिया) नृत्य होता है. जिसका अपना अलग ही महत्व है.

मतंगेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या के पहुंचे श्रद्धालु

इस दिन गांव में रहने वाले कुछ युवा मौन व्रत रखते हैं, कुछ खाते-पीते भी नहीं है और शाम को घर जाकर अपना व्रत खोलते हैं. हालांकि पूरे दिन अलग-अलग टोलियां बनाकर गांव के युवा भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होकर नृत्य करते रहते हैं.

दिवाली के दूसरे दिन दिवारी

बुंदेलखंड की अनोखी परंपराओं में से एक दिवारी भी है. जो अपने आप में एक अलग महत्व रखती है. बुंदेलखंड के अधिकांश ग्रामीण अंचलों में आज भी लोग पुरानी संस्कृति एवं परंपराओं को संजोए हुए हैं. दिवाली के एक दिन बाद लोग मोनिया नृत्य करते हैं. यह नृत्य भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की याद में जो लोग आज के दिन उनकी भक्ति करते हैं उनके पूरे जीवन काल में उन्हें कभी किसी भी प्रकार का कोई दुख नहीं होता है. यही वजह है कि गांव के युवा एवं बुजुर्ग इस व्रत के लिए पूरे दिन मौन रहते हैं और कुछ खाते पीते भी नहीं है.

विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर पर रविवार के दिन हजारों की संख्या में लोग इसी दृश्य को देखने के लिए मौजूद रहें, और आसपास के गांवों से भी हजारों की संख्या में लोगों का जमावड़ा इस मंदिर में लगा रहा. गांवों से आने वाली टोलियां की टोलियां यहां नृत्य करती रही, और भगवान कृष्ण की साधना करते हुए अपने-अपने घर चली गई. एक पर्यटक स्थल खजुराहो में श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर ऐसा लग रहा था, की जैसे कोई बहुत बड़ा जनसैलाब उमड़ आया हो. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस तरह की भीड़ यहां पर आई है यह किसी मेले से कम नहीं है.

छतरपुर। बुंदेलखंड में तरह-तरह की परंपराएं चलती है, लेकिन बुंदेलखंड की दिवारी एक ऐसी संस्कृति है जो अपने आप में सबसे अलग है. बुंदेलखंड के अलावा शायद ही इस तरह से दिवारी पूरे भारत में मनाई जाती हो. दिवाली के एक दिन बाद यानी गोवर्धन पूजा के दिन बुंदेलखंड में दिवारी(मोनिया) नृत्य होता है. जिसका अपना अलग ही महत्व है.

मतंगेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या के पहुंचे श्रद्धालु

इस दिन गांव में रहने वाले कुछ युवा मौन व्रत रखते हैं, कुछ खाते-पीते भी नहीं है और शाम को घर जाकर अपना व्रत खोलते हैं. हालांकि पूरे दिन अलग-अलग टोलियां बनाकर गांव के युवा भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होकर नृत्य करते रहते हैं.

दिवाली के दूसरे दिन दिवारी

बुंदेलखंड की अनोखी परंपराओं में से एक दिवारी भी है. जो अपने आप में एक अलग महत्व रखती है. बुंदेलखंड के अधिकांश ग्रामीण अंचलों में आज भी लोग पुरानी संस्कृति एवं परंपराओं को संजोए हुए हैं. दिवाली के एक दिन बाद लोग मोनिया नृत्य करते हैं. यह नृत्य भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की याद में जो लोग आज के दिन उनकी भक्ति करते हैं उनके पूरे जीवन काल में उन्हें कभी किसी भी प्रकार का कोई दुख नहीं होता है. यही वजह है कि गांव के युवा एवं बुजुर्ग इस व्रत के लिए पूरे दिन मौन रहते हैं और कुछ खाते पीते भी नहीं है.

विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर पर रविवार के दिन हजारों की संख्या में लोग इसी दृश्य को देखने के लिए मौजूद रहें, और आसपास के गांवों से भी हजारों की संख्या में लोगों का जमावड़ा इस मंदिर में लगा रहा. गांवों से आने वाली टोलियां की टोलियां यहां नृत्य करती रही, और भगवान कृष्ण की साधना करते हुए अपने-अपने घर चली गई. एक पर्यटक स्थल खजुराहो में श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर ऐसा लग रहा था, की जैसे कोई बहुत बड़ा जनसैलाब उमड़ आया हो. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस तरह की भीड़ यहां पर आई है यह किसी मेले से कम नहीं है.

Last Updated : Nov 16, 2020, 7:31 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.