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सरकार बदलकर भी नहीं बदले इनके दिन, आज भी 'मौत का सफर' करते हैं यहां के लोग

छतरपुर के झीझन गांव के लोग रोजाना मौत से टकराकर सफर करते हैं, एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए उन्हें पानी में आधा डूबकर तालाब पार करना पड़ता है, जिस पर बांध बनाने का काम पिछले पांच सालों से लंबित है, जबकि जिम्मेदारों से शिकायत करने का नतीजा भी सिफर है.

People crossing the rural route risking their lives in Chhatarpur
जान जोखिम में डालते लोग
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Published : Jan 22, 2020, 11:09 PM IST

Updated : Jan 22, 2020, 11:44 PM IST

छतरपुर। जिन मुद्दों को ढाल बनाकर कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल किया, आवाम ने भी अच्छे दिन की आस में बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर कांग्रेस को सर आंखों पर बैठाया था, एक साल बाद ही आवाम खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है, अब उसे लग रहा है कि वो न इधर का रहा न उधर का रहा. लिहाजा, वो इसे ही अपनी नियति मान लिया है, सरकार बदलने से भले ही कुछ लोगों के अच्छे दिन आ गए हैं, पर छतरपुर से 30 किलोमीटर दूर झीझन गांव के लोग आज भी रोजाना मौत से टकराते हैं. उनका ये सफर पिछले पांच सालों से जारी है, जहां रोजाना उन्हें खतरों से खेलना पड़ता है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.

जान जोखिम में डालकर जाते लोग

झीझन गांव में पांच साल पहले तालाब पर बांध बांधने का ठेका दिया गया था, पर ठेकेदार काम को बीच में ही छोड़कर भाग गया. जिसका खामियाजा ग्रामीण आज तक भुगत रहे हैं. यही वजह है कि रोज उन्हें जोखिम उठाना पड़ता है क्योंकि झीझन गांव में जो तालाब है. उस पर जो बांध बनाया जाना था, वह अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया.

बांध नहीं बनने से करीब 12 गांव के 25 हजार लोग प्रभावित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में हालात और भी खराब हो जाते हैं. थोड़ा सा सफर तय करने के लिए उन्हें लगभग 12 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है, कई बार इसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अधिकारियों को भी दी जा चुकी है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

ग्रामीण अजय कुशवाहा का कहना है कि गांव में ठंडी बहुत तेज पड़ रही है, ऐसे हालात में हमें पानी में आधा डूबकर गांव जाना पड़ता है, कई बार बीमार भी पड़ जाते हैं, लेकिन यहां कोई भी सुनने वाला नहीं है.

छतरपुर। जिन मुद्दों को ढाल बनाकर कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल किया, आवाम ने भी अच्छे दिन की आस में बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर कांग्रेस को सर आंखों पर बैठाया था, एक साल बाद ही आवाम खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है, अब उसे लग रहा है कि वो न इधर का रहा न उधर का रहा. लिहाजा, वो इसे ही अपनी नियति मान लिया है, सरकार बदलने से भले ही कुछ लोगों के अच्छे दिन आ गए हैं, पर छतरपुर से 30 किलोमीटर दूर झीझन गांव के लोग आज भी रोजाना मौत से टकराते हैं. उनका ये सफर पिछले पांच सालों से जारी है, जहां रोजाना उन्हें खतरों से खेलना पड़ता है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.

जान जोखिम में डालकर जाते लोग

झीझन गांव में पांच साल पहले तालाब पर बांध बांधने का ठेका दिया गया था, पर ठेकेदार काम को बीच में ही छोड़कर भाग गया. जिसका खामियाजा ग्रामीण आज तक भुगत रहे हैं. यही वजह है कि रोज उन्हें जोखिम उठाना पड़ता है क्योंकि झीझन गांव में जो तालाब है. उस पर जो बांध बनाया जाना था, वह अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया.

बांध नहीं बनने से करीब 12 गांव के 25 हजार लोग प्रभावित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में हालात और भी खराब हो जाते हैं. थोड़ा सा सफर तय करने के लिए उन्हें लगभग 12 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है, कई बार इसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अधिकारियों को भी दी जा चुकी है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

ग्रामीण अजय कुशवाहा का कहना है कि गांव में ठंडी बहुत तेज पड़ रही है, ऐसे हालात में हमें पानी में आधा डूबकर गांव जाना पड़ता है, कई बार बीमार भी पड़ जाते हैं, लेकिन यहां कोई भी सुनने वाला नहीं है.

Intro:छतरपुर जिले से लगभग 30 किलोमीटर दूर छोटे से गांव झीझन में रहने वाले लोग एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए अपनी जान का जोखिम ले रहे हैं पिछले 5 सालों से गांव में रहने वाले लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन स्थानीय प्रशासन इस ओर किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दे रहा है!


Body:तस्वीरें छतरपुर जिले के छोटे से गांव झीझन की है जहां गांव में रहने वाले लोग एक गांव से दूसरे गांव में जाने के लिए रोज मौत का सफर तय करते हैं तस्वीरों में आप जिन ग्रामीणों को आधा पानी में डूबे हुए देख रहे हैं यह एक गांव से दूसरे गांव के लिए जा रहे हैं और रोज की तरह इन्हें जाना पड़ता है फिर चाहे गांव की महिलाएं हो बच्ची हो या बुजुर्ग!

दरअसल 5 साल पहले सरकार के द्वारा इस तालाब पर एक बांध बांधने का ठेका दिया गया था लेकिन ठेकेदार काम को बीच में ही रोककर भाग्य और इसी का खामियाजा ग्रामीण आज तक भुगत रहे हैं यही वजह है कि रोज उन्हें अपनी जान का जोखिम उठाना पड़ता है दरअसल झीझन गांव में जो तालाब है उस पर जो बांध बांधा जाना था वह अधिकारियों एवं ठेकेदार की लापरवाही की भेंट चढ़ गया! बांध ना बनने से लगभग 12 गांव के 25000 लोग प्रभावित हैं ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में हालात और भी खराब हो जाते हैं थोड़ा सा सफर तय करने के लिए उन्हें लगभग 12 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर कर जाना पड़ता है मामले की जानकारी कई बार जनप्रतिनिधियों के अलावा अधिकारियों को भी दी जा चुकी है लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं!
गांव में ही रहने वाला अजय कुशवाहा बताता है कि गांव में ठंडी बहुत तेज पड़ रही है और ऐसे हालात में हमें पानी में आधा डूब कर गांव जाना पड़ता है कई बार हम लोग बीमार पड़ जाते हैं लेकिन यहां कोई भी सुनने वाला नहीं है!

बाइट_अजय ग्रामीण युवक

वही गांव में रहने वाला एक और युवक सोनू रैकवार बताता है कि यह रोज की बात है हम लोग इसी तरह गांव से आते जाते हैं लेकिन किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ता है कई बार हम लोग बीमार भी हो जाते हैं लेकिन मजबूरी है गांव से बाहर आना-जाना पड़ता है!

बाइट_अजय कुशवाहा


वहीं मामले में एडीएम प्रेम सिंह चौहान अधिकारियों से बात करने की बात कह रहे हैं!

बाइट_एडीएम प्रेम सिंह चौहान




Conclusion:पिछले 5 सालों से गांव के लोग इसी तरह अपनी जान को जोखिम में डालकर गांव के बाहर आते एवं जाते हैं लेकिन जिला प्रशासन एवं स्थानीय प्रतिनिधि और किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं!
Last Updated : Jan 22, 2020, 11:44 PM IST
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