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छतरपुर में शिक्षकों ने बदल दी सरकारी स्कूल की तस्वीर

छतरपुर के चंदला विधानसभा क्षेत्र के बरहा का शासकीय माध्यमिक शाला अपने सौंदर्यीकरण के लिए चर्चा में है. शाला में लगे बाग-बगीचे और कमरों में बनी पेंटिंग स्कूल में चार चांद लगाने का काम कर रहे हैं.

teachers changed the picture of government school
सरकारी स्कूल का हुआ कायाकल्प
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Published : Dec 5, 2019, 10:22 AM IST

छतरपुर। वैसे तो सरकारी स्कूल ज्यादातर अपनी अव्यवस्थाओं के चलते जाने जाते हैं, लेकिन छतरपुर जिले के चंदला विधानसभा क्षेत्र का एक सरकारी स्कूल अपनी व्यवस्थाओं के चलते चर्चा में है. चर्चा की वजह स्कूल की बागवानी और स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का व्यवहार है. स्कूल की खास बात ये है कि इसमें पढ़ाने वाले सभी शिक्षक खुद की जेब से पैसा लगाकर स्कूल की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. स्कूल में सुंदर बगीचे के साथ कमरों में पेंटिंग भी है.

खुद के पैसे से किया स्कूल का सौंदर्यीकरण

स्कूल के प्रधानाध्यापक एसएल अहिरवार बताते हैं कि स्कूल को सुव्यवस्थित और सुंदर बनाने के लिए वो और उनके सहयोगी शिक्षक पिछले 4 सालों से लगातार मेहनत कर रहे हैं. स्कूल के अंदर बने मां सरस्वती के मंदिर में भी उन्होंने किसी तरह से सरकारी पैसे का उपयोग नहीं किया है. प्रधानाध्यापक आगे बताते हैं कि 4 साल पहले स्कूल बदहाली की हालत में था. चारों ओर स्कूल की दीवारें टूटी हुई थी. असामाजिक तत्व कभी भी स्कूल के अंदर आ जाते थे लेकिन सभी शिक्षकों ने मिलकर इस स्कूल को बेहतर बनाने के लिए लगातार कोशिश की है.

सरकारी स्कूल का हुआ कायाकल्प

शिक्षकों ने सुधार दी स्कूल की हालत

स्कूल की छात्रा संगीता अहिरवार बताती हैं कि वो पिछले 8 सालों से इस स्कूल में पढ़ रही हैं. पहले स्कूल के हालत इतने अच्छी नहीं थे. लेकिन जब से नए शिक्षकों ने स्कूल संभाला है तब से स्कूल की हालत सुधर गई है.

छतरपुर। वैसे तो सरकारी स्कूल ज्यादातर अपनी अव्यवस्थाओं के चलते जाने जाते हैं, लेकिन छतरपुर जिले के चंदला विधानसभा क्षेत्र का एक सरकारी स्कूल अपनी व्यवस्थाओं के चलते चर्चा में है. चर्चा की वजह स्कूल की बागवानी और स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का व्यवहार है. स्कूल की खास बात ये है कि इसमें पढ़ाने वाले सभी शिक्षक खुद की जेब से पैसा लगाकर स्कूल की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. स्कूल में सुंदर बगीचे के साथ कमरों में पेंटिंग भी है.

खुद के पैसे से किया स्कूल का सौंदर्यीकरण

स्कूल के प्रधानाध्यापक एसएल अहिरवार बताते हैं कि स्कूल को सुव्यवस्थित और सुंदर बनाने के लिए वो और उनके सहयोगी शिक्षक पिछले 4 सालों से लगातार मेहनत कर रहे हैं. स्कूल के अंदर बने मां सरस्वती के मंदिर में भी उन्होंने किसी तरह से सरकारी पैसे का उपयोग नहीं किया है. प्रधानाध्यापक आगे बताते हैं कि 4 साल पहले स्कूल बदहाली की हालत में था. चारों ओर स्कूल की दीवारें टूटी हुई थी. असामाजिक तत्व कभी भी स्कूल के अंदर आ जाते थे लेकिन सभी शिक्षकों ने मिलकर इस स्कूल को बेहतर बनाने के लिए लगातार कोशिश की है.

सरकारी स्कूल का हुआ कायाकल्प

शिक्षकों ने सुधार दी स्कूल की हालत

स्कूल की छात्रा संगीता अहिरवार बताती हैं कि वो पिछले 8 सालों से इस स्कूल में पढ़ रही हैं. पहले स्कूल के हालत इतने अच्छी नहीं थे. लेकिन जब से नए शिक्षकों ने स्कूल संभाला है तब से स्कूल की हालत सुधर गई है.

Intro:वैसे तो सरकारी स्कूल ज्यादातर अपनी अव्यवस्थाओं के चलते जाने जाते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं जिस स्कूल की तस्वीर स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने बदल कर रख दी!


Body: छतरपुर जिले के चंदला विधानसभा क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल अपनी व्यवस्थाओं के चलते चर्चा में है चर्चा की बजाय इस स्कूल की बागवानी सुव्यवस्थित स्कूल एवं स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का व्यवहार है हम बात कर रहे हैं चंदला विधानसभा की एक छोटे से गांव बरहा की जहां का मिडिल स्कूल इन दिनों चर्चा में है!

स्कूल की खास बात यह है कि इस स्कूल में पढ़ाने वाले सभी शिक्षक इस सरकारी स्कूल की व्यवस्थाओं को बेहतर से बेहतर कैसे बनाया जाए इसके लिए लगातार काम करते रहते हैं फिर भले ही उन्हें अपने खुद के पैसे ही क्यों ना खर्च करने पड़े!

पिछले 4 सालों में इस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने इस स्कूल की तस्वीर बदल के रख दी है जैसे ही सरकारी स्कूल के अंदर जवाब प्रवेश करते हैं तो कुछ देर के लिए ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे आप किसी सुंदर से बगीचे में आ गए हो सुव्यवस्थित स्कूल सुंदर एवं पेंटिंग से बने हुए कमरे आसपास फूलों से लदे हुए पौधे!

स्कूल के प्रधानाध्यापक एसएल अहिरवार बताते हैं कि स्कूल को सुव्यवस्थित एवं सुंदर बनाने के लिए उन्होंने एवं उनके सहयोगी शिक्षकों ने पिछले 4 सालों से लगातार मेहनत की है स्कूल के अंदर एक मां सरस्वती का मंदिर भी बनवाया है जिसमें उन्होंने किसी भी प्रकार के सरकारी पैसे का सहयोग नहीं दिया है इस मंदिर के निर्माण में जो पैसा लगा है वह सभी शिक्षकों ने मिलकर ही दिया है एसएलआर बार बताते हैं कि 4 साल पहले स्कूल बदहाली की हालत में था चारों तरफ से स्कूल की दीवारे टूटी हुई थी असामाजिक तत्व कभी भी स्कूल के अंदर आ जाते थे लेकिन हमने एवं हमारे सहयोगी शिक्षकों ने मिलकर इस स्कूल को बेहतर बनाने के लिए लगातार कोशिश की हमने कभी भी सरकारी पैसे आने का इंतजार नहीं किया जो भी काम सामने आया हम सभी ने मिलकर करा लिया यही वजह है कि स्कूल आज पूरे जिले के अलावा संभाग में भी अपनी अलग पहचान रखता है!

बाइट_एस एल अहिरवार प्रधानाध्यापक

स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा संगीता अहिरवार बताती है कि वह पिछले 8 सालों से स्कूल में पढ़ रही है पहले इस स्कूल के हालात इतने अच्छे नहीं थे स्कूल टूटा फूटा था कोई व्यवस्था नहीं थी लेकिन जब से 4 साल पहले नए शिक्षकों ने स्कूल संभाला है देखते ही देखते स्कूल की तस्वीर बदल गई!

बाइट_संगीत छात्रा

कक्षा आठ में पढ़ने वाली सपना सिंह बताती हैं कि 3 साल पहले उन्होंने इस स्कूल में प्रवेश लिया था पहले यह स्कूल इतना बेहतर नहीं था लेकिन शिक्षकों ने देखते ही देखते इस स्कूल में व्यवस्थाएं की हैं अब बच्चों का भी मन स्कूल में लगने लगा है और 70% बच्चे स्कूल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं यह सब कुछ शिक्षकों के सहयोग से ही हो पाया है!

बाइट_सपना सिंह छात्रा
बाइट_मानवेन्द्र यादव छात्र

स्कूल में पढ़ाने वाले एक और शिक्षक रिजवान बताते हैं कि वह स्कूल में 5 साल से हैं स्कूल पहले बधाई स्थिति में था लेकिन सभी शिक्षकों ने मिलकर इस स्कूल को बेहतर बनाने में बहुत सहयोग किया है!

बाइट_रिजवान शिक्षक






Conclusion:बहुत कम ही ऐसा देखने को मिलता है कि एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने स्कूल की तस्वीर बदलने के लिए इस तरीके से शिद्दत के साथ उसको व्यवस्थित बनाने के लिए सहयोग किया हो स्कूल में पढ़ाने वाले रिजवान एसएल अहिरवार जैसे कई और शिक्षक भी हैं जिन्होंने अपने खुद का पैसा इकट्ठा कर स्कूल में ना सिर्फ सरस्वती माता का मंदिर बनवाया है बल्कि स्कूल को बेहद व्यवस्थित कर दिया है!
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