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यहां हुआ था बुदेलखंड का जलियावाला बाग, जहां देश के वीर जवानों ने दी अपनी आहुति - लवकुशनगर चरण पादुका

छतरपुर जिले के लवकुश नगर में 14 जनवरी 1931 को एक ऐसी घटना हुई थी. जिसे बुंदेलखंड के जलियावाला बाग के नाम से जाना जाता है. जहां पर यह घटना हुई थी उसे अब चरण पादुका के नाम से जाना जाता है.

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बुदेलखंड का जलियावाला बाग
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Published : Jan 25, 2020, 10:42 PM IST

Updated : Jan 26, 2020, 7:34 AM IST

छतरपुर। जिले के लवकुशनगर क्षेत्र में बने चरण पादुका स्मारक को लोग बुंदेलखंड का जलियावाला बाग के नाम से जानते हैं. 14 जनवरी 1931 को जलियांवाला बाग की तरह ही यहां पर अंग्रेजों ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों का नरसंहार किया गया था. जिसमें सैकड़ों की संख्या में क्रांतिकारी घायल हुए थे एवं कई क्रांतिकारियों की मौके पर मौत हो गई थी.

यहां हुआ था बुदेलखंड का जलियावाला बाग

महात्मा गांधी के द्वारा चलाया जा रहा असहयोग आंदोलन बुंदेलखंड में भी तेजी से फैल रहा था. यही वजह थी कि लोग लगातार विदेशी वस्त्रों की होलियां जला रहे थे समय ना होने की वजह से महात्मा गांधी एवं अन्य किसी नेता के द्वारा बुंदेलखंड लोगों को किसी नेता का नेतृत्व प्राप्त नहीं हुआ. आसपास के लोगों ने 14 जनवरी 1931 मकर संक्रांति के दिन सिंहपुर में मिलने की घोषणा की.

मकर संक्रांति के दिन सिंहपुर में मेला लगता था. इसलिए वहां पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे. तभी क्रांतिकारी वहां पहुंच गए और अपनी सभा करने लगे लेकिन यह बात किसी तरह अंग्रेजो तक पहुंच गई सिंहपुर में क्रांतिकारी इक्कठे हुए है. सूचना मिलते ही पॉलिटिकल एजेंट फिसर कोल भील पलटन को लेकर वहां पहुंच गया और आधा धुंध फायरिंग शुरू कर दी. घटना में सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए कई क्रांतिकारियों की मौके पर ही मौत हो गई.

इस घटना के बाद कुछ क्रांतिकारियों के नाम चरण पादुका में अंकित करा दिए गए. यहां हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन यहां एक मेले का आयोजन किया जाता है, इस मेले में आसपास के कई जनप्रतिनिधियों के अलावा आम जनता भी भारी संख्या में पहुंचती है. क्रांतिकारी राजेंद्र महतो बताते हैं कि जिस समय यह घटना हुई उस समय व केवल 10 साल के थे उनके भाई इस घटना में मौजूद थे और उनके दाहिने हाथ में गोली का एक छर्रा लगा था. 14 जनवरी 1931 हुई इस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा लोग आज भी इस स्थल को चरण पादुका के नाम से जानते हैं और यहां आने वाले लोग नम आंखों के साथ शहीद हुए लोगों को याद करते हैं.

छतरपुर। जिले के लवकुशनगर क्षेत्र में बने चरण पादुका स्मारक को लोग बुंदेलखंड का जलियावाला बाग के नाम से जानते हैं. 14 जनवरी 1931 को जलियांवाला बाग की तरह ही यहां पर अंग्रेजों ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों का नरसंहार किया गया था. जिसमें सैकड़ों की संख्या में क्रांतिकारी घायल हुए थे एवं कई क्रांतिकारियों की मौके पर मौत हो गई थी.

यहां हुआ था बुदेलखंड का जलियावाला बाग

महात्मा गांधी के द्वारा चलाया जा रहा असहयोग आंदोलन बुंदेलखंड में भी तेजी से फैल रहा था. यही वजह थी कि लोग लगातार विदेशी वस्त्रों की होलियां जला रहे थे समय ना होने की वजह से महात्मा गांधी एवं अन्य किसी नेता के द्वारा बुंदेलखंड लोगों को किसी नेता का नेतृत्व प्राप्त नहीं हुआ. आसपास के लोगों ने 14 जनवरी 1931 मकर संक्रांति के दिन सिंहपुर में मिलने की घोषणा की.

मकर संक्रांति के दिन सिंहपुर में मेला लगता था. इसलिए वहां पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे. तभी क्रांतिकारी वहां पहुंच गए और अपनी सभा करने लगे लेकिन यह बात किसी तरह अंग्रेजो तक पहुंच गई सिंहपुर में क्रांतिकारी इक्कठे हुए है. सूचना मिलते ही पॉलिटिकल एजेंट फिसर कोल भील पलटन को लेकर वहां पहुंच गया और आधा धुंध फायरिंग शुरू कर दी. घटना में सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए कई क्रांतिकारियों की मौके पर ही मौत हो गई.

इस घटना के बाद कुछ क्रांतिकारियों के नाम चरण पादुका में अंकित करा दिए गए. यहां हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन यहां एक मेले का आयोजन किया जाता है, इस मेले में आसपास के कई जनप्रतिनिधियों के अलावा आम जनता भी भारी संख्या में पहुंचती है. क्रांतिकारी राजेंद्र महतो बताते हैं कि जिस समय यह घटना हुई उस समय व केवल 10 साल के थे उनके भाई इस घटना में मौजूद थे और उनके दाहिने हाथ में गोली का एक छर्रा लगा था. 14 जनवरी 1931 हुई इस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा लोग आज भी इस स्थल को चरण पादुका के नाम से जानते हैं और यहां आने वाले लोग नम आंखों के साथ शहीद हुए लोगों को याद करते हैं.

Intro:छतरपुर जिले के लवकुशनगर क्षेत्र में स्थित चरण पादुका को लोग बुंदेलखंड का जलियांवाला बाग के नाम से जानते हैं 14 जनवरी 1931 को जलियांवाला बाग की तरह ही यहां पर एक अंग्रेजो के द्वारा नरसंहार किया गया था जिसमें सैकड़ों की संख्या में क्रांतिकारी घायल हुए थे एवं कई क्रांतिकारियों की मौके पर मौत हो गई थी तभी से लोग इस स्थल को बुंदेलखंड का जलियांवाला बाग के नाम से जानते हैं!


Body:महात्मा गांधी के द्वारा चलाया जा रहा असहयोग आंदोलन बुंदेलखंड में भी तेजी से फैल रहा था यही वजह थी कि लोग लगातार विदेशी वस्त्रों की होलियां जला रहे थे समय ना होने की वजह से महात्मा गांधी एवं अन्य किसी नेता के द्वारा बुंदेलखंड लोगों को किसी नेता का नेतृत्व प्राप्त नहीं हुआ यही वजह रही कि आसपास के लोगों ने 14 जनवरी 1931 मकर संक्रांति के दिन सिंहपुर में मिलने की घोषणा की!

चूंकि दिन मकर संक्रांति कथा इसलिए वहां पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे मेला लगा हुआ था तभी क्रांतिकारी वहां पहुंच गए और अपनी सभा करने लगे लेकिन यह बात किसी तरह अंग्रेजो तक पहुंच गई कि वहां पर सैकड़ों की संख्या में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एकत्र हैं और अंग्रेजी शासन के खिलाफ कोई बड़ा षड्यंत्र कर रहे हैं सूचना मिलते ही पॉलिटिकल एजेंट फिसर कोल भील पलटन को लेकर वहां पहुंच गया और आधा धुंध फायरिंग शुरू कर दी घटना में सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए कई क्रांतिकारियों की मौके पर ही मौत हो गई और कई लोग इस डर से अपने परिवार के लोगों के साथ आने नहीं आए कि कहीं अंग्रेजी शासन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही ना कर दे!


यह दिन बुंदेलखंड का सबसे काला दिन था इस घटना में कई लोग मारे गए सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए मारे गए लोगों एवं घायलों की सही जानकारी आज तक किसी को नहीं मिली लेकिन फिर भी कुछ क्रांतिकारियों के नाम चरण पादुका में अंकित करा दिए गए !

हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन यहां एक मेले का आयोजन किया जाता है इस मेले में आसपास के कई जनप्रतिनिधियों के अलावा आम जनता भी भारी संख्या में पहुंचती है!

क्रांतिकारी राजेंद्र महतो बताते हैं कि जिस समय यह घटना हुई उस समय व केवल 10 साल के थे उनके भाई इस घटना में मौजूद थे और उनके दाहिने हाथ में गोली का एक छर्रा लगा था!

बाइट_राजेन्द्र महतों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी


Conclusion:14 जनवरी 1931 हुई इस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा लोग आज भी इस स्थल को चरण पादुका के नाम से जानते हैं और यहां आने वाले लोग नम आंखों के साथ शहीद हुए लोगों को याद करते हैं!
Last Updated : Jan 26, 2020, 7:34 AM IST
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