छतरपुर। जिन मुद्दों को ढाल बनाकर कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल किया, आवाम ने भी अच्छे दिन की आस में बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर कांग्रेस को सर आंखों पर बैठाया था, एक साल बाद ही आवाम खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है, अब उसे लग रहा है कि वो न इधर का रहा न उधर का रहा. लिहाजा, वो इसे ही अपनी नियति मान लिया है, सरकार बदलने से भले ही कुछ लोगों के अच्छे दिन आ गए हैं, पर छतरपुर से 30 किलोमीटर दूर झीझन गांव के लोग आज भी रोजाना मौत से टकराते हैं. उनका ये सफर पिछले पांच सालों से जारी है, जहां रोजाना उन्हें खतरों से खेलना पड़ता है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.
झीझन गांव में पांच साल पहले तालाब पर बांध बांधने का ठेका दिया गया था, पर ठेकेदार काम को बीच में ही छोड़कर भाग गया. जिसका खामियाजा ग्रामीण आज तक भुगत रहे हैं. यही वजह है कि रोज उन्हें जोखिम उठाना पड़ता है क्योंकि झीझन गांव में जो तालाब है. उस पर जो बांध बनाया जाना था, वह अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया.
बांध नहीं बनने से करीब 12 गांव के 25 हजार लोग प्रभावित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में हालात और भी खराब हो जाते हैं. थोड़ा सा सफर तय करने के लिए उन्हें लगभग 12 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है, कई बार इसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अधिकारियों को भी दी जा चुकी है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.
ग्रामीण अजय कुशवाहा का कहना है कि गांव में ठंडी बहुत तेज पड़ रही है, ऐसे हालात में हमें पानी में आधा डूबकर गांव जाना पड़ता है, कई बार बीमार भी पड़ जाते हैं, लेकिन यहां कोई भी सुनने वाला नहीं है.