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शर्मनाक! एमपी में सिस्टम की 'बत्ती' गुल, टॉर्च की रोशनी में अस्पताल में मरीज का इलाज

जिन्दगी की कीमत क्या होती है जब-तब हमारा सिस्टम बता ही देता है. ऐसा ही छतरपुर के एक अस्पताल में दिखा. जहां पीड़ित को बचाने के लिए हेल्थ वर्कर्स जुटे रहे. सिस्टम नाकाम रहा लेकिन जिन्दगी को बचाने की जंग में वो कामयाब रहे.

Saving life in torch light
रोशनी में जिन्दगी तलाशती नर्स
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Published : Jul 20, 2021, 9:16 AM IST

Updated : Jul 20, 2021, 9:36 AM IST

छतरपुर। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर भले ही हर साल करोड़ों रुपए खर्च होता हो लेकिन मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक ऐसी तस्वीर निकल कर सामने आई है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे दरअसल मोबाइल टॉर्च की रोशनी में डॉक्टर एवं कुछ नर्से जिंदगी तलाशते हुए दिखाई दिए.नौगांव अस्पताल की नर्स है लाइट ना होने की वजह से मोबाइल टॉर्च की रोशनी के सहारे गंभीर रूप से घायल एक महिला को जिंदगी देने का प्रयास करते रहे.

रोशनी में जिन्दगी तलाशती नर्स

मानवता की अनूठी मिसालः मूक-बधिर मरीजों के लिए नर्स ने सीखी साइन लैंग्वेज

आकाशीय बिजली गिरी और हो गए तबाह

नौगांव ब्लॉक की अलीपुरा थाना क्षेत्र में रहने वाले शिव शंकर बुनकर (45 वर्ष) एवं पार्वती बुनकर(40 वर्ष) अपने खेत पर काम कर रहे थे तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गई. देखते ही देखते खेत में आकाशीय बिजली गिरी जिससे दोनों पति पत्नी की स्थिति गंभीर. हो गए जानकारी लगती ही गांव के लोग तुरंत पति पत्नी को नौगांव अस्पताल ले आए जहां डॉक्टरों ने पति शिव शंकर बुनकर को मृत घोषित कर दिया तो वही महिला पार्वती बुनकर की गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरंत इलाज शुरू कर दिया.

और बत्ती गुल...
दरअसल जिस समय आकाशीय बिजली से घायल पति पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था उस समय अस्पताल की लाइट नहीं थी. ना ही अस्पताल में जनरेटर चालू था महिला की हालत बेहद गंभीर थी डॉक्टर बिना समय गवाएं महिला का इलाज शुरू करना चाहते थे. यही वजह रही कि डॉक्टर एवं नर्सों ने तुरंत अपने मोबाइल का टॉर्च चालू किया और महिला का इलाज शुरू कर दिया. मेहनत का फल ये रहा कि फिलहाल महिला की हालत स्थिर बनी हुई है.

ये कैसी व्यवस्था?
अब सवाल उठता है कि मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करोड़ों रुपए का बजट आता है. हर साल करोड़ों रुपए खर्च भी किए जाते हैं. बावजूद इसके नौगांव नगर की मुख्य अस्पताल से अगर इस तरह की तस्वीर से निकल कर सामने आती हैं तो न सिर्फ स्वास्थ्य सिस्टम पर बल्कि जिला प्रशासन पर भी कई सवाल खड़े होते हैं. दरअसल, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए ब्लॉक के हर मुख्य अस्पताल में जनरेटर की व्यवस्था की गई है. तो फिर बिजली जाने की दशा में जनरेटर चालू क्यों नहीं किया गया? जबकि कागजों में हर अस्पताल मे एक जनरेटर की व्यवस्था की गई है.

छतरपुर। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर भले ही हर साल करोड़ों रुपए खर्च होता हो लेकिन मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक ऐसी तस्वीर निकल कर सामने आई है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे दरअसल मोबाइल टॉर्च की रोशनी में डॉक्टर एवं कुछ नर्से जिंदगी तलाशते हुए दिखाई दिए.नौगांव अस्पताल की नर्स है लाइट ना होने की वजह से मोबाइल टॉर्च की रोशनी के सहारे गंभीर रूप से घायल एक महिला को जिंदगी देने का प्रयास करते रहे.

रोशनी में जिन्दगी तलाशती नर्स

मानवता की अनूठी मिसालः मूक-बधिर मरीजों के लिए नर्स ने सीखी साइन लैंग्वेज

आकाशीय बिजली गिरी और हो गए तबाह

नौगांव ब्लॉक की अलीपुरा थाना क्षेत्र में रहने वाले शिव शंकर बुनकर (45 वर्ष) एवं पार्वती बुनकर(40 वर्ष) अपने खेत पर काम कर रहे थे तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गई. देखते ही देखते खेत में आकाशीय बिजली गिरी जिससे दोनों पति पत्नी की स्थिति गंभीर. हो गए जानकारी लगती ही गांव के लोग तुरंत पति पत्नी को नौगांव अस्पताल ले आए जहां डॉक्टरों ने पति शिव शंकर बुनकर को मृत घोषित कर दिया तो वही महिला पार्वती बुनकर की गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरंत इलाज शुरू कर दिया.

और बत्ती गुल...
दरअसल जिस समय आकाशीय बिजली से घायल पति पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था उस समय अस्पताल की लाइट नहीं थी. ना ही अस्पताल में जनरेटर चालू था महिला की हालत बेहद गंभीर थी डॉक्टर बिना समय गवाएं महिला का इलाज शुरू करना चाहते थे. यही वजह रही कि डॉक्टर एवं नर्सों ने तुरंत अपने मोबाइल का टॉर्च चालू किया और महिला का इलाज शुरू कर दिया. मेहनत का फल ये रहा कि फिलहाल महिला की हालत स्थिर बनी हुई है.

ये कैसी व्यवस्था?
अब सवाल उठता है कि मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करोड़ों रुपए का बजट आता है. हर साल करोड़ों रुपए खर्च भी किए जाते हैं. बावजूद इसके नौगांव नगर की मुख्य अस्पताल से अगर इस तरह की तस्वीर से निकल कर सामने आती हैं तो न सिर्फ स्वास्थ्य सिस्टम पर बल्कि जिला प्रशासन पर भी कई सवाल खड़े होते हैं. दरअसल, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए ब्लॉक के हर मुख्य अस्पताल में जनरेटर की व्यवस्था की गई है. तो फिर बिजली जाने की दशा में जनरेटर चालू क्यों नहीं किया गया? जबकि कागजों में हर अस्पताल मे एक जनरेटर की व्यवस्था की गई है.

Last Updated : Jul 20, 2021, 9:36 AM IST
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