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मध्यप्रदेश में है देश का इकलौता अनोखा मंदिर, जहां भगवान राम रह गए अकेले - मंदिर में राम भगवान की अकेली मूर्ति

छतरपुर में एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जहां श्रीराम अकेले विराजमान हैं. इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी किया गया है.

अनोखा मंदिर
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Published : Jun 25, 2019, 10:50 AM IST

छतरपुर। देश में भगवान राम के हजारों मंदिर हैं, जहां उनके साथ लक्ष्मण, सीता और हनुमान भी विराजे हैं, लेकिन बुंदेलखंड के छतरपुर में एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जहां श्रीराम अकेले विराजमान हैं. इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी किया गया है. बताया जाता है कि जिस समय भगवान राम वनवास काट रहे थे, उस वक्त बुंदेलखंड क्षेत्र में चित्रकूट के अलावा आसपास मौजूद राक्षसों के संहार करने का निश्चय किया.

इस मंदिर में अकेले विराजे हैं भगवान राम

भगवान राम ने ये निश्चय खर दूषण नाम के राक्षस के आतंक को देखकर लिया था, क्योंकि खर दूषण के आंतक से सभी परेशान थे. राक्षस को मारने के लिये भगवान राम ने अजान भुज अवतार लिया था, जिसका जिक्र रामायण की एक चैपाई अर्धाली में किया गया है. अजान भुज मतलब अपनी भुजाएं लंबी कर राक्षसों का संहार करना.

जिस वक्त भगवान राम ने खर दूषण राक्षस का वध किया, उस वक्त उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण और मां सीता को एक गुफा में रहने का आदेश दिया था. यही वह क्षण था जब भगवान राम अकेले रहे और खर दूषण का वध किया. 'आजानभुज सर चाप धर संग्राम चित्र खर दूषणम' रामायण की ये चौपाई बताती है कि भगवान श्रीराम ने खरदूषण का वध करते हुये अजान भुज अवतार लिया था और उसी समय कुछ क्षणों के लिये वह अकेले हुए थे.

ऐसे अस्तित्व में आया था मंदिर
मंदिर के 15वें महंत भगवान दास महाराज बताते हैं कि मंदिर 1440 में अस्तित्व में आया था. उन्होंने बताया कि उनके गुरू के सपने में श्रीराम आये थे, जिसके बाद भगवान की प्रतिमा एक पहाड़ पर मिली थी, जिसके बाद मंदिर की स्थापना की गयी. तब से लेकर आज तक यह प्रतिमा इसी मंदिर में स्थापित है. दुनिया में एकमात्र यह प्रतिमा ऐसी है, जहां भगवान श्री राम अकेले बैठे हुए हैं. ना तो उनके साथ मात-पिता हैं ना ही उनके भाई लक्ष्मण और ना ही उनके परम भक्त श्री हनुमान. मंदिर में भगवान अजान भुज सरकार के नाम से पूजे जाते हैं.

छतरपुर। देश में भगवान राम के हजारों मंदिर हैं, जहां उनके साथ लक्ष्मण, सीता और हनुमान भी विराजे हैं, लेकिन बुंदेलखंड के छतरपुर में एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जहां श्रीराम अकेले विराजमान हैं. इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी किया गया है. बताया जाता है कि जिस समय भगवान राम वनवास काट रहे थे, उस वक्त बुंदेलखंड क्षेत्र में चित्रकूट के अलावा आसपास मौजूद राक्षसों के संहार करने का निश्चय किया.

इस मंदिर में अकेले विराजे हैं भगवान राम

भगवान राम ने ये निश्चय खर दूषण नाम के राक्षस के आतंक को देखकर लिया था, क्योंकि खर दूषण के आंतक से सभी परेशान थे. राक्षस को मारने के लिये भगवान राम ने अजान भुज अवतार लिया था, जिसका जिक्र रामायण की एक चैपाई अर्धाली में किया गया है. अजान भुज मतलब अपनी भुजाएं लंबी कर राक्षसों का संहार करना.

जिस वक्त भगवान राम ने खर दूषण राक्षस का वध किया, उस वक्त उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण और मां सीता को एक गुफा में रहने का आदेश दिया था. यही वह क्षण था जब भगवान राम अकेले रहे और खर दूषण का वध किया. 'आजानभुज सर चाप धर संग्राम चित्र खर दूषणम' रामायण की ये चौपाई बताती है कि भगवान श्रीराम ने खरदूषण का वध करते हुये अजान भुज अवतार लिया था और उसी समय कुछ क्षणों के लिये वह अकेले हुए थे.

ऐसे अस्तित्व में आया था मंदिर
मंदिर के 15वें महंत भगवान दास महाराज बताते हैं कि मंदिर 1440 में अस्तित्व में आया था. उन्होंने बताया कि उनके गुरू के सपने में श्रीराम आये थे, जिसके बाद भगवान की प्रतिमा एक पहाड़ पर मिली थी, जिसके बाद मंदिर की स्थापना की गयी. तब से लेकर आज तक यह प्रतिमा इसी मंदिर में स्थापित है. दुनिया में एकमात्र यह प्रतिमा ऐसी है, जहां भगवान श्री राम अकेले बैठे हुए हैं. ना तो उनके साथ मात-पिता हैं ना ही उनके भाई लक्ष्मण और ना ही उनके परम भक्त श्री हनुमान. मंदिर में भगवान अजान भुज सरकार के नाम से पूजे जाते हैं.

Intro:दुनिया में भगवान श्री राम का शायद ही कोई ऐसा मंदिर होगा जहां भगवान श्रीराम अकेले हो दुनिया में भगवान राम के करोड़ों मंदिर है उन तमाम मंदिरों में भगवान श्री राम माँ सीता,लक्ष्मण या हनुमान के साथ विराजे है!

भगवान राम को पूरी दुनियाँ में कभी भी कहीं पर अकेला नही देखा गया लेकिन बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के एक मंदिर में भगवान श्री राम अकेले विराजमान हैं यह पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान श्री राम अकेले विराजे हैं!


Body: वैसे तो पूरी दुनिया में भगवान राम और उनसे जुड़ी तमाम कथाएं मौजूद हैं लेकिन बुंदेलखंड में भगवान श्री राम से जुड़ा हुआ एक ऐसा मंदिर है जिसका जिक्र रामायण काल में भी किया गया है बताया जाता है कि जिस समय भगवान राम वनवास काट रहे थे उस समय उनके बनवास के कुछ वर्ष बुंदेलखंड के क्षेत्र में बीते चित्रकूट के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी भगवान राम मां सीता के साथ वनवास में रहे इसी बीच उन्होंने राक्षसों का संहार करने का निश्चित किया!

जिस समय उन्होंने यह प्रण लिया उस समय खर दूषण नाम का एक राक्षस पूरी दुनिया में आतंक किए हुए था उसे मानने के लिए भगवान राम ने अजान भुज अवतार लिया जिसका जिक्र रामायण की एक चौपाई की अर्धली में भी आता है|

अजान भुज मतलब अपनी भुजाएं लंबी कर राक्षसों का संहार करना| जिस समय भगवान राम खर दूषण नामक राक्षस का वध कर रहे थे उस समय उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को मां सीता को ले जाकर गुफा में रहने का आदेश दिया था यही वह क्षण था जिस वक्त भगवान श्रीराम पूरी रामायण में अकेले रहे और खर दूषण का वध किया!

आजाजानभुज सर चाप धर संग्राम चित्र खर दूषणम

यह रामायण की चौपाई की एक अर्ध वाली है जो बताती है कि भगवान श्री राम ने खर दूषण का वध करते समय अजान भुज अवतार लिया था और उसी समय कुछ क्षण के लिए भगवान श्री राम अकेले हुए थे|

छतरपुर के मंदिर की जानकारी देते हुए इस मंदिर के 15वें महंत भगवान दास महाराज बताते हैं कि 1440 में यह मंदिर अस्तित्व में आया था महंत बताते हैं कि उनके गुरु को वाहन स्वप्न में आए थे जिसके बाद पहाड़ पर जाकर उन्हें भगवान की प्रतिमा मिली थी इसके बाद इस मंदिर में स्थापित कर दिया गया था तब से लेकर आज तक यह प्रतिमा इसी मंदिर में स्थापित है दुनिया में एकमात्र यह प्रतिमा ऐसी है जहां भगवान श्री राम अकेले बैठे हुए हैं ना तो उनके साथ मात पिता है ना ही उनके भाई लक्ष्मण और ना ही उनके परम भक्त श्री हनुमान मौजूद हैं|


रामायण की चौपाई अर्धाली भी इस बात का प्रमाण देती है कि भगवान राम केवल एक बार युद्ध के समय अकेले हुए और इस मंदिर में भी भगवान राम अजान भुज सरकार के नाम से पूजे जाते हैं|





Conclusion: पुराने संत महात्मा और कई इतिहासकार बताते हैं कि वनवास के समय भगवान श्री राम का कुछ वक्त बुंदेलखंड में बीता इसी दरमियान भगवान राम बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों में रहे जिनका आज भी जीवंत प्रमाण मिलता है!
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