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Buxwaha Forest: हीरा निकालने के लिए जंगल जलाने की तैयारी, अब हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

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Published : Jun 17, 2021, 7:41 PM IST

बक्सवाहा के जंगल बचाने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, साथ ही इस याचिका पर अगली सुनवाई 21 जून को निर्धारित है. याचिका में राज्य सरकार पर लाभ के लिए वन्य जीवों व मानव जीवन से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया है.

high court
हाई कोर्ट

जबलपुर। छतरपुर जिले में हीरा खदान मिलने के बाद से बक्सवाहा के जंगल पर खतरा मंडराने लगा है क्योंकि जिस जमीन पर हीरा मिलने का अनुमान लगाया गया है, उस जमीन पर पूरा जंगल मौजूद है, अनुमान है कि उस जमीन पर दो लाख से अधिक पेड़ मौजूद हैं, जब इस जमीन पर मौजूद पेड़ काटे जाएंगे तो निश्चित रूप से जंगल में रहने वाले जीव-जंतु भी इससे प्रभावित होंगे. यही वजह है कि बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश की जा रही है. अब इस जंगल को बचाने के लिए हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है.

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बक्सवाहा के जंगल की जमीन आवंटित किया जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है, जिसमें कहा गया है कि प्राकृतिक जंगल के लगभग सवा दो लाख पेड़ कटने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा, जिसका असर मानव तथा वन्य जीवों पर पड़ेगा. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 21 जून को निर्धारित की गयी है.

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अधिवक्ता सुदीप सिंह सैनी की तरफ से दायर की गयी जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने बतौर हीरा खदान आदित्य बिरला ग्रुप को बक्सवाहा के जंगल की 382 हेक्टेयर जमीन 50 सालों के लिए लीज पर दे दी है, हीरा निकालने के लिए रेन फाॅरेस्ट के लगभग सवा दो लाख पेड़ों को काटा जायेगा. याचिका में कहा गया है कि बक्सवाहा जंगल के कारण ही बारिश होती है, जो मानव जीवन के लिए आवश्यक है. जंगल कटने से मानव जीवन के साथ वहां रहने वाले जीव भी प्रभावित होंगे.

बक्सवाहा जैसे जंगल तैयार होने में लगते हजारों साल

जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्कता है, जो पेड़ों से मिलती है, इसके अलावा वन्य जीवों को जीवन का अधिकार प्राप्त है, जोकि जंगल में रहते हैं. जब जंगल नष्ट हो जायेंगे तो वनप्राणी कहां रहेंगे. पृथ्वी पर सभी को जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है, बक्सवाहा के जंगल में बडी संख्या में वन संपदा है और ऐसे जंगल पनपने में हजारों साल लगते हैं.

लाभ के लिए जंगल जलाने को तैयार सरकार

राज्य सरकार लाभ के लिए जंगल की जमीन को लीज पर दिया है, जोकि गलत निर्णय है. याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार सहित आदित्य बिरला ग्रुप को अनावेदक बनाया गया है, याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वंय रखा था.

जबलपुर। छतरपुर जिले में हीरा खदान मिलने के बाद से बक्सवाहा के जंगल पर खतरा मंडराने लगा है क्योंकि जिस जमीन पर हीरा मिलने का अनुमान लगाया गया है, उस जमीन पर पूरा जंगल मौजूद है, अनुमान है कि उस जमीन पर दो लाख से अधिक पेड़ मौजूद हैं, जब इस जमीन पर मौजूद पेड़ काटे जाएंगे तो निश्चित रूप से जंगल में रहने वाले जीव-जंतु भी इससे प्रभावित होंगे. यही वजह है कि बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश की जा रही है. अब इस जंगल को बचाने के लिए हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है.

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बक्सवाहा के जंगल की जमीन आवंटित किया जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है, जिसमें कहा गया है कि प्राकृतिक जंगल के लगभग सवा दो लाख पेड़ कटने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा, जिसका असर मानव तथा वन्य जीवों पर पड़ेगा. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 21 जून को निर्धारित की गयी है.

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जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्कता है, जो पेड़ों से मिलती है, इसके अलावा वन्य जीवों को जीवन का अधिकार प्राप्त है, जोकि जंगल में रहते हैं. जब जंगल नष्ट हो जायेंगे तो वनप्राणी कहां रहेंगे. पृथ्वी पर सभी को जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है, बक्सवाहा के जंगल में बडी संख्या में वन संपदा है और ऐसे जंगल पनपने में हजारों साल लगते हैं.

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राज्य सरकार लाभ के लिए जंगल की जमीन को लीज पर दिया है, जोकि गलत निर्णय है. याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार सहित आदित्य बिरला ग्रुप को अनावेदक बनाया गया है, याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वंय रखा था.

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