छतरपुर। देश में भगवान राम के हजारों मंदिर हैं, जहां उनके साथ लक्ष्मण, सीता और हनुमान भी विराजे हैं, लेकिन बुंदेलखंड के छतरपुर में एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जहां श्रीराम अकेले विराजमान हैं. इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी किया गया है. बताया जाता है कि जिस समय भगवान राम वनवास काट रहे थे, उस वक्त बुंदेलखंड क्षेत्र में चित्रकूट के अलावा आसपास मौजूद राक्षसों के संहार करने का निश्चय किया.
भगवान राम ने ये निश्चय खर दूषण नाम के राक्षस के आतंक को देखकर लिया था, क्योंकि खर दूषण के आंतक से सभी परेशान थे. राक्षस को मारने के लिये भगवान राम ने अजान भुज अवतार लिया था, जिसका जिक्र रामायण की एक चैपाई अर्धाली में किया गया है. अजान भुज मतलब अपनी भुजाएं लंबी कर राक्षसों का संहार करना.
जिस वक्त भगवान राम ने खर दूषण राक्षस का वध किया, उस वक्त उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण और मां सीता को एक गुफा में रहने का आदेश दिया था. यही वह क्षण था जब भगवान राम अकेले रहे और खर दूषण का वध किया. 'आजानभुज सर चाप धर संग्राम चित्र खर दूषणम' रामायण की ये चौपाई बताती है कि भगवान श्रीराम ने खरदूषण का वध करते हुये अजान भुज अवतार लिया था और उसी समय कुछ क्षणों के लिये वह अकेले हुए थे.
ऐसे अस्तित्व में आया था मंदिर
मंदिर के 15वें महंत भगवान दास महाराज बताते हैं कि मंदिर 1440 में अस्तित्व में आया था. उन्होंने बताया कि उनके गुरू के सपने में श्रीराम आये थे, जिसके बाद भगवान की प्रतिमा एक पहाड़ पर मिली थी, जिसके बाद मंदिर की स्थापना की गयी. तब से लेकर आज तक यह प्रतिमा इसी मंदिर में स्थापित है. दुनिया में एकमात्र यह प्रतिमा ऐसी है, जहां भगवान श्री राम अकेले बैठे हुए हैं. ना तो उनके साथ मात-पिता हैं ना ही उनके भाई लक्ष्मण और ना ही उनके परम भक्त श्री हनुमान. मंदिर में भगवान अजान भुज सरकार के नाम से पूजे जाते हैं.