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त्रेतायुगीन इस मंदिर में तनहा विराजे हैं श्रीराम, सीता-लक्ष्मण-हनुमान भी नहीं हैं साथ

छतरपुर के महोबा रोड पर भगवान श्रीराम का ऐसा मंदिर है, जहां वे अकेले विराजमान हैं. जिसे अजानभुज सरकार मंदिर के नाम से जाना जाता है.

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Published : Jul 9, 2020, 4:03 PM IST

Updated : Jul 9, 2020, 4:28 PM IST

ajanbhuj sarkar temple
तनहा राम

छतरपुर। मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम के यूं तो कई मंदिर हैं. पर एक मंदिर ऐसा है जहां भगवान श्रीराम तनहा ही विराजमान हैं क्योंकि यहां पर उनके साथ न तो उनके अनुज लक्ष्मण मौजूद हैं और न ही उनकी अर्धांगिनी सीता और न ही उनके सेवक हनुमान. छतरपुर में मौजूद भगवान राम के इस मंदिर का सीधा संबंध रामायण काल यानी त्रेता युग से है. साधारण-सा दिखने वाला ये मंदिर रामायण काल की कहानियां आज भी बयां करता है. जिसे अजानभुज सरकार मंदिर नाम से जाना जाता है.

तनहा राम

शहर के मध्य महोबा रोड पर स्थित भगवान श्रीराम का एक अनोखा मंदिर है, जहां भगवान श्रीराम अकेले ही विराजमान हैं. इस मंदिर को लोग जानराय टोरिया के नाम से जानते हैं. भगवान राम के इस रूप को अजानभुज रूप कहा जाता है. कई लोग इस मंदिर को अजानभुज सरकार मंदिर के नाम से भी जानते हैं. साधारण-सा दिखने वाला ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी मन्नत मांगता है, वो जरूर पूरा होता है.

1440 में अस्तित्व में आया मंदिर

इस मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है, करीब 1440 में ये मंदिर अस्तित्व में आया था. उस समय मंदिर के महंत हरदेव दास थे और वही मंदिर की देखरेख करते थे. आज इस मंदिर की देखरेख यहां के महंत श्रंगारी दास महाराज कर रहे हैं. कहते हैं 1440 के आसपास महंत हरदेव दास के सपने में भगवान श्रीराम आए थे और उन्हें इस बात को लेकर संकेत दिया था, उनका मंदिर इस पहाड़ की ऊंचाई पर है. उसके बाद तब से लेकर आज तक इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है.

कहीं नहीं विराजे भगवान राम अकेले

पूरे भारत में भगवान श्रीराम के तमाम मंदिर मौजूद हैं. बात चाहे चित्रकूट धाम की हो या अयोध्या की. इनके अलावा भी और कई प्रसिद्ध स्थान हैं, जहां भगवान श्रीराम विराजमान हैं, लेकिन उन तमाम जगहों पर भगवान श्रीराम माता सीता, हनुमान या फिर अपने भाइयों के साथ मिलते हैं, लेकिन ये दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है. जहां भगवान श्रीराम अकेले विराजमान हैं. इस मंदिर में भगवान श्रीराम की अकेली प्रतिमा है. यहां न तो साथ में माता सीता हैं और न ही हनुमान, न ही लक्ष्मण.

भगवान श्रीराम का अजानभुज रूप

माना जाता है कि रामायण में भगवान श्रीराम कभी भी माता सीता और अनुज लक्ष्मण से अलग नहीं हुए, लेकिन भगवान श्रीराम जब राक्षस खर-दूषण का वध करने जा रहे थे, यही वो समय था, जब उनके साथ न तो माता सीता मौजूद थीं और न ही उनके भाई लक्ष्मण. जब भगवान ने अपने हाथ ऊपर कर सभी राक्षसों का वध करने का प्रण लिया तो उनके हाथ बड़े हो गए थे. इसी दौरान राक्षसों का एक बड़ा समूह सामने से आ रहा था, जिसे देख भगवान श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण से कहा कि तुम सीता को गुफा के अंदर ले जाओ. सीता इन राक्षसों को देखकर डर जाएंगी. तब लक्ष्मण माता सीता को अंदर ले जाते हैं और यही वो समय रहता है जब मर्यादा पुरुषोत्तम अकेले रह जाते हैं. भगवान श्रीराम के इस वाकये का वर्णन राम आरती में किया गया है, जो कि ये है 'अजानभुज सर चाप धर संग्रामजित खर दूषणम...'

पूरे विश्व में ऐसा कोई मंदिर नहीं है, जहां भगवान श्रीराम अकेले विराजमान हो. ये दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीराम तनहा हैं. ऐसा माना जाता है भगवान श्रीराम के वनवास का ज्यादा समय बुंदेलखंड में गुजरा है. जहां आज ये मंदिर मौजूद है, वहां पहले कभी घना जंगल हुआ करता था. इस मंदिर का इतिहास बताता है कि भगवान श्रीराम की जो प्रतिमा मंदिर के अंदर मौजूद है, उसका सीधा संबंध रामायण से है. इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में भगवान श्रीराम के दर्शन करने के लिए आते हैं.

छतरपुर। मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम के यूं तो कई मंदिर हैं. पर एक मंदिर ऐसा है जहां भगवान श्रीराम तनहा ही विराजमान हैं क्योंकि यहां पर उनके साथ न तो उनके अनुज लक्ष्मण मौजूद हैं और न ही उनकी अर्धांगिनी सीता और न ही उनके सेवक हनुमान. छतरपुर में मौजूद भगवान राम के इस मंदिर का सीधा संबंध रामायण काल यानी त्रेता युग से है. साधारण-सा दिखने वाला ये मंदिर रामायण काल की कहानियां आज भी बयां करता है. जिसे अजानभुज सरकार मंदिर नाम से जाना जाता है.

तनहा राम

शहर के मध्य महोबा रोड पर स्थित भगवान श्रीराम का एक अनोखा मंदिर है, जहां भगवान श्रीराम अकेले ही विराजमान हैं. इस मंदिर को लोग जानराय टोरिया के नाम से जानते हैं. भगवान राम के इस रूप को अजानभुज रूप कहा जाता है. कई लोग इस मंदिर को अजानभुज सरकार मंदिर के नाम से भी जानते हैं. साधारण-सा दिखने वाला ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी मन्नत मांगता है, वो जरूर पूरा होता है.

1440 में अस्तित्व में आया मंदिर

इस मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है, करीब 1440 में ये मंदिर अस्तित्व में आया था. उस समय मंदिर के महंत हरदेव दास थे और वही मंदिर की देखरेख करते थे. आज इस मंदिर की देखरेख यहां के महंत श्रंगारी दास महाराज कर रहे हैं. कहते हैं 1440 के आसपास महंत हरदेव दास के सपने में भगवान श्रीराम आए थे और उन्हें इस बात को लेकर संकेत दिया था, उनका मंदिर इस पहाड़ की ऊंचाई पर है. उसके बाद तब से लेकर आज तक इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है.

कहीं नहीं विराजे भगवान राम अकेले

पूरे भारत में भगवान श्रीराम के तमाम मंदिर मौजूद हैं. बात चाहे चित्रकूट धाम की हो या अयोध्या की. इनके अलावा भी और कई प्रसिद्ध स्थान हैं, जहां भगवान श्रीराम विराजमान हैं, लेकिन उन तमाम जगहों पर भगवान श्रीराम माता सीता, हनुमान या फिर अपने भाइयों के साथ मिलते हैं, लेकिन ये दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है. जहां भगवान श्रीराम अकेले विराजमान हैं. इस मंदिर में भगवान श्रीराम की अकेली प्रतिमा है. यहां न तो साथ में माता सीता हैं और न ही हनुमान, न ही लक्ष्मण.

भगवान श्रीराम का अजानभुज रूप

माना जाता है कि रामायण में भगवान श्रीराम कभी भी माता सीता और अनुज लक्ष्मण से अलग नहीं हुए, लेकिन भगवान श्रीराम जब राक्षस खर-दूषण का वध करने जा रहे थे, यही वो समय था, जब उनके साथ न तो माता सीता मौजूद थीं और न ही उनके भाई लक्ष्मण. जब भगवान ने अपने हाथ ऊपर कर सभी राक्षसों का वध करने का प्रण लिया तो उनके हाथ बड़े हो गए थे. इसी दौरान राक्षसों का एक बड़ा समूह सामने से आ रहा था, जिसे देख भगवान श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण से कहा कि तुम सीता को गुफा के अंदर ले जाओ. सीता इन राक्षसों को देखकर डर जाएंगी. तब लक्ष्मण माता सीता को अंदर ले जाते हैं और यही वो समय रहता है जब मर्यादा पुरुषोत्तम अकेले रह जाते हैं. भगवान श्रीराम के इस वाकये का वर्णन राम आरती में किया गया है, जो कि ये है 'अजानभुज सर चाप धर संग्रामजित खर दूषणम...'

पूरे विश्व में ऐसा कोई मंदिर नहीं है, जहां भगवान श्रीराम अकेले विराजमान हो. ये दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीराम तनहा हैं. ऐसा माना जाता है भगवान श्रीराम के वनवास का ज्यादा समय बुंदेलखंड में गुजरा है. जहां आज ये मंदिर मौजूद है, वहां पहले कभी घना जंगल हुआ करता था. इस मंदिर का इतिहास बताता है कि भगवान श्रीराम की जो प्रतिमा मंदिर के अंदर मौजूद है, उसका सीधा संबंध रामायण से है. इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में भगवान श्रीराम के दर्शन करने के लिए आते हैं.

Last Updated : Jul 9, 2020, 4:28 PM IST
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