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80 लाख के प्लेग्राउंड में खेल रहे गधे, कमरों में भरा है गोबर, बना बदमाशों का ठिकाना - Panotha playing field is in ruins

छतरपुर से महज 3 किलोमीटर दूर पनोठा जिला प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. 80 लाख की कीमत से बनाया गया खेल मैदान धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है, अब यहां जानवरों का डेरा है और जिम्मेदार इस ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं हैं.

playing field is in ruins
खेल मैदान हुआ खंडहर
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Published : Oct 24, 2020, 7:17 PM IST

छतरपुर। जिले से महज 3 किलोमीटर दूर प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. लगभग 80 लाख रुपए की लागत से तैयार खेल मैदान जंगल में तब्दील हो गया है. खेल मैदान के अंदर शराब की बोतलें और कई अश्लील सामान देखने को मिला है. इतना ही नहीं खेल मैदान के अंदर बने कमरों में गधे व अन्य जानवर गोबर करते हुए दिखाई देते हैं. 80 लाख रुपए का बनाया मैदान पूरी तरह से प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है.

बदहाल पड़ा 80 लाख का खेल मैदान
जिले से महज 3 किलोमीटर दूर पनोठा में जिला प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही से लाखों की कीमत से बनाया गया खेल मैदान धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गया है. आलम यह है कि खेल मैदान के अंदर बने कमरों में गधों और आवारा जानवरों का कब्जा है. खेल मैदान के अंदर ना सिर्फ जंगली पेड़ पौधे उग आए हैं बल्कि खेल मैदान के अंदर बने शौचालय और अन्य कमरों को भी तोड़ फोड़ दिया गया है. लगभग डेढ़ साल पहले इस खेल मैदान को बनाया गया था, इस उम्मीद के साथ कि गांव के बच्चे मैदान में खेलकूद करते हुए अपना शारीरिक और मानसिक विकास करेंगे, लेकिन यह हो ना सका और प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह खेल मैदान धीरे धीरे आवारा तत्वों का अड्डा बनकर रह गया.

मैदान में बने कमरों में जानवरों का कब्जा

खेल मैदान के अंदर बने कमरों में गोबर पड़ा है, जिस खेल मैदान में बच्चों को खेलना चाहिए था, वहां बड़ी-बड़ी जंगली घास पेड़ पौधे नजर आते हैं. पनोठा गांव के सरपंच का कहना है कि जिला पंचायत की तरफ से फिलहाल इस खेल मैदान की सुरक्षा के लिए ना तो बजट उपलब्ध कराया गया है और ना ही कोई कर्मचारी इसकी देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है. यही वजह है कि इस खेल मैदान के ऐसे हालात हो गए हैं. सरपंच का कहना है कि अब वह कोशिश कर रहे हैं कि अपने खुद के पैसों से इस खेल मैदान को एक बार फिर से पहले जैसा किया जाए ताकि बच्चे यहां आकर खेल सकें और अपना शारीरिक और मानसिक विकास कर सकें.

अब सोचने वाली बात यह है कि 80 लाख से बनी है, बिल्डिंग जर्जर हालत में पड़ी है, यहां असामाजिक तत्वों का डेरा है और जो धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होने लगी है. वहीं अगर आने वाले समय में जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया तो शायद यह खेल मैदान, पूरी तरह जंगल में तब्दील हो जाएगा. वहीं जब इस मामले में हमने जिले के संबंधित अधिकारियों से बात करनी चाही तो किसी भी अधिकारी ने मामले में बोलने से साफ इनकार कर दिया. तो वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि वह अपने निजी खर्च पर इस खेल मैदान का रखरखाव करने के लिए तैयार हैं.

छतरपुर। जिले से महज 3 किलोमीटर दूर प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. लगभग 80 लाख रुपए की लागत से तैयार खेल मैदान जंगल में तब्दील हो गया है. खेल मैदान के अंदर शराब की बोतलें और कई अश्लील सामान देखने को मिला है. इतना ही नहीं खेल मैदान के अंदर बने कमरों में गधे व अन्य जानवर गोबर करते हुए दिखाई देते हैं. 80 लाख रुपए का बनाया मैदान पूरी तरह से प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है.

बदहाल पड़ा 80 लाख का खेल मैदान
जिले से महज 3 किलोमीटर दूर पनोठा में जिला प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही से लाखों की कीमत से बनाया गया खेल मैदान धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गया है. आलम यह है कि खेल मैदान के अंदर बने कमरों में गधों और आवारा जानवरों का कब्जा है. खेल मैदान के अंदर ना सिर्फ जंगली पेड़ पौधे उग आए हैं बल्कि खेल मैदान के अंदर बने शौचालय और अन्य कमरों को भी तोड़ फोड़ दिया गया है. लगभग डेढ़ साल पहले इस खेल मैदान को बनाया गया था, इस उम्मीद के साथ कि गांव के बच्चे मैदान में खेलकूद करते हुए अपना शारीरिक और मानसिक विकास करेंगे, लेकिन यह हो ना सका और प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह खेल मैदान धीरे धीरे आवारा तत्वों का अड्डा बनकर रह गया.

मैदान में बने कमरों में जानवरों का कब्जा

खेल मैदान के अंदर बने कमरों में गोबर पड़ा है, जिस खेल मैदान में बच्चों को खेलना चाहिए था, वहां बड़ी-बड़ी जंगली घास पेड़ पौधे नजर आते हैं. पनोठा गांव के सरपंच का कहना है कि जिला पंचायत की तरफ से फिलहाल इस खेल मैदान की सुरक्षा के लिए ना तो बजट उपलब्ध कराया गया है और ना ही कोई कर्मचारी इसकी देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है. यही वजह है कि इस खेल मैदान के ऐसे हालात हो गए हैं. सरपंच का कहना है कि अब वह कोशिश कर रहे हैं कि अपने खुद के पैसों से इस खेल मैदान को एक बार फिर से पहले जैसा किया जाए ताकि बच्चे यहां आकर खेल सकें और अपना शारीरिक और मानसिक विकास कर सकें.

अब सोचने वाली बात यह है कि 80 लाख से बनी है, बिल्डिंग जर्जर हालत में पड़ी है, यहां असामाजिक तत्वों का डेरा है और जो धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होने लगी है. वहीं अगर आने वाले समय में जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया तो शायद यह खेल मैदान, पूरी तरह जंगल में तब्दील हो जाएगा. वहीं जब इस मामले में हमने जिले के संबंधित अधिकारियों से बात करनी चाही तो किसी भी अधिकारी ने मामले में बोलने से साफ इनकार कर दिया. तो वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि वह अपने निजी खर्च पर इस खेल मैदान का रखरखाव करने के लिए तैयार हैं.

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