छतरपुर। बिजावर मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर गांव महुआझाला में बना रेशम केंद्र अब खंडहर में तब्दील हो गया है. यहां सरकार ने रेशम केंद्र के लिए 25 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई थी, लेकिन जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की सांठ-गांठ से जमीन को लीज पर दे दिया गया, लिहाजा रेशम का यह केंद्र बर्बादी की भेंट चढ़ गया.
साल 1990 में इसे बंद कर दिया गया. इतना ही नहीं अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी और नेता ने रेशम केंद्र को संचालित करने की कोशिश नहीं की. रेशम के कपड़ों की देश में ही नहीं विदेशों में भी मांग है, जिसे बेहद पसंद किया जाता है.
हैरानी की बात ये है कि रेशम उद्योग की शुरुआत करने के लिए लाखों रुपए की मशीनरी लगाई गई, लेकिन इनका आज कुछ पता ही नहीं है. हालांकि बिजावर उद्योग विहीन क्षेत्र है. रेशम उद्योग शुरुआती समय में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का साधन बन गया था.